वाराणसी: स्वनिधि से समृद्धि के मूलमंत्र के लक्ष्य का उद्देश्य लेकर भारत सरकार के आवासन एवं शहरी मंत्रालय द्वारा पीएम स्वनिधि योजना के उत्तरी जोन की बैठक मंगलवार को वाराणसी में हुई. केंद्रीय वित्त राज्य मंत्री डॉ. भागवत किशनराव कराड ने सम्मेलन की शुरुआत की. कार्यक्रम की शुरुआत दीप प्रज्वलित कर की गयी. कोविड काल के बाद स्ट्रीट वेंडर्स को पुनः खड़ा करने के लिए प्रधानमंत्री ने 1 जून, 2020 को स्वनिधि की शुरुआत की थी. जिसमें रेहड़ी, पटरी व्यवसायियों को प्रथम इंस्टॉलमेंट में दस हजार, द्वितीय इंस्टॉलमेंट में बीस हजार और तृतीय इंस्टॉलमेंट में पच्चास हजार का लोन दिया जाता है.
केंद्रीय वित्त राज्य मंत्री डॉ. भागवत किशनराव कराड ने कहा कि वाराणसी पवित्र शहर है. सातवीं जोनल कॉन्फ्रेंस का काम प्रधानमंत्री के सपने को पूरा करना है. उन्होंने कहा कि स्वनिधि योजना से सभी गरीब रेहड़ी पटरी व्यवसायियों को ऊपर उठाने का हमारा लक्ष्य है. उन्होंने बताया कि सरकार का टार्गेट 50 लाख लोगों को इस योजना का लाभ देना था, जिसके सापेक्ष अब तक 45 लाख से अधिक लोगों को इस योजना का लाभ दिया जा सका है.
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उन्होंने स्वनिधि से समृद्ध लाभार्थियों के घर/परिवार के लोगों के बारे में भी जानकारी लेने का निवेदन करते हुए कहा कि उनको जो भी जरूरत हो, उसकी जरूरत सरकार की विभिन्न योजनाओं के माध्यम से पूरी की जाए. हम सभी एक ध्येय बना कर चलें. तभी समाज के कमजोर वर्गों को हम ऊपर उठा सकते है. इस योजना का प्रमुख उद्देश्य हमारा यही है.
भूषण कुमार संयुक्त सचिव वित्त मंत्रालय ने बताया कि स्वनिधि योजना की सफलता 2014 में शुरू हुई जनधन योजना के चलते है. 2014 से अब तक 50 करोड़ से ज्यादे जनधन अकाउंट खुले हैं. उसमें लगभग 2 लाख करोड़ रुपये जमा भी हैं. वित्त सचिव एसएमए रिजवी उत्तर प्रदेश सरकार ने बताया कि स्वनिधि योजना में उत्तर प्रदेश लगातार प्रथम स्थान हासिल किये हुए है. सरकार लगातार इस योजना के तहत डिजिटल पेमेंट को बढ़ावा दे रही है. जिसमें 5 लाख 65 हजार वेंडरों द्वारा डिजिटल पेमेंट किया भी जा रहा है तथा उत्तर प्रदेश में इस योजना के लाभार्थियों के परिवारजनों में अब तक 21 लाख 63 हजार लोगों को शासन की विभिन्न योजनाओं का लाभ दिया जा रहा है.
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