वाराणसी : प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने जब वाराणसी के जयापुर गांव को गोद लिया था तो यहां के लोगों को लगा था कि किस्मत बदल जाएगी. खुद प्रधानमंत्री का गोद लिया गांव बनना जयापुर के लिए कई रास्ते खोल रहा था और प्रधानमंत्री ने अपने वादे मुताबिक कई कार्यो को शुरू भी किया. इन कार्यों की हाल ही में स्थिति कैसी है , यह देखने के लिए जब ईटीवी की टीम जयापुर गांव गई तो वहां पर परिस्थितियां बेहतर तो जरूर नजर आई पर कुछ बदली हुए दिखाई दीं. यहां के स्थिति उस मुताबिक नहीं थी, जिस मुताबिक दावे किए गए थे.
- केंद्र की बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ योजना पूरे देश में लागू की गई और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का ड्रीम प्रोजेक्ट बन कर उभरती हुई नजर आई. इसलिए जयापुर के लिए यह योजना शुरू करना बहुत ही महत्वपूर्ण और बड़ी बात थी. इसी योजना के तहत जयापुर गांव में प्रधानमंत्री की प्रेरणा से खुद केंद्रीय मंत्री हरसिमरत कौर बादल ने कन्याओं के लिए विद्यालय का शिलान्यास किया और बनवाने का कार्य भी पूरा किया, लेकिन आज उस विद्यालय की क्या स्थिति है यह देखने के लिए स्थानीय प्रशासन और खुद सत्ताधारी भी कोई प्रयास नहीं कर रहे हैं .
- विद्यालय में बच्चे पढ़ने आते हैं या नहीं? विद्यालयों में शिक्षकों की नियुक्ति की गई है या नहीं? इस मामले पर भी कोई निगाह नहीं रखे हुए हैं. जयापुर में बना कन्या विद्यालय सिर्फ एक इमारत मात्र बनकर रह गया है, जिसका सदुपयोग करने की खुद गांव वालों ने ठानी तो वहां महिलाओं को सशक्त करने का बीड़ा उठा लिया गया.
कन्या विद्यालय का इस तरह हो रहा इस्तेमाल
- कन्या विद्यालय के लिए बनी इस इमारत में बेटियां पढ़ने तो नहीं आती है पर महिलाओं के सशक्तिकरण को लेकर काम जरूर शुरू कर दिया गया है. यह काम गांव के प्रधान की निगरानी में हो रहा है और महिलाओं को आगे बढ़ने का एक मौका दिया जा रहा है, लेकिन जिस सोच के साथ इस कन्या विद्यालय को बनाया गया था, वह सोच कहीं ना कहीं धूमिल होती नजर आ रही है.
- जयापुर में बने इस कन्या विद्यालय में बच्चियां पढ़ने तो नहीं आती है लेकिन लड़कियों और महिलाओं को धागा बनाना सिखा कर उनके पेट पालने का एक जरिया जरूर तैयार कर दिया गया है. यहां महिलाओं को कताई-बुनाई की ट्रेनिंग दी जाती है, जिससे वह अपने लिए रोजाना की कमाई जुटा लेती हैं. इस इमारत का इस तरह से इस्तेमाल करने की प्रेरणा यहां की महिलाओं को आई और अनुमति गांव के प्रधान से मिली, जिसके बाद यहां कताई-बुनाई केंद्र को स्थापित करके महिलाओं के लिए मशीन मंगवाई गई और उन्हें ट्रेनिंग दी जाने लगी. अब यह महिलाएं अपना पेट पालने के लिए बुनाई कर के धागे बनाती हैं और अपने जैसी कई और लड़कियों को भी सशक्त बनाने की कोशिश करती हैं.