वाराणसी: बाबा विश्वनाथ के भक्त काशी के कोतवाल के पास हाजिरी लगाने तो लोग पहले भी आते रहे हैं. मगर भक्तों की संख्या में उछाल तब आया जब काशी विश्वनाथ कॉरिडोर बनकर तैयार हुआ. लेकिन, इससे पहले यहां पर राजनेताओं के आवागमन ने बनारस के पर्यटन को एक नया नाम दे दिया. यह नया नाम है पॉलिटिकल टूरिज्म. इसके जरिए बनारस के पर्यटन कारोबार में लगभग 30 फीसद का उछाल देखने को मिला है. इस उछाल ने ट्रांसपोर्ट से लेकर के रेस्टोरेंट कारोबारियों को खासा लाभ दिया है.
पॉलिटिकल टूरिज्म का सीधा सा मतलब है कि पॉलिटिकल एक्टिविटीज के कारण आने वाले लोगों की संख्या. वाराणसी में इसकी वजह से भी लोगों का आना रहा है. पिछले कई साल में यहां पर बड़े इवेंट्स हुए हैं, जिसके चलते भारी मात्रा में लोग बाहर से भी यहां आए हैं. वैसे देखा जाए तो जब से वाराणसी संसदीय क्षेत्र पर प्रधानमंत्री का कब्जा हुआ है तब से यहां पॉलिटिकल एक्टिविटीज ज्यादा हुई हैं.
मंदी में भी पॉलिटिकल टूरिज्म उछाल पर थाः ट्रैवल ऑपरेटर प्रदीप राय का कहना है कि मंदी के टाइम पर भी वाराणसी में जो टूरिज्म बढ़ा है वो पॉलिटिकल टूरिज्म था. इसमें ग्रुप में लोगों की ट्रैवलिंग होती रही. वाराणसी के व्यवसायियों और यहां के टूरिज्म में लगे लोगों के पास न तो ट्रांसपोर्ट खाली था, न कोई होटल खाली रहा. लगभग पूरी बुकिंग हुई है. यह कार्यक्रम रोजाना बना रहा. टूरिज्म के क्षेत्र में श्रद्धालु और पर्यटकों के साथ ही पॉलिटिकल एक्टिविटीज से वाराणसी को बहुत बड़ा सपोर्ट मिला है. यहां पर आने वाले पर्यटकों की संख्या बढ़ी और वाराणसी के व्यवसायियों को आर्थिक लाभ भी पहुंचा.
जुलाई 2022 में दस गुना बढ़े काशी आने वाले पर्यटकः पर्यटन विभाग के आंकड़ों की बात करें तो यहां आने वाले पर्यटकों की संख्या बढ़ती गई है. साल 2022 में जुलाई में 40,03,288 पर्यटक आए थे. ये संख्या जुलाई 2017 के मुकाबले करीब दस गुना ज्यादा है. जुलाई 2017 में कुल 4,61,650 संख्या दर्ज की गई थी. ये संख्या भारतीय पर्यटकों की थी. वहीं विदेशी पर्यटकों की संख्या में कोरोना काल के बाद 174 गुना का इजाफा दर्ज किया गया. जुलाई 2022 में 12,578 विदेश पर्यटक बनारस घूमने के लिए आए थे. वहीं इनकी संख्या 2021 में सिर्फ 72 ही थी.
पॉलिटिकल कॉन्फ्रेंस और जी-20 की वजह से आए अधिक लोगः प्रदीप राय ने बताया कि प्रत्येक महीने वाराणसी में 25 से 30 प्रतिशत टूरिज्म बढ़ा है. वाराणसी ग्लोबली पहचान बना चुका है. हमारे पीएम यहां से सांसद हैं. दुनिया का सबसे जीवित शहर है वाराणसी. यहां पर काशी विश्वनाथ मंदिर भी है. इसकी वजह से वाराणसी काफी हाईलाइट हुआ. इसके साथ ही पॉलिटिकल इवेंट हुए हैं, जिसमें जी-20 था, सारे कॉन्फ्रेंस रहे, इन सभी का सारा शेड्यूल वाराणसी में ही रहा है.
प्रधानमंत्री मोदी और सीएम योगी ने खुद की मार्केटिंगः साल 2014 के बाद से वाराणसी में हर साल विकास के कार्य देखे गए हैं. श्री काशी विश्वनाथ मंदिर का जीर्णोद्धार हो या फिर गंगा के घाटों का नवीनीकरण. हर कार्य को एक बड़े प्रोजेक्ट के तौर पर पेश किया गया. साथ ही उन्हें सीधे लोगों से कनेक्ट रखा गया. वाराणसी में जितने भी बदलाव किए गए, जो भी नए निर्माण कार्य किए गए उन सभी की मार्केटिंग खुद सीएम योगी आदित्यनाथ और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने की है. भारत में कौन नहीं चाहेगा कि हम वहां जाकर इस बदलाव को देखें. इसी वजह से पूरे देशभर ले लोगों का बनारस में आना रहा है.
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