वाराणसीः जेल के कैदी खुद ही गौशाला से दूध की व्यवस्था करते हैं और अपनी बेकरी में ब्रेड बनाते हैं. इसी दूध-ब्रेड से नाश्ता करते हैं. बात हो रही है वाराणसी जिले के केंद्रीय कारागार की. यहां पर जेल प्रशासन ने कैदियों के जीवन में सुधार के लिए तमाम प्रयास किए हैं. इसी के तहत डेयरी, बेकरी आदि चलाने की व्यवस्था करवाई है. यह उत्पाद न केवल कैदी खुद के लिए प्रयोग करते हैं, बल्कि इसे बाहर बेचने के लिए भी भेजा जाता है. इससे कैदियों को रोजगार भी मुहैया हो रहा है. साथ ही साथ जेल प्रशासन का नाश्ते का खर्च भी बच रहा है.
केंद्रीय कारागार में 77 गायों का पालन
इस संबंध में वरिष्ठ जेल अधीक्षक अरविंद कुमार सिंह ने बताया कि वाराणसी के केंद्रीय कारागार में 77 गायों का पालन हो रहा है. इसमें 25 गायों से कैदी दूध का उत्पादन कर रहे हैं. प्रतिदिन करीब 170 लीटर दूध का उत्पादन हो रहा है. इसका इस्तेमाल केंद्रीय कारागार के बंदियों एवं ऐसे बंदी जो बीमार हैं, उनके लिए किया जा रहा है. सभी बंदी गौशाला से उत्पादित दूध का प्रयोग करते हैं. वहीं गायों के गोबर से खाद भी बनाई जाती है. इसका इस्तेमाल कृषि कार्यों में किया जाता है. यह काम 16 कैदी कर रहे हैं.
बेकरी में बनाते हैं ब्रेड
उन्होंने बताया कि कारागार में कैदी बेकरी उद्योग भी संचालित करते हैं. बेकरी में बनी पावरोटी, ब्रेड, टोस्ट, क्रीमब्रेड, बिस्किट आदि का इस्तेमाल जेल के बंदियों के लिए किया जाता है. पावरोटी को चौकाघाट स्थित जिला जेल के बंदियों के लिए भी भेजा जाता है. इसके साथ ही आम जनता के लिए केंद्रीय कारागार के बाहर स्टाल भी लगाए जाते हैं, जिसमें बेकरी के उत्पाद बेचे जाते हैं. दिसंबर महीने में करीब 2.50 लाख रुपए के बेकरी उत्पाद बेचे गए हैं. इस काम में कारागार के 14 बंदी लगे हुए हैं.
कैदियों को मिलता है पारिश्रमिक
वाराणसी के केंद्रीय कारागार में इस समय 1721 बंदी निरुद्ध हैं. इसमें करीब 1400 बंदियों के एकाउंट जेल प्रशासन के पास हैं. इनका पारिश्रमिक सीधे इनके बैंक एकाउंट में भेज दिया जाता है. सभी कैदियों को यह पता होता है कि उनके बैंक एकाउंट में कितने पैसे हैं और कितने पैसे उनके पारिश्रमिक के रूप में भेजे गए हैं.