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बनारस के लोगों ने बेबाकी से कहा, जो संसद नहीं जाएंगे वह सांसद किस काम के

पीएम मोदी के संसदीय क्षेत्र वाराणसी के लोग हर मुद्दे पर खुलकर अपनी राय रखते हैं. संसद में तमाम उत्तर प्रदेश के सांसदों की कम उपस्थिति के मुद्दे पर भी लोगों ने अपनी बेबाक प्रतिक्रिया दी.

सांसदों के संसद में कम जाने पर प्रतिक्रिया देते लोग
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Published : Mar 13, 2019, 3:11 PM IST

वाराणसी: लोकसभा चुनाव 2019 की तारीखों का ऐलान हो चुका है और अब हर कोई अपने सांसदों के कार्यों का आकलन करने में जुट गया है. इन सबके बीच यह जानना जरूरी हो गया है कि आपके सांसद की मौजूदगी संसद में कितनी रही, क्योंकि जब एक जनप्रतिनिधि के रूप में आप किसी को चुनकर संसद में भेजते हैं तो वह आपकी समस्याओं को लेकर संसद में जाता है या नहीं.

ऐसी स्थिति में उत्तर प्रदेश के ऐसे कई सांसद हैं जो वीआइपी हैं और बड़ी पार्टी से ताल्लुक रखते हैं. इनमें कन्नौज से डिंपल यादव, मथुरा से हेमा मालिनी, अमेठी से राहुल गांधी, रायबरेली से सोनिया गांधी, गोरखपुर से प्रवीण निषाद, फिरोजाबाद से अक्षय यादव, आगरा से रामशंकर कठेरिया, सुल्तानपुर से वरुण गांधी के नाम शामिल हैं. सबसे बड़ी बात यह है कि राष्ट्रीय औसत की बात की जाए तो संसद में 80 प्रतिशत उपस्थिति होनी जरूरी है. वहीं सभी सांसदों की मौजूदगी 80 प्रतिशत से बेहद कम है.

पीएम मोदी के संसदीय क्षेत्र वाराणसी के लोग हर मुद्दे पर खुलकर अपनी राय रखते हैं और संसद में तमाम उत्तर प्रदेश के सांसदों की कम उपस्थिति के मुद्दे पर भी लोगों ने अपनी बेबाक प्रतिक्रिया दी. अलग-अलग सेक्टर से जुड़े लोगों ने अपनी बातें रखते हुए कहा कि ऐसे सांसद जो संसद में ही न जाएं वह यह साबित कर रहे हैं कि उनको जनता की समस्याओं से कोई लेना-देना नहीं है.

सांसदों के संसद में न जाने पर प्रतिक्रिया देते लोग.

नौकरी पेशा मनोज कुमार त्रिपाठी का कहना है कि यह लोग माननीय हैं. सांसद मानते हैं कि इनका संसद में जाना इनकी बेइज्जती है. जब यह संसद जाएंगे ही नहीं तो हमारी क्या समस्याएं रखेंगे, यह सोचने वाली बात है. वहीं अश्विनी कुमार शाही का कहना है कि राहुल गांधी, सोनिया गांधी, डिंपल यादव यह लोग वीआईपी हैं. यह पब्लिक के बीच में जाना खुद की बेइज्जती समझते हैं. सिर्फ चुनाव के वक्त इनको पब्लिक की याद आती है.

इस मुद्दे पर और भी लोगों ने अपनी राय रखी. एक प्राइवेट कंपनी में नौकरी करने वाले रवि सिंह ने कहा कि अगर सांसद संसद में नहीं जा रहे हैं तो इसका मतलब साफ है कि उन तक जन समस्याएं पहुंच ही नहीं रही है. जब सांसदों तक जन समस्याएं नहीं पहुंचेंगी तो वह संसद जाकर क्या करेंगे, इसलिए ऐसे लोगों के बारे में इस बार जनता को सोचना होगा.

वहीं, अमित श्रीवास्तव का कहना है कि सांसद ऐसा हो जिसको उसके क्षेत्र में बच्चा-बच्चा जाने. अगर सांसद अपने क्षेत्र में नहीं जाएगा तो उसको लोग नहीं जानेंगे और वह समस्याएं लेकर संसद में नहीं जा पाएगा. उन्होंने प्रधानमंत्री मोदी का जिक्र करते हुए कहा कि बनारस उनका संसदीय क्षेत्र है. जिस तरह से उन्होंने बनारस में एक के बाद एक दौरे किए हैं उसके बाद कोई यह नहीं कह सकता कि मैं अपने सांसद को नहीं जानता हूं.

राजीव चौबे का कहना है कि यह शर्मनाक है कि हमारे जनप्रतिनिधि जनता का प्रतिनिधित्व करने के लिए संसद में जा ही नहीं रहे हैं. इसलिए ऐसे लोगों को इस दिशा में बेहद गंभीरता से सोचना चाहिए कि वह जब वोट लेने आते हैं तो जनता के हितों की बात करते हैं और चुनाव खत्म होते ही जनता को भूल जाते हैं.

वाराणसी: लोकसभा चुनाव 2019 की तारीखों का ऐलान हो चुका है और अब हर कोई अपने सांसदों के कार्यों का आकलन करने में जुट गया है. इन सबके बीच यह जानना जरूरी हो गया है कि आपके सांसद की मौजूदगी संसद में कितनी रही, क्योंकि जब एक जनप्रतिनिधि के रूप में आप किसी को चुनकर संसद में भेजते हैं तो वह आपकी समस्याओं को लेकर संसद में जाता है या नहीं.

ऐसी स्थिति में उत्तर प्रदेश के ऐसे कई सांसद हैं जो वीआइपी हैं और बड़ी पार्टी से ताल्लुक रखते हैं. इनमें कन्नौज से डिंपल यादव, मथुरा से हेमा मालिनी, अमेठी से राहुल गांधी, रायबरेली से सोनिया गांधी, गोरखपुर से प्रवीण निषाद, फिरोजाबाद से अक्षय यादव, आगरा से रामशंकर कठेरिया, सुल्तानपुर से वरुण गांधी के नाम शामिल हैं. सबसे बड़ी बात यह है कि राष्ट्रीय औसत की बात की जाए तो संसद में 80 प्रतिशत उपस्थिति होनी जरूरी है. वहीं सभी सांसदों की मौजूदगी 80 प्रतिशत से बेहद कम है.

पीएम मोदी के संसदीय क्षेत्र वाराणसी के लोग हर मुद्दे पर खुलकर अपनी राय रखते हैं और संसद में तमाम उत्तर प्रदेश के सांसदों की कम उपस्थिति के मुद्दे पर भी लोगों ने अपनी बेबाक प्रतिक्रिया दी. अलग-अलग सेक्टर से जुड़े लोगों ने अपनी बातें रखते हुए कहा कि ऐसे सांसद जो संसद में ही न जाएं वह यह साबित कर रहे हैं कि उनको जनता की समस्याओं से कोई लेना-देना नहीं है.

सांसदों के संसद में न जाने पर प्रतिक्रिया देते लोग.

नौकरी पेशा मनोज कुमार त्रिपाठी का कहना है कि यह लोग माननीय हैं. सांसद मानते हैं कि इनका संसद में जाना इनकी बेइज्जती है. जब यह संसद जाएंगे ही नहीं तो हमारी क्या समस्याएं रखेंगे, यह सोचने वाली बात है. वहीं अश्विनी कुमार शाही का कहना है कि राहुल गांधी, सोनिया गांधी, डिंपल यादव यह लोग वीआईपी हैं. यह पब्लिक के बीच में जाना खुद की बेइज्जती समझते हैं. सिर्फ चुनाव के वक्त इनको पब्लिक की याद आती है.

इस मुद्दे पर और भी लोगों ने अपनी राय रखी. एक प्राइवेट कंपनी में नौकरी करने वाले रवि सिंह ने कहा कि अगर सांसद संसद में नहीं जा रहे हैं तो इसका मतलब साफ है कि उन तक जन समस्याएं पहुंच ही नहीं रही है. जब सांसदों तक जन समस्याएं नहीं पहुंचेंगी तो वह संसद जाकर क्या करेंगे, इसलिए ऐसे लोगों के बारे में इस बार जनता को सोचना होगा.

वहीं, अमित श्रीवास्तव का कहना है कि सांसद ऐसा हो जिसको उसके क्षेत्र में बच्चा-बच्चा जाने. अगर सांसद अपने क्षेत्र में नहीं जाएगा तो उसको लोग नहीं जानेंगे और वह समस्याएं लेकर संसद में नहीं जा पाएगा. उन्होंने प्रधानमंत्री मोदी का जिक्र करते हुए कहा कि बनारस उनका संसदीय क्षेत्र है. जिस तरह से उन्होंने बनारस में एक के बाद एक दौरे किए हैं उसके बाद कोई यह नहीं कह सकता कि मैं अपने सांसद को नहीं जानता हूं.

राजीव चौबे का कहना है कि यह शर्मनाक है कि हमारे जनप्रतिनिधि जनता का प्रतिनिधित्व करने के लिए संसद में जा ही नहीं रहे हैं. इसलिए ऐसे लोगों को इस दिशा में बेहद गंभीरता से सोचना चाहिए कि वह जब वोट लेने आते हैं तो जनता के हितों की बात करते हैं और चुनाव खत्म होते ही जनता को भूल जाते हैं.

Intro:वाराणसी: 2019 लोकसभा चुनाव की तारीखों का ऐलान हो चुका है और अब हर कोई अपने सांसदों के कार्यों का आकलन करने में जुट गया है इन सब के बीच या जरूरी हो गया है कि आपके सांसद की मौजूदगी संसद में कितनी रही क्योंकि यह बेहद जरूरी हो जाता है कि जब एक जनप्रतिनिधि के रूप में आप किसी को चुनकर संसद में भेजते हैं तो आपकी समस्याओं को लेकर संसद में जाता है या नहीं ऐसी स्थिति में उत्तर प्रदेश के ऐसे कई सांसद हैं जो वीआइपी हैं और बेहद ही बड़ी पार्टी से ताल्लुक रखते हैं इनमें कन्नौज से डिंपल यादव मथुरा से हेमा मालिनी अमेठी से राहुल गांधी रायबरेली से सोनिया गांधी गोरखपुर से प्रवीण निषाद फिरोजाबाद से अक्षय यादव आगरा से रामशंकर कठेरिया सावित्रीबाई फुले सुल्तानपुर से वरुण गांधी के नाम शामिल हैं सबसे बड़ी बात यह है कि राष्ट्रीय औसत की बात की जाए तो संसद में 80% अटेंडेंस होनी जरूरी है सभी सांसदों के सांसदों की मौजूदगी 80% से बेहद कम है जिसके बाद यह सवाल उठने लगा है कि आखिर जिनको हम अपने जनप्रतिनिधि के रूप में चुनकर संसद तक भेजते हैं वह जब संसद में जाएंगे ही नहीं तो जनता की समस्याओं को वहां रखेंगे कैसे इसी मुद्दे पर पीएम मोदी के संसदीय क्षेत्र वाराणसी के लोगों ने अपनी राय रखी और एक सुर में कहा कि ऐसे सांसद की हमें जरूरत ही नहीं जो ना ही क्षेत्र में आए और ना ही संसद में जाए क्योंकि हम भेजते हैं उन्हें अपनी समस्याओं को संसद में रखने के लिए लेकिन जब वह संसद पहुंचेंगे ही नहीं तो हमारी समस्याएं व क्या रखेंगे और क्या नहीं यह सोचने वाली बात है.


Body:वीओ-01 पीएम मोदी के संसदीय क्षेत्र वाराणसी के लोग हर मुद्दे पर खुलकर अपनी राय रखते हैं और संसद में तमाम उत्तर प्रदेश के सांसदों की कम उपस्थिति के मुद्दे पर भी लोगों ने अपनी बेबाक प्रतिक्रिया दी अलग अलग सेक्टर से जुड़े लोगों ने अपनी बातें रखते हुए कहा कि ऐसे सांसद जो संसद में ही ना जाएं वह यह साबित कर रहे हैं कि उनको जनता की समस्याओं से कोई लेना देना नहीं है नौकरी पेशा मनोज कुमार त्रिपाठी का कहना है कि यह लोग माननीय है और इनका संसद में जाना इनको अपनी बेज्जती समझ में आता है और जब हम इनको चुनते हैं तब इसलिए ही चुनते हैं कि हमारी समस्याओं को संसद में रखेंगे लेकिन जब यह संसद जाएंगे ही नहीं तो क्या समस्याएं रखेंगे या सोचने वाली बात है वही अश्विनी कुमार शाही का कहना है की राहुल गांधी सोनिया गांधी डिंपल यादव या लोग वीआईपी हैं यह पब्लिक के बीच में जाना खुद की बेज्जती समझते हैं सिर्फ चुनाव के वक्त इन को पब्लिक की याद आती है इस वजह से यह पब्लिक के बीच जाते ही नहीं है और इनको समस्याओं का पता ही नहीं चलता जब पब्लिक के बीच में जाने से कतराते हैं तो संसद में यह सोचकर नहीं जाते की संसद को तो हमने ही बनाया है तो हम वहां जाकर क्या करेंगे यह सोच ही साबित करती है कि ऐसे लोगों को सही मायने में चुनना ही नहीं चाहिए.

बाईट- मनोज कुमार त्रिपाठी, स्थानीय निवासी
बाईट- अश्विनी कुमार शाही, स्थानीय निवासी


Conclusion:वीओ-02 इस मुद्दे पर और भी लोगों ने अपनी राय रखी और एक प्राइवेट कंपनी में नौकरी करने वाले रवि सिंह ने कहा कि अगर सांसद संसद में नहीं जा रहे हैं तो इसका मतलब साफ है कि अंतर जन समस्याएं पहुंच ही नहीं रही है जब जन समस्याएं नहीं पहुंचेंगे तो यह संसद जाकर करेंगे क्या इसलिए ऐसे लोगों के बारे में इस बार जनता को सोचना होगा वही अमित श्रीवास्तव का कहना है कि सांसद ऐसा हो जिस को उसके क्षेत्र में बच्चा बच्चा जाने अगर सांसद अपने क्षेत्र में नहीं जाएगा उसको लोग नहीं जानेंगे और वह समस्याएं लेकर संसद में नहीं जा पाएगा उन्होंने प्रधानमंत्री मोदी का जिक्र करते हुए कहा कि बनारस उनका संसदीय क्षेत्र जिस तरह से उन्होंने बनारस में एक के बाद एक दौरे किए हैं उसके बाद कोई आ नहीं सकता कि मैं अपने सांसद को नहीं जानता हर कोई बनारस में प्रधानमंत्री मोदी को जानता है और उनकी मौजूदगी भी संसद में रहती है वहीं राजीव चौबे का कहना है यह शर्मनाक है कि हमारे जनप्रतिनिधि जनता का प्रतिनिधित्व करने के लिए संसद में जा ही नहीं रहे हैं इसलिए ऐसे लोगों को इस दिशा में बेहद गंभीरता से सोचना चाहिए कि वह जब वोट लेने आते हैं तो जनता के हितों की बात करते हैं और चुनाव खत्म होते ही जनता को भूल जाते हैं.

बाईट- रवि सिंह, स्थानीय निवासी
बाईट- अमित श्रीवास्तव, स्थानीय निवासी
बाईट- राजीव चौबे, स्थानीय निवासी

गोपाल मिश्रा
9839809074
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