वाराणसी: वाराणसी के काशी विश्वनाथ मंदिर में सुरक्षाकर्मियों, सेवादारों और पुजारियों को ठंड से बचाने के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने तोहफे के रूप में जूट के जूते भिजवाए हैं. वहीं दूसरी ओर कोरोना के दृष्टिगत मंदिर परिसर में आने वाले श्रद्धालुओं की सुरक्षा को देखते हुए गर्भगृह में प्रवेश पर मंदिर प्रशासन की ओर से रोक लगा दी गई है. साथ ही नए नियम लागू कर दिए गए हैं.
बता दें कि मंदिर परिसर में लेदर और रबर से निर्मित जूते-चप्पल को पहनकर प्रवेश करना प्रतिबंधित है. ऐसे में भीषण ठंड में 8 घंटे की ड्यूटी सुरक्षाकर्मियों के लिए और वो भी बिना जूते-चप्पल के खासा मुश्किल हो रही थी. इसी को देखते हुए बीते दिनों सुरक्षाकर्मियों को लकड़ी की खड़ाऊ भेंट की गई थी, लेकिन लकड़ी की खड़ाऊ पहनकर भी वो ड्यूटी समुचित रूप से नहीं कर पा रहे थे.
पीएम ने भी दर्शन-पूजन के दौरान इनकी समस्या देखी थी, जिसके बाद पीएमओ कार्यालय की ओर से सभी सुरक्षाकर्मियों, सेवादारों और पुजारियों के लिए जूट से निर्मित जूते भिजवाए गए हैं. इस बाबत मंडलायुक्त दीपक अग्रवाल ने बताया कि आज सभी कर्मचारियों, सेवादारों और सुरक्षाकर्मियों में लगभग 100 जोड़ी जूतों का वितरण किया गया है. यह पीएमओ कार्यालय की ओर से भेजा गया है.
उन्होंने बताया कि मंदिर परिसर में ड्यूटी करने वाले कर्मचारियों की परेशानी को पीएम मोदी ने संज्ञान में लिया था, जिसके बाद जूट से बने जूते को मंदिर प्रशासन को भिजवाया गया है. जिसे सभी लोगों में वितरित किया जा रहा है. वहीं, कोरोना के बढ़ते केस देखते हुए काशी विश्वनाथ मंदिर परिसर के गर्भगृह में भक्तों के प्रवेश पर अगले आदेश तक रोक लगा दी गई है.
वहीं, मंडलायुक्त दीपक अग्रवाल ने बताया कि दूसरे अन्य शहरों से रोजाना बाबा के दर्शन व पूजन को बड़ी संख्या में लोग आ रहे हैं. ऐसे में कोरोना गाइडलाइन का पालन और सोशल डिस्टेंसिंग बनी रहे, इस लिहाज से यह निर्णय लिया गया है. उन्होंने बताया कि अब भक्त बाबा के गर्भगृह में प्रवेश नहीं कर पाएंगे.
बाहर से ही उन्हें बाबा का झांकी दर्शन कराया जाएगा और जल्द ही जलाभिषेक के लिए गर्भगृह के पास विशेष पात्र लगाए जाएंगे. ऐसे में भक्त बाबा का जलाभिषेक व दुग्ध अभिषेक कर सकेंगे. बता दें कि विश्वनाथ धाम के लोकार्पण के बाद धाम में सामान्य दिनों से 5 से 8 गुना ज्यादा संख्या में भक्त दर्शन करने के लिए पहुंच रहे थे और लगातार यह भीड़ बढ़ती जा रही थी. लेकिन कोरोना के बढ़ते मामले को देखते हुए मंदिर शासन ने उक्त निर्णय लिया है.
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