ETV Bharat / state

अब बनारसी साड़ी खरीदना हुआ महंगा, व्यापारियों ने बताई असली वजह

बनारसी साड़ी की कीमतों में पिछले कुछ महीनों में काफी बढ़ोतरी देखी गई है. इसका बुरा असर वाराणसी के वस्त्र उद्योग पर भी पड़ा है. ईटीवी भारत ने जब इसके बारे में पता लगाया तो व्यापारियों ने एक-एक कर इसकी सारी वजह बतायीं और सरकार को भी इसके लिए उत्तरदायी ठहराया.

prices of Banarasi sarees
prices of Banarasi sarees
author img

By

Published : Jul 15, 2023, 9:47 AM IST

जानकारी देते बनारसी वस्त्र उद्योग एसोसिएशन के अध्यक्ष राजन बहल.

वाराणसीः मशहूर बनारसी साड़ियां महंगी हो गई हैं. इसके महंगे होने की मुख्य वजह इसे तैयार करने के लिए इस्तेमाल किया जाने वाला रेशम है. इन दिनों रेशम के दाम काफी बढ़े हुए है. बीते 6 माह के आंकड़ों को देखें तो रेशम 800 से 1000 रुपये किलो महंगा हो गया है. इसके कारण बनारसी साड़ियां महंगी हो गई हैं. इसका असर इसकी बिक्री पर भी खासा दिख रहा है. बनारसी साड़ी में इस्तेमाल किए जाने वाला रेशम सबसे अधिक वियतनाम और चीन से आता है. वियतनाम से आने वाले रेशम पर ज्यादा टैक्स लगने की वजह से बनारसी साड़ी की कीमत में बढ़ोतरी हुई है.

prices of Banarasi sarees
वियतनाम का रेशम प्रति किलो पड़ रहा 800-1000 महंगा

वाराणसी में विदेशी सिल्क की खपत करीब प्रति माह 60 टन है. वहीं, इसके मुकाबले भारतीय सिल्क की खपत 50 टन की होती है. सबसे बड़ी बात ये है कि कोरोना काल से पहले वाराणसी में ही सिल्क की खपत 1000 से 1500 टन प्रति माह थी. वाराणसी में चीन, वियतनाम, रूस और कर्नाटक से रेशम मंगाई जाती है. यहां से आने वाले रेशम से साड़ियां और अन्य वाराणसी के कपड़े तैयार किए जाते हैं. ऐसे में इन पर लगने वाले एक्साइज ड्यूटी से इनके दाम में काफी बढ़ोतरी हो गई है.

prices of Banarasi sarees
6000 हजार करोड़ का है वाराणसी वस्त्र उद्योग का कारोबार
वियतनाम का रेशम 1000 रुपये महंगाः बनारसी वस्त्र उद्योग एसोसिएशन के अध्यक्ष राजन बहल ने बताया कि कच्चा माल तैयार करने की चीजें महंगी हो गई है. रेशम पहले चीन से आता था. अब वहां से रेशम आना बहुत कम हो गया है. अब वियतनाम से रेशम लेना पड़ रहा है. वियतनाम का रेशम हमारे लिए बहुत ही महंगा पड़ रहा है, जो रेशम आज से एक महीने पहले 4200 रुपये किलो था. वही अब 5200 रुपये किलो का है. इसके साथ ही लोगों की परचेजिंग क्षमता भी कम हो रही है. उनका जेब में पैसा नहीं है. बैंक में जमा पैसों को खर्च करने से पहले हर कोई एक बार सोचता है.
prices of Banarasi sarees
बनारसी साड़ी बनाने वाले मजूदरों की मजदूरी में हुई है बढ़ोतरी.

मजदूरी में भी बढ़ोतरीः उन्होंने बताया कि पिछले 6 महीने में रेशम का दाम 1000 रुपये प्रति किलो बढ़ गया है. अब जो साड़ी 10,000 की मिल जाती थी, वो 14,000 रुपये की मिल रही है. रेशम के साथ-साथ जो मजदूरी थी. वह भी बढ़ गई है. कस्टमर की इतनी क्षमता नहीं होती है कि जो साड़ी वो कल 10,000 की साड़ी ले रहा था, आज उसे 14,000 में खरीदे. सरकार ने किसी भी चीज में सब्सिडी देने की योजना नहीं बनाई है. पहले रेशम पर सब्सिडी थी, रेशम पर टैक्स नहीं था, अब उस पर 15 फीसदी टैक्स लग गया है. पहले यह एक्साइज ड्यूटी 5 फीसदी थी.

वस्त्र उद्योग का 6000 करोड़ का कारोबारः उन्होंने बताया कि साड़ी तैयार करने में लगने वाली चीजों पर भी 18 फीसदी जीएसटी लगने लगा है. जो टैक्स देने हैं वह भी बढ़ गए हैं. सुबह उठते हैं टैक्स देना शुरू हो जाता है. पानी पीते हैं, दूध पीते हैं, चाय पीते हैं इन सब में टैक्स देना होता है. हर चीज पर टैक्स लगने से चीजों के दाम अपने आप बढ़ते जा रहे हैं. बता दें कि जून-जुलाई के महीने वाराणसी वस्त्र उद्योग के लिए मंदी के महीने साबित हो रहे हैं. वाराणसी में 6,000 करोड़ का सालाना का कारोबार है, जोकि महंगाई के कारण कम होता नजर आ रहा है.

वियतनाम के रेशम पर 17 फीसदी कस्टम ड्यूटीः वाराणसी सिल्क ट्रेड एसोसिएशन के पदाधिकारियों का कहना है कि चीन आने वाले रेशम का दाम 5600 से 5700 रुपये प्रति किलो है. वियतनाम के रेशम पर 17 फीसदी कस्टम ड्यूटी है. अगर ये कस्टम ड्यूटी कम हो तो हो सकता है कि दाम में कमी आ जाए. अभी वाराणसी में सिर्फ वियतनाम से आने वाले रेशम का प्रयोग अधिक किया जा रहा है.

ये भी पढ़ेंः एक ऐसा शिव मंदिर, जहां हर साल बढ़ती है शिवलिंग की लंबाई

जानकारी देते बनारसी वस्त्र उद्योग एसोसिएशन के अध्यक्ष राजन बहल.

वाराणसीः मशहूर बनारसी साड़ियां महंगी हो गई हैं. इसके महंगे होने की मुख्य वजह इसे तैयार करने के लिए इस्तेमाल किया जाने वाला रेशम है. इन दिनों रेशम के दाम काफी बढ़े हुए है. बीते 6 माह के आंकड़ों को देखें तो रेशम 800 से 1000 रुपये किलो महंगा हो गया है. इसके कारण बनारसी साड़ियां महंगी हो गई हैं. इसका असर इसकी बिक्री पर भी खासा दिख रहा है. बनारसी साड़ी में इस्तेमाल किए जाने वाला रेशम सबसे अधिक वियतनाम और चीन से आता है. वियतनाम से आने वाले रेशम पर ज्यादा टैक्स लगने की वजह से बनारसी साड़ी की कीमत में बढ़ोतरी हुई है.

prices of Banarasi sarees
वियतनाम का रेशम प्रति किलो पड़ रहा 800-1000 महंगा

वाराणसी में विदेशी सिल्क की खपत करीब प्रति माह 60 टन है. वहीं, इसके मुकाबले भारतीय सिल्क की खपत 50 टन की होती है. सबसे बड़ी बात ये है कि कोरोना काल से पहले वाराणसी में ही सिल्क की खपत 1000 से 1500 टन प्रति माह थी. वाराणसी में चीन, वियतनाम, रूस और कर्नाटक से रेशम मंगाई जाती है. यहां से आने वाले रेशम से साड़ियां और अन्य वाराणसी के कपड़े तैयार किए जाते हैं. ऐसे में इन पर लगने वाले एक्साइज ड्यूटी से इनके दाम में काफी बढ़ोतरी हो गई है.

prices of Banarasi sarees
6000 हजार करोड़ का है वाराणसी वस्त्र उद्योग का कारोबार
वियतनाम का रेशम 1000 रुपये महंगाः बनारसी वस्त्र उद्योग एसोसिएशन के अध्यक्ष राजन बहल ने बताया कि कच्चा माल तैयार करने की चीजें महंगी हो गई है. रेशम पहले चीन से आता था. अब वहां से रेशम आना बहुत कम हो गया है. अब वियतनाम से रेशम लेना पड़ रहा है. वियतनाम का रेशम हमारे लिए बहुत ही महंगा पड़ रहा है, जो रेशम आज से एक महीने पहले 4200 रुपये किलो था. वही अब 5200 रुपये किलो का है. इसके साथ ही लोगों की परचेजिंग क्षमता भी कम हो रही है. उनका जेब में पैसा नहीं है. बैंक में जमा पैसों को खर्च करने से पहले हर कोई एक बार सोचता है.
prices of Banarasi sarees
बनारसी साड़ी बनाने वाले मजूदरों की मजदूरी में हुई है बढ़ोतरी.

मजदूरी में भी बढ़ोतरीः उन्होंने बताया कि पिछले 6 महीने में रेशम का दाम 1000 रुपये प्रति किलो बढ़ गया है. अब जो साड़ी 10,000 की मिल जाती थी, वो 14,000 रुपये की मिल रही है. रेशम के साथ-साथ जो मजदूरी थी. वह भी बढ़ गई है. कस्टमर की इतनी क्षमता नहीं होती है कि जो साड़ी वो कल 10,000 की साड़ी ले रहा था, आज उसे 14,000 में खरीदे. सरकार ने किसी भी चीज में सब्सिडी देने की योजना नहीं बनाई है. पहले रेशम पर सब्सिडी थी, रेशम पर टैक्स नहीं था, अब उस पर 15 फीसदी टैक्स लग गया है. पहले यह एक्साइज ड्यूटी 5 फीसदी थी.

वस्त्र उद्योग का 6000 करोड़ का कारोबारः उन्होंने बताया कि साड़ी तैयार करने में लगने वाली चीजों पर भी 18 फीसदी जीएसटी लगने लगा है. जो टैक्स देने हैं वह भी बढ़ गए हैं. सुबह उठते हैं टैक्स देना शुरू हो जाता है. पानी पीते हैं, दूध पीते हैं, चाय पीते हैं इन सब में टैक्स देना होता है. हर चीज पर टैक्स लगने से चीजों के दाम अपने आप बढ़ते जा रहे हैं. बता दें कि जून-जुलाई के महीने वाराणसी वस्त्र उद्योग के लिए मंदी के महीने साबित हो रहे हैं. वाराणसी में 6,000 करोड़ का सालाना का कारोबार है, जोकि महंगाई के कारण कम होता नजर आ रहा है.

वियतनाम के रेशम पर 17 फीसदी कस्टम ड्यूटीः वाराणसी सिल्क ट्रेड एसोसिएशन के पदाधिकारियों का कहना है कि चीन आने वाले रेशम का दाम 5600 से 5700 रुपये प्रति किलो है. वियतनाम के रेशम पर 17 फीसदी कस्टम ड्यूटी है. अगर ये कस्टम ड्यूटी कम हो तो हो सकता है कि दाम में कमी आ जाए. अभी वाराणसी में सिर्फ वियतनाम से आने वाले रेशम का प्रयोग अधिक किया जा रहा है.

ये भी पढ़ेंः एक ऐसा शिव मंदिर, जहां हर साल बढ़ती है शिवलिंग की लंबाई

ETV Bharat Logo

Copyright © 2024 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.