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वाराणसीः हिंदी साहित्यकारों के चुनिंदा शब्दों की लगाई गई पोस्टर प्रदर्शनी

वाराणसी के दुर्गकुंड स्थित धर्मसंघ में भारतीय लेखक शिविर गांधी और हिंदी सृजन विषय पर तीन दिवसीय राष्ट्रीय संगोष्ठी की जा रही है, जो 12 जनवरी से 14 जनवरी तक चलेगी. राष्ट्रीय संगोष्ठी में हिंदी साहित्य के महान रचनाकार, आलोचक और विद्वानों के चुनिंदा शब्दों की प्रदर्शनी भी लगाई गई है, जो बेहद खास है.

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Published : Jan 13, 2020, 2:34 PM IST

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poster exhibition

वाराणसीः दुर्गाकुंड स्थित धर्मसंघ शिक्षा मंडल सभागार में उत्तर प्रदेश हिंदी संस्थान लखनऊ, केंद्रीय हिंदी संस्थान आगरा, साहित्य अकादमी नई दिल्ली सहित श्रीविद्या न्यास के संयुक्त तत्वाधान में तीन दिवसीय राष्ट्रीय संगोष्ठी का आयोजन किया जा रहा है. इसका विषय भारतीय लेखक शिविर गांधी और हिंदी सृजन है. 12 जनवरी से लेकर 14 जनवरी चलने वाले इस राष्ट्रीय व्याख्यान में भारत भर के विद्वान सम्मिलित हो रहे हैं.

चुनिंदा शब्दों की प्रदर्शनी.

प्रदर्शनी से हिंदी के सफर को समझना होगा आसान
भारतीय हिंदी साहित्य के मर्मज्ञ विद्वान और आलोचकों, कथाकारों, व्याकरणकारों के चयनित शब्दों को प्रदर्शित किया गया है. जिससे युवा पीढ़ी समझ सके कि हमारे हिंदी साहित्य ने कितना लंबा संघर्ष किया है. पोस्टर प्रदर्शनी में महादेवी वर्मा, विद्यासागर मिश्र, भारतेंदु हरिश्चंद्र, आचार्य रामचंद्र शुक्ल जैसे विद्वानों के शब्दों को अंकित किया गया है.

यह भी पढ़ेंः-कमजोर पड़ा विपक्ष, CAA विरोधी बैठक से बसपा-तृणमूल के बाद आप और शिवसेना ने भी किया किनारा

आयोजक सदस्य अच्युतय मिश्र ने बताया कि राष्ट्रीय संगोष्ठी में हिंदी साहित्य के महान रचनाकारों के चुनिंदा शब्दों की प्रदर्शनी लगाई गई है. इस प्रदर्शनी के द्वारा इस पीढ़ी को पता चल सकेगा कि जिन शब्दों का प्रयोग हम करते हैं, उन शब्दों की रचना पहले किन विद्वानों ने की. इससे हिंदी साहित्य के सफर को समझने में आसानी होगी.

वाराणसीः दुर्गाकुंड स्थित धर्मसंघ शिक्षा मंडल सभागार में उत्तर प्रदेश हिंदी संस्थान लखनऊ, केंद्रीय हिंदी संस्थान आगरा, साहित्य अकादमी नई दिल्ली सहित श्रीविद्या न्यास के संयुक्त तत्वाधान में तीन दिवसीय राष्ट्रीय संगोष्ठी का आयोजन किया जा रहा है. इसका विषय भारतीय लेखक शिविर गांधी और हिंदी सृजन है. 12 जनवरी से लेकर 14 जनवरी चलने वाले इस राष्ट्रीय व्याख्यान में भारत भर के विद्वान सम्मिलित हो रहे हैं.

चुनिंदा शब्दों की प्रदर्शनी.

प्रदर्शनी से हिंदी के सफर को समझना होगा आसान
भारतीय हिंदी साहित्य के मर्मज्ञ विद्वान और आलोचकों, कथाकारों, व्याकरणकारों के चयनित शब्दों को प्रदर्शित किया गया है. जिससे युवा पीढ़ी समझ सके कि हमारे हिंदी साहित्य ने कितना लंबा संघर्ष किया है. पोस्टर प्रदर्शनी में महादेवी वर्मा, विद्यासागर मिश्र, भारतेंदु हरिश्चंद्र, आचार्य रामचंद्र शुक्ल जैसे विद्वानों के शब्दों को अंकित किया गया है.

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आयोजक सदस्य अच्युतय मिश्र ने बताया कि राष्ट्रीय संगोष्ठी में हिंदी साहित्य के महान रचनाकारों के चुनिंदा शब्दों की प्रदर्शनी लगाई गई है. इस प्रदर्शनी के द्वारा इस पीढ़ी को पता चल सकेगा कि जिन शब्दों का प्रयोग हम करते हैं, उन शब्दों की रचना पहले किन विद्वानों ने की. इससे हिंदी साहित्य के सफर को समझने में आसानी होगी.

Intro:वाराणसी के दुर्गाकुंड स्थित धर्म शिक्षा मंडल सभागार में उत्तर प्रदेश हिंदी संस्थान लखनऊ केंद्रीय हिंदी संस्थान आगरा, साहित्य अकादमी नई दिल्ली और सहित श्रीविद्या न्यास के संयुक्त तत्वाधान में तीन दिवसीय राष्ट्रीय संगोष्ठी का आयोजन किया गया। इसका विषय भारतीय लेखक शिविर गांधी और हिंदी सृजन रहा। 12 जनवरी से लेकर 14 जनवरी तक चलने वाले इस राष्ट्रीय व्याख्यान में भारत के विभिन्न जिलों से विद्वान सम्मिलित हुए।



Body:राष्ट्रीय संगोष्ठी में पोस्टर प्रदर्शनी भी लगया गया। यह पोस्टर प्रदर्शनी इसलिए खास है। कि आज की युवा पीढ़ी केवल उन्हीं बातों को समझ पाती है। उन्हीं बातों को जान पाती है। जो किसी पुस्तक में लिखी हो लेकिन बहुत से ऐसी चीजें हैं जो स्मृति शेष में आज भी लोगों के मन मस्तिष्क में विद्यमान हैं। उन्हीं चीजों की यह प्रदर्शनी लगाई गई।जिसमें भारतीय हिंदी साहित्य के मर्मज्ञ विद्वान और आलोचकों कथाकारओं व्याकरणकारों के चयनित शब्दों की प्रदर्शनी लगाई गई। जिसे युवा पीढ़ी समझ सके कि हमारा हिंदी साहित्य ने कितना लंबा संघर्ष किया है। गांधीजी की डेट सभी जयंती के अवसर पर उनके बहुत से चुनिंदा शब्दों को भी पोस्टर के माध्यम से प्रदर्शित किया गया। पोस्टर प्रदर्शनी में महादेवी वर्मा, विद्यासागर मिश्र, भारतेंदु हरिश्चंद्र, आचार्य रामचंद्र शुक्ल, ऐसे विद्वानों की शब्दों की प्रदर्शनी रहा।


Conclusion:अच्युतय मिश्र ने बताया राष्ट्रीय संगोष्ठी में हिंदी साहित्य के महान रचनाकार आलोचक और विद्वानों की चुनिंदा शब्दों की प्रदर्शनी लगाई गई है। जिससे हमें आने वाली पीढ़ी उनके लेखनी को समझ सके और जो बातें आज हम जान पा रहे हैं।यह समझने का प्रयास करें उन लोगों ने बहुत पहले ही इसकी रचना कर दी इसलिए हमें यह समझना होगा कि हमारा हिंदी साहित्य कितना लंबा सफर तय करके आज हमारे सक्षम विकसित रूप में खड़ा है।

बाईट :-- अच्युतय मिश्र, आयोजक सदस्य,

आशुतोष उपाध्याय
7007459303
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