वाराणसी: लोकसभा चुनाव 2019 की तारीखों का ऐलान हो चुका है और अब हर कोई अपने सांसदों के कार्यों का आकलन करने में जुट गया है. इन सबके बीच यह जानना जरूरी हो गया है कि आपके सांसद की मौजूदगी संसद में कितनी रही, क्योंकि जब एक जनप्रतिनिधि के रूप में आप किसी को चुनकर संसद में भेजते हैं तो वह आपकी समस्याओं को लेकर संसद में जाता है या नहीं.
ऐसी स्थिति में उत्तर प्रदेश के ऐसे कई सांसद हैं जो वीआइपी हैं और बड़ी पार्टी से ताल्लुक रखते हैं. इनमें कन्नौज से डिंपल यादव, मथुरा से हेमा मालिनी, अमेठी से राहुल गांधी, रायबरेली से सोनिया गांधी, गोरखपुर से प्रवीण निषाद, फिरोजाबाद से अक्षय यादव, आगरा से रामशंकर कठेरिया, सुल्तानपुर से वरुण गांधी के नाम शामिल हैं. सबसे बड़ी बात यह है कि राष्ट्रीय औसत की बात की जाए तो संसद में 80 प्रतिशत उपस्थिति होनी जरूरी है. वहीं सभी सांसदों की मौजूदगी 80 प्रतिशत से बेहद कम है.
पीएम मोदी के संसदीय क्षेत्र वाराणसी के लोग हर मुद्दे पर खुलकर अपनी राय रखते हैं और संसद में तमाम उत्तर प्रदेश के सांसदों की कम उपस्थिति के मुद्दे पर भी लोगों ने अपनी बेबाक प्रतिक्रिया दी. अलग-अलग सेक्टर से जुड़े लोगों ने अपनी बातें रखते हुए कहा कि ऐसे सांसद जो संसद में ही न जाएं वह यह साबित कर रहे हैं कि उनको जनता की समस्याओं से कोई लेना-देना नहीं है.
नौकरी पेशा मनोज कुमार त्रिपाठी का कहना है कि यह लोग माननीय हैं. सांसद मानते हैं कि इनका संसद में जाना इनकी बेइज्जती है. जब यह संसद जाएंगे ही नहीं तो हमारी क्या समस्याएं रखेंगे, यह सोचने वाली बात है. वहीं अश्विनी कुमार शाही का कहना है कि राहुल गांधी, सोनिया गांधी, डिंपल यादव यह लोग वीआईपी हैं. यह पब्लिक के बीच में जाना खुद की बेइज्जती समझते हैं. सिर्फ चुनाव के वक्त इनको पब्लिक की याद आती है.
इस मुद्दे पर और भी लोगों ने अपनी राय रखी. एक प्राइवेट कंपनी में नौकरी करने वाले रवि सिंह ने कहा कि अगर सांसद संसद में नहीं जा रहे हैं तो इसका मतलब साफ है कि उन तक जन समस्याएं पहुंच ही नहीं रही है. जब सांसदों तक जन समस्याएं नहीं पहुंचेंगी तो वह संसद जाकर क्या करेंगे, इसलिए ऐसे लोगों के बारे में इस बार जनता को सोचना होगा.
वहीं, अमित श्रीवास्तव का कहना है कि सांसद ऐसा हो जिसको उसके क्षेत्र में बच्चा-बच्चा जाने. अगर सांसद अपने क्षेत्र में नहीं जाएगा तो उसको लोग नहीं जानेंगे और वह समस्याएं लेकर संसद में नहीं जा पाएगा. उन्होंने प्रधानमंत्री मोदी का जिक्र करते हुए कहा कि बनारस उनका संसदीय क्षेत्र है. जिस तरह से उन्होंने बनारस में एक के बाद एक दौरे किए हैं उसके बाद कोई यह नहीं कह सकता कि मैं अपने सांसद को नहीं जानता हूं.
राजीव चौबे का कहना है कि यह शर्मनाक है कि हमारे जनप्रतिनिधि जनता का प्रतिनिधित्व करने के लिए संसद में जा ही नहीं रहे हैं. इसलिए ऐसे लोगों को इस दिशा में बेहद गंभीरता से सोचना चाहिए कि वह जब वोट लेने आते हैं तो जनता के हितों की बात करते हैं और चुनाव खत्म होते ही जनता को भूल जाते हैं.