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वाराणसी: मानसिक अस्पताल में कैदी निकला कोरोना पॉजिटिव, हड़कंप - वाराणसी समाचार

वाराणसी के पांडेपुर स्थित मानसिक चिकित्सालय बरेली से लाए गए कैदी की कोरोना रिपोर्ट पॉजिटिव आने के बाद पूरे अस्पताल में हड़कंप मचा हुआ है.

मानसिक चिकित्सालय.
मानसिक चिकित्सालय.
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Published : Aug 13, 2020, 2:15 PM IST

वाराणसी: जिले में कोरोना के मामले में लगातार इजाफा होता जा रहा है. इसके साथ ही प्रशासन की लापरवाही के मामले भी बढ़ते जा रहे हैं. यहां एक बार फिर से प्रशासन की लापरवाही उजागर हुई है. मामला वाराणसी के पांडेपुर स्थित मानसिक चिकित्सालय का है. जहां बरेली से लाए गए कैदी की कोरोना रिपोर्ट पॉजिटिव निकलने पर पूरे अस्पताल परिसर में हड़कंप का माहौल है.

दरअसल बरेली का एक कैदी हत्या के मामले में आजीवन कारावास की सजा पा चुका है. उसकी मानसिक स्थिति खराब होने पर उसे 10 अगस्त को मानसिक चिकित्सालय में शिफ्ट किया गया था. यह कैदी 3 दिन तक अस्पताल परिसर में घूमता रहा. उसे ओपीडी में डॉक्टर को भी दिखाया गया. जब गुरुवार को अस्पताल प्रशासन को उसकी कोरोना जांच रिपोर्ट मिली तो सबके होश उड़ गए.

कैदी के कोरोना पॉजिटिव होने की खबर से पूरे अस्पताल में हड़कंप मच गया है. जिस तरह लगातार केस बढ़ते जा रहे हैं. उसके बाद युवक को शिफ्ट कराने से पहले उसकी कोरोना जांच क्यों नहीं की गई. उसे 14 दिन के लिए क्वारंटाइन क्यों नहीं किया गया. वर्तमान में इस प्रकार की लापरवाही का खामियाजा अस्पताल में मौजूद मरीजों को ही भुगतना पड़ रहा है.

वाराणसी: जिले में कोरोना के मामले में लगातार इजाफा होता जा रहा है. इसके साथ ही प्रशासन की लापरवाही के मामले भी बढ़ते जा रहे हैं. यहां एक बार फिर से प्रशासन की लापरवाही उजागर हुई है. मामला वाराणसी के पांडेपुर स्थित मानसिक चिकित्सालय का है. जहां बरेली से लाए गए कैदी की कोरोना रिपोर्ट पॉजिटिव निकलने पर पूरे अस्पताल परिसर में हड़कंप का माहौल है.

दरअसल बरेली का एक कैदी हत्या के मामले में आजीवन कारावास की सजा पा चुका है. उसकी मानसिक स्थिति खराब होने पर उसे 10 अगस्त को मानसिक चिकित्सालय में शिफ्ट किया गया था. यह कैदी 3 दिन तक अस्पताल परिसर में घूमता रहा. उसे ओपीडी में डॉक्टर को भी दिखाया गया. जब गुरुवार को अस्पताल प्रशासन को उसकी कोरोना जांच रिपोर्ट मिली तो सबके होश उड़ गए.

कैदी के कोरोना पॉजिटिव होने की खबर से पूरे अस्पताल में हड़कंप मच गया है. जिस तरह लगातार केस बढ़ते जा रहे हैं. उसके बाद युवक को शिफ्ट कराने से पहले उसकी कोरोना जांच क्यों नहीं की गई. उसे 14 दिन के लिए क्वारंटाइन क्यों नहीं किया गया. वर्तमान में इस प्रकार की लापरवाही का खामियाजा अस्पताल में मौजूद मरीजों को ही भुगतना पड़ रहा है.

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