वाराणसी: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी 16 फरवरी को संसदीय क्षेत्र वाराणसी आ रहे हैं. इस दौरान जंगमबाड़ी मठ में रखे लगभग 1400 साल पुरानी ऐतिहासिक ताम्र और भोजपत्र के दस्तावेजों का पीएम मोदी अवलोकन भी करेंगे. दरअसल ये दस्तावेज बीते 1400 सालों में भारतवर्ष के हिंदू और मुस्लिम शासकों की ओर से अलग-अलग कालखंड में जंगमबाड़ी को दान में दिए गए हैं.
प्राचीन दस्तावेजों का पीएम करेंगे अवलोकन
16 फरवरी को पीएम मोदी काशी के जंगमबाड़ी में हिन्दू और मुस्लिम शासकों के कालखंड में रखे दस्तावेजों को परखेंगे. इनमें सबसे पुराना दस्तावेज छठी शताब्दी का है, जो काशी नरेश जयनंद महाराज के काल का है. जंगम बाबा की शिव भक्ति से प्रभावित होकर महाराज ने मठ के लिए यह स्थान दान में दिया था. साथ ही मुगल काल के शासक जहांगीर, शाहजहां और अकबर के ताम्र और भोजपत्र के दस्तावेज भी यहां पर सुरक्षित मौजूद हैं.
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प्रदर्शनी में शामिल होंगी 30 प्रतियां
मठ के महास्वामी डॉ. चंद्रशेखर शिवाचार्य जी महाराज का कहना है कि एक फरमान सन् 1076 का है और शेष में चार फरमान अकबर, तीन औरंगजेब और 2 दारा शिकोह और शाहजहां के दिए गए हैं. एक फरमान जहांगीर की ओर से जारी किया गया है. पीएम को दिखाने के लिए मूल दस्तावेजों की प्रदर्शनी संजीवनी समाधि के पीछे वाले आंगन में लगाई जाएगी. प्रदर्शनी में कुल 30 प्रतियां प्रदर्शित की जाएंगी.
अंग्रेजी में अनुवादित हैं सारी प्रतियां
मठ के महास्वामी का कहना है कि इन सभी दस्तावेजों को इलाहाबाद हाईकोर्ट द्वारा प्रमाणित और अनुवादित भी कराया जा चुका है. इसकी सारी प्रतियां अंग्रेजी में अनुवादित करके मठ के तरफ से एक किताब भी जारी की गई है. साथ ही यह प्रदर्शनी हाईकोर्ट के शताब्दी वर्ष समारोह में भी प्रदर्शनी में लगाई गई थी, जिसका उद्घाटन उस वक्त डॉ. सर्वपल्ली राधाकृष्णन ने किया था.
19 भाषाओं में है प्रतियों का अनुवाद
प्रधानमंत्री मोदी यहां वीरशैवा कुंभ में हिस्सा लेंगे. यात्रा के दौरान वे जंगम बाबा की संजीवनी समाधि का पूजन भी करेंगे और छठवीं शताब्दी से लेकर सोलहवीं शताब्दी तक के मूल दानपत्रों की प्रदर्शनी में दस्तावेजों का अवलोकन भी करेंगे. इसके अतिरिक्त पीएम श्री सिद्धांत शिखामणि नामक दार्शनिक ग्रंथ का विमोचन करेंगे और श्री सिद्धांत शिखामणि नाम से ऐप भी लॉन्च करेंगे. इस ऐप को 19 भाषाओं में अनुवादित किया गया है.
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