वाराणसी: नौ फरवरी को संत रविदास की जयंती धूमधाम के साथ मनाई जाएगी और वाराणसी में यह पर्व बेहद ही खास तरीके से मनाया जाता है. इसकी बड़ी वजह यह है कि वाराणसी के सीर गोवर्धन में संत रविदास का जन्म हुआ था, जिसके कारण यहां पर लाखों की संख्या में रविदास धर्म को मानने वाले लोगों का आना होता है.
2009 में जब रविदासिया धर्म की शुरुआत हुई तब किसी ने शायद सोचा भी नहीं था कि यह धर्म इतना बड़ा रूप लेगा और देखते ही देखते इसके अनुयायी और इससे मानने वालों की संख्या लाखों में हो जाएगी. यही वजह है कि यहां पर हर साल अब भव्य आयोजन होता है, जिसमें तीन दिनों के आयोजन में 20 लाख लोगों से ज्यादा का जुटान होता है. मुख्य आयोजन 9 फरवरी यानि कल होगा, जिसमें भारत के अलावा विदेशों से भी बड़ी संख्या में रविदास धर्म को मानने वाले लोग पहुंचना शुरू हो चुके हैं.
वाराणसी में संत रविदास जयंती को लेकर तैयारियां लगभग पूरी हो गई है. भव्य पंडाल में सत्संग और प्रवचन की तैयारियां की गई हैं. संत रविदास धर्म के चेयरमैन और धर्म गुरु निरंजन दास जी महाराज वाराणसी पहुंच चुके हैं. उनके साथ बड़ी संख्या में उनके अनुयायी और संत रविदास धर्म को मानने वाले लोग भी यहां पहुंचे हैं. इसके साथ ही पंजाब से साढे 300 कुंटल से ज्यादा आटा तीन सौ कुंतल से ज्यादा दाल, इतना ही चावल और लगभग 20 ट्रक से ज्यादा सब्जियां मंगवाई गई है जो 2 दिन 8 और 9 फरवरी के आयोजन में शामिल होने आए लोगों को लंगर में परोसी जाएंगी.
रविदास जन्म स्थान पर 50 करोड रुपये की लागत से एक भव्य सत्संग हॉल भी बनाया जा रहा है. जिसके निर्माण की शुरुआत प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 2019 फरवरी महीने में ही की थी यह सत्संग हाल लाखों लोगों के बैठने की व्यवस्था के साथ तमाम सुविधाओं से लैस होगा.
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8 फरवरी की शाम संत रविदास पार्क नगवा में भव्य दीपदान का आयोजन किया जाएगा, जिसके बाद दूसरे दिन सुबह पूजा पाठ के साथ संत रविदास जयंती की शुरुआत होगी. भव्य मंदिर में आयोजन होंगे, जिसमें लाखों लोगों की मौजूदगी रहेगी. लोगों के रहने के लिए टेंट की व्यवस्था की जा चुकी है.
-किशन लाल, ट्रस्टी, संत रविदास ट्रस्ट