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Pitru Paksha Shradh 2021: पितृपक्ष आज से प्रारंभ, काशी के पिशाचमोचन कुंड पर उमड़ी लोगों की भीड़

सनातन धर्म में इस पितृपक्ष का काफी महत्व है, इस दौरान लोग अपने पूर्वजों को याद करते हैं और पितृ ऋण से मुक्ति के लिए पिंडदान और दान पुण्य करते हैं. 21 सितंबर मंगलवार से पितृपक्ष शुरू हो गया है. इस बार यह 16 दिनों का होगा. यही वजह है कि मोक्ष की नगरी काशी में देश के विभिन्न राज्यों से सनातन धर्म के लोग अपने पूर्वजों की आत्मा की शांति के लिए पिशाचमोचन कुंड पर पिंडदान और श्राद्ध करने आ रहे हैं.

Pitru Paksha Shradh 2021
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Published : Sep 21, 2021, 8:57 AM IST

वाराणसी: धर्म और आध्यात्म की नगरी काशी वैसे तो मोक्ष की नगरी के नाम से जानी जाती है, कहा जाता है यहां प्राण त्यागने वाले हर इन्सान को भगवान शंकर खुद मोक्ष प्रदान करते हैं. साथ ही यहां ये भी मान्यता है कि जिन लोगों की काशी से बाहर या काशी में अकाल मृत्यु हुई हो तो उन आत्माओं को भी काशी के पिशाचमोचन कुंड पर त्रिपिंडी श्राद्ध करने से मोक्ष मिल जाता हैं. यही वजह है कि मोक्ष की नगरी काशी में देश के विभिन्न राज्यों से सनातन धर्म के लोग अपने पूर्वजों की आत्मा की शांति के लिए पिशाचमोचन कुंड पर पिंडदान और श्राद्ध करते हैं.

देश भर से जुटे श्रद्धावान
दरअसल, आज 21 सितंबर से 16 दिनों तक चलने वाले पखवारे पितृपक्ष की शुरुआत हो गई है. पितृपक्ष की शुरुआत से पहले काशी में श्राद्ध कर्म पिंडदान व तर्पण करने वालों की भारी भीड़ उमड़ी है. ऐसी मान्यता है कि जिन लोगों को गया में अपने पितरों का पिंडदान, श्राद्ध, कर्म और तर्पण करना होता है. काशी के पिशाचमोचन कुंड पर पहले पहुंचकर अनुष्ठान व पूजा पाठ संपन्न करवाना होता है. नारायण बलि, त्रिपिंडी श्राद्ध समेत अन्य श्राद्ध कर्म काशी के इस पौराणिक कुंड पर संपन्न कराने के बाद ही लोग गया के लिए रवाना होते हैं. इसलिए काशी में 21 सितंबर से लेकर 6 अक्टूबर तक कुंड पर लोगों की जबरदस्त भीड़ देखने को मिलेगी और लोगों ने दूर-दूर से काशी में पहुंचना भी शुरू कर दिया है.

काशी के पिशाचमोचन कुंड पर उमड़ी लोगों की भीड़

इसे भी पढ़ें- पितृपक्ष के पहले दिन गया की फल्गु नदी के तट पर पिंडदान जारी, जानें विधि-विधान और महत्व

काशी में श्राद्ध कर्म इसलिए है महत्वपूर्ण
अर्पण और तर्पण के साथ पितरों को श्रद्धा सुमन अर्पित करने का पावन कर्म श्राद्ध कर्म माना गया है. श्राद्ध कर्म संपन्न करने का समय है, पितृ पक्ष आश्विन कृष्ण प्रतिपदा से अमावस्या तक पंद्रह दिन का समय पितरों का होता है. मोक्ष दायिनी काशी में श्राद्ध कर्म की महत्ता का वर्णन पुराणों में है. पितरों को मोक्ष गति प्राप्त हो ऐसी मनोकामना मन में लिए देश ही नहीं दुनिया के कोने-कोने से पितरों को मोक्ष दिलाने के लिए पिंडदान करने लोग वाराणसी आते हैं. पितृ पक्ष के प्रारंभ होते ही वाराणसी का पिशाच मोचन और गंगा के घाट श्राद्ध कर्म करने वालो से पट जाते हैं. इसके अलावा बड़ी संख्या में लोग पूरे पखवाड़े काशी के पिशाच मोचन कुंड समेत मणिकर्णिका तीर्थ पर पहुंचकर अपनों के मुक्ति की कामना करते हैं. पिशाच मोचन कुंड के बारे में ऐसी मान्यता है कि इस पौराणिक कुंड का वर्णन गरुड़ पुराण में है और इसकी उत्पत्ति धरती पर मां गंगा के आने से पहले बताई जाती है.

काशी के पिशाचमोचन कुंड पर उमड़ी लोगों की भीड़
काशी के पिशाचमोचन कुंड पर उमड़ी लोगों की भीड़

इसे भी पढ़ें-इस बार 15 नहीं 16 दिन का होगा पितृपक्ष, 21 सितंबर से हो रहा शुरू

वाराणसी: धर्म और आध्यात्म की नगरी काशी वैसे तो मोक्ष की नगरी के नाम से जानी जाती है, कहा जाता है यहां प्राण त्यागने वाले हर इन्सान को भगवान शंकर खुद मोक्ष प्रदान करते हैं. साथ ही यहां ये भी मान्यता है कि जिन लोगों की काशी से बाहर या काशी में अकाल मृत्यु हुई हो तो उन आत्माओं को भी काशी के पिशाचमोचन कुंड पर त्रिपिंडी श्राद्ध करने से मोक्ष मिल जाता हैं. यही वजह है कि मोक्ष की नगरी काशी में देश के विभिन्न राज्यों से सनातन धर्म के लोग अपने पूर्वजों की आत्मा की शांति के लिए पिशाचमोचन कुंड पर पिंडदान और श्राद्ध करते हैं.

देश भर से जुटे श्रद्धावान
दरअसल, आज 21 सितंबर से 16 दिनों तक चलने वाले पखवारे पितृपक्ष की शुरुआत हो गई है. पितृपक्ष की शुरुआत से पहले काशी में श्राद्ध कर्म पिंडदान व तर्पण करने वालों की भारी भीड़ उमड़ी है. ऐसी मान्यता है कि जिन लोगों को गया में अपने पितरों का पिंडदान, श्राद्ध, कर्म और तर्पण करना होता है. काशी के पिशाचमोचन कुंड पर पहले पहुंचकर अनुष्ठान व पूजा पाठ संपन्न करवाना होता है. नारायण बलि, त्रिपिंडी श्राद्ध समेत अन्य श्राद्ध कर्म काशी के इस पौराणिक कुंड पर संपन्न कराने के बाद ही लोग गया के लिए रवाना होते हैं. इसलिए काशी में 21 सितंबर से लेकर 6 अक्टूबर तक कुंड पर लोगों की जबरदस्त भीड़ देखने को मिलेगी और लोगों ने दूर-दूर से काशी में पहुंचना भी शुरू कर दिया है.

काशी के पिशाचमोचन कुंड पर उमड़ी लोगों की भीड़

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काशी में श्राद्ध कर्म इसलिए है महत्वपूर्ण
अर्पण और तर्पण के साथ पितरों को श्रद्धा सुमन अर्पित करने का पावन कर्म श्राद्ध कर्म माना गया है. श्राद्ध कर्म संपन्न करने का समय है, पितृ पक्ष आश्विन कृष्ण प्रतिपदा से अमावस्या तक पंद्रह दिन का समय पितरों का होता है. मोक्ष दायिनी काशी में श्राद्ध कर्म की महत्ता का वर्णन पुराणों में है. पितरों को मोक्ष गति प्राप्त हो ऐसी मनोकामना मन में लिए देश ही नहीं दुनिया के कोने-कोने से पितरों को मोक्ष दिलाने के लिए पिंडदान करने लोग वाराणसी आते हैं. पितृ पक्ष के प्रारंभ होते ही वाराणसी का पिशाच मोचन और गंगा के घाट श्राद्ध कर्म करने वालो से पट जाते हैं. इसके अलावा बड़ी संख्या में लोग पूरे पखवाड़े काशी के पिशाच मोचन कुंड समेत मणिकर्णिका तीर्थ पर पहुंचकर अपनों के मुक्ति की कामना करते हैं. पिशाच मोचन कुंड के बारे में ऐसी मान्यता है कि इस पौराणिक कुंड का वर्णन गरुड़ पुराण में है और इसकी उत्पत्ति धरती पर मां गंगा के आने से पहले बताई जाती है.

काशी के पिशाचमोचन कुंड पर उमड़ी लोगों की भीड़
काशी के पिशाचमोचन कुंड पर उमड़ी लोगों की भीड़

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