वाराणसी: काशी हिंदू विश्वविद्यालय (Banaras Hindu University) स्थित सामाजिक विज्ञान संकाय के राजनीतिक विज्ञान विभाग की शोध प्रवेश प्रक्रिया पर आरोप लगाते हुए अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद (Akhil Bharatiya Vidyarthi Parishad) ने इसका विरोध किया था. इसके बाद छात्रों ने 3 दिनों तक लगातार आंदोलन किया. छात्रों का आरोप है कि राजनीति शास्त्र विभाग द्वारा प्रवेश प्रक्रिया को नियमों को ताक पर रखकर किया गया. ऐसा छात्रों ने विश्वविद्यालय प्रशासन पर आरोप लगाया है.
प्रदर्शन के दौरान विद्यार्थी परिषद की मांग थी कि वर्तमान विभागाध्यक्ष को आगामी प्रवेश प्रक्रिया से हटाया जाए. यह पूरी प्रक्रिया विश्वविद्यालय प्रशासन की निगरानी में तय समय के अंदर संपन्न हो. रविवार को विश्वविद्यालय प्रशासन ने छात्रों की यह दोनों मांगें मानीं, जिसके बाद छात्रों ने अपना प्रदर्शन और आमरण अनशन खत्म किया. कला संकाय के प्रमुख प्रोफेसर कौशल किशोर मिश्रा ने जूस पिलाकर छात्रों का आंदोलन खत्म कराया.
विश्वविद्यालय प्रशासन ने बताया कि जांच कमेटी द्वारा प्रस्तावित आगामी प्रवेश प्रक्रिया 15 सितंबर से 25 सितंबर के बीच होगी. छात्रों के आंदोलन के दृष्टिगत एवं प्रत्यक्ष रूप से अनियमितताएं पाए जाने पर विभागाध्यक्ष द्वारा खुद को इस पूरी प्रक्रिया से अलग कर दिया है. राजनीतिक विभाग के विभागाध्यक्ष अशोक कुमार उपाध्याय पर आरोप लगे थे.
अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद (Akhil Bharatiya Vidyarthi Parishad) के विभाग संयोजक अधोक्षक पांडेय ने बताया कि प्रथम दिन से राजनीति शास्त्र में शोध प्रवेश प्रक्रिया संदेह के घेरे में थी. इस दौरान विश्वविद्यालय प्रशासन द्वारा बनाई गई जांच समिति की सिफारिशों को निष्पक्ष रूप से लागू करने के लिए अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद आंदोलन पर था, जिसकी जीत हुई. यह सभी विद्यार्थियों की जीत है. अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद समस्त विद्यार्थियों को यह विश्वास दिलाता है कि भविष्य में विद्यार्थियों के हित की सभी मांगों को विश्वविद्यालय प्रशासन के समक्ष पुरजोर तरीके से उठाता रहेगा.
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