वाराणसीः भारत सरकार के विदेश मंत्रालय द्वारा आयोजित 10 दिवसीय रायसीना फोरम की IIT BHU ने मेजबानी की. यहां 31 देशों के 35 डिप्लोमेट्स भाग लिया. इस दौरान उन्होंने बनारस के इतिहास, विकास और आईआईटी के द्वारा किए जा रहे हैं रिसर्च, इनोवेशन व डिजिटल प्रोजेक्ट पर चर्चा की. साथ ही बनारस के आध्यात्मिक विरासत को समझने की कोशिश की.
बता दें कि संस्थान में आयोजित इस कार्यक्रम में 31 देशों के 35 राजनयिकों के एक दल ने भाग लिया और वाराणसी और आईआईटी बीएचयू के इतिहास, अनुसंधान, नवाचार, स्टार्टअप, डिजिटल इंडिया, ज्ञान सृजन पर चर्चा की. इस राजनयिक समूह ने वाराणसी की सांस्कृतिक और आध्यात्मिक समृद्धि को उजागर करने के लिए वाराणसी का दौरा भी किया.
कार्यक्रम में IIT BHU के निदेशक प्रो. प्रमोद कुमार जैन ने रायसीना फोरम के उद्देश्यों की सराहना की.उन्होंने कहा कि ये फोरम विभिन्न सामाजिक विषयों पर विचारों के आदान-प्रदान के लिए दुनिया भर के राजनयिकों को एक मंच पर लाएगा, जो अंतरराष्ट्रीय स्तर पर बड़े पैमाने पर समाज के लिए उपयोगी होगा.
दुनियाभर के शीर्ष युवा राजनयिकों को एक मंच पर लाने का प्रयास
उन्होंने बताया कि रायसीना फोरम एक वार्षिक दस दिवसीय नीति कार्यशाला है, जो दुनिया भर के 40-45 युवा राजनयिकों को एक साथ लाती है. यह तेजी से बदलती दुनिया में नेतृत्व करने के लिए कौशल को बढ़ावा देता है और स्वास्थ्य, प्रौद्योगिकी नीति,साइबर शासन, जलवायु परिवर्तन और ऊर्जा, नए राजनीतिक भौगोलिक, विकास सहयोग के साधन, लिंग अनिवार्यता, शिक्षा और ज्ञान, और बहुपक्षवाद के उभरते मॉडल पर ध्यान केंद्रित करता है. वैश्विक मामलों का ध्यान, अब पहले से कहीं अधिक, पारंपरिक सुरक्षा के मुद्दों से मानव सुरक्षा - सार्वजनिक स्वास्थ्य, जलवायु परिवर्तन, खाद्य सुरक्षा, विज्ञान और प्रौद्योगिकी, डिजिटल शासन, आदि तक विस्तार करने की आवश्यकता है.
गौरतलब है कि यह कार्यक्रम 10 से 20 अक्टूबर,तक भारत में ऑब्जर्वर रिसर्च फाउंडेशन नई दिल्ली और विदेश मंत्रालय, भारत सरकार द्वारा आयोजित दस दिनों के कार्यक्रम का हिस्सा है. इस फोरम के संस्थापक भागीदारों में यूनाइटेड किंगडम, जापान, ऑस्ट्रेलिया और अनवर गर्गश डिप्लोमैटिक अकादमी, संयुक्त अरब अमीरात शामिल हैं.
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