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वाराणसी: नवरात्र के छठवें दिन करें देवी कात्यायनी की पूजा, अविवाहित कन्याओं को मिलेगा मनचाहा वर

आज चैत्र नवरात्रि का छठा दिन है. नवरात्र के छठवें दिन देवी कात्यायनी की पूजा और अराधना की जाती है. माता कात्यायनी को शत्रुओं का नाश करने वाली देवी के साथ ऋषि मुनियों की तपस्या के बल पर उत्पन्न हुई देवी के रूप में जाना जाता है.

नवरात्र के छठवें दिन करें देवी कात्यायनी की पूजा
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Published : Oct 4, 2019, 9:41 AM IST

वाराणसी: शारदीय नवरात्र में शक्ति स्वरूपा जगदंबा की नौ अलग-अलग रूपों में पूजा की जाती है. पहले दिन से शुरू हुआ यह सिलसिला 9 दिनों तक लगातार चलता है और भक्त मां के अलग-अलग रूप को पूजकर उनका आशीर्वाद प्राप्त करते हैं. इस क्रम में आज देवी दुर्गा के छठवें में रूप यानी कात्यायनी देवी के पूजा का विधान है. माता कात्यायनी को शत्रुओं का नाश करने वाली देवी के साथ ऋषि मुनियों की तपस्या के बल पर उत्पन्न हुई देवी के रूप में जाना जाता है. वहीं वामन पुराण में कात्यायन ऋषि के आश्रम में इकट्ठा हुए शक्तिपुंज से देवी कात्यायनी की उत्पत्ति का भी जिक्र मिलता है. तो आइए जानते हैं कैसे करें माता कात्यायनी की आराधना और कैसे उन्हें प्रसन्न करें.


इसे भी पढ़ें-लखनऊ: शैल पुत्री की पूजा-अर्चना संग चैत्र नवरात्रि की शुरूआत

दिव्य अलौकिक है मां कात्यायनी का रूप
देवी कात्यायनी के रूप तेज से भरा हुआ है. इस बारे में पंडित पवन त्रिपाठी का कहना है कि मां का रूप दिव्य अलौकिक और प्रकाशमान है. चार भुजाओं वाली माता के दाहिने हाथ ऊपर की तरफ है. नीचे वाला हाथ वर मुद्रा में है. जबकि बाई और के ऊपर वाले हाथ में माता के तलवार और नीचे वाले हाथ में कमल का फूल मौजूद है. सिंह पर सवार मां कात्यायनी अपने भक्तों के सभी दुखों का नाश करती हैं.

कृष्ण को पाने के लिए गोपियों ने किया था मां का पूजन
ज्योतिषाचार्य पंडित पवन त्रिपाठी का कहना है कि देवी कात्यायनी की पूजा शत्रु का नाश करने के लिए सबसे उत्तम मानी जाती है. लेकिन इससे जुड़ी एक कथा भी है जो की अविवाहित कन्याओं को मनचाहा वर पाने से जुड़ी हुई है. श्रीमद्भागवत में भी माता कात्यायनी का जिक्र है. जिसमें लाखों की संख्या में गोपियों ने एक कृष्ण को वर के रूप में पाने के लिए माता कात्यायनी की पूजा की थी और वह सफल भी हुई थी. इसलिए मनचाहे वर की प्राप्ति के लिए माता कात्यायनी की पूजा करना विशेष फलदाई माना जाता है. इसके साथ ही माता कात्यायनी को रोग, भय, शोक नाश करने वाली देवी के रूप में भी जाना जाता है.

माता के छठवें स्वरूप के बारे में जानकारी देते पंडित पवन त्रिपाठी.
शत्रु के नाश के लिए चढ़ाये माता को लाल रंग के पुष्पों पंडित पवन त्रिपाठी का कहना है कि माता कात्यायनी की पूजा का विधान बहुत ही सरल है. अविवाहित कन्याएं माता को हल्दी का लेपन करें और शत्रु का नाश करने के लिए माता को लाल रंग के पुष्पों की माला और रोली लगानी चाहिए. नारियल की बर्फी के साथ नारियल की बलि भी बेहद पसंद है. इतना ही नहीं माता कात्यायनी को शहद बेहद पसंद है और उनको शहद चढ़ाने मात्र से ही सभी मनोकामनाओं की पूर्ति होती है.इस मंत्र से करें माँ कात्यायनी की पूजाचंद्रहासोज्ज्वलकरा शार्दूलवरवाहना।कात्यायनी च शुभदा देवी दानववद्यातिनि।।अविवाहित कन्याएं इस मंत्र से करें आराधनाकात्यानी महामाये महायोगिन्यधीश्वरि।नन्दगोप सुतं देवी पतिम में कुर्ते नमः।।

वाराणसी: शारदीय नवरात्र में शक्ति स्वरूपा जगदंबा की नौ अलग-अलग रूपों में पूजा की जाती है. पहले दिन से शुरू हुआ यह सिलसिला 9 दिनों तक लगातार चलता है और भक्त मां के अलग-अलग रूप को पूजकर उनका आशीर्वाद प्राप्त करते हैं. इस क्रम में आज देवी दुर्गा के छठवें में रूप यानी कात्यायनी देवी के पूजा का विधान है. माता कात्यायनी को शत्रुओं का नाश करने वाली देवी के साथ ऋषि मुनियों की तपस्या के बल पर उत्पन्न हुई देवी के रूप में जाना जाता है. वहीं वामन पुराण में कात्यायन ऋषि के आश्रम में इकट्ठा हुए शक्तिपुंज से देवी कात्यायनी की उत्पत्ति का भी जिक्र मिलता है. तो आइए जानते हैं कैसे करें माता कात्यायनी की आराधना और कैसे उन्हें प्रसन्न करें.


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दिव्य अलौकिक है मां कात्यायनी का रूप
देवी कात्यायनी के रूप तेज से भरा हुआ है. इस बारे में पंडित पवन त्रिपाठी का कहना है कि मां का रूप दिव्य अलौकिक और प्रकाशमान है. चार भुजाओं वाली माता के दाहिने हाथ ऊपर की तरफ है. नीचे वाला हाथ वर मुद्रा में है. जबकि बाई और के ऊपर वाले हाथ में माता के तलवार और नीचे वाले हाथ में कमल का फूल मौजूद है. सिंह पर सवार मां कात्यायनी अपने भक्तों के सभी दुखों का नाश करती हैं.

कृष्ण को पाने के लिए गोपियों ने किया था मां का पूजन
ज्योतिषाचार्य पंडित पवन त्रिपाठी का कहना है कि देवी कात्यायनी की पूजा शत्रु का नाश करने के लिए सबसे उत्तम मानी जाती है. लेकिन इससे जुड़ी एक कथा भी है जो की अविवाहित कन्याओं को मनचाहा वर पाने से जुड़ी हुई है. श्रीमद्भागवत में भी माता कात्यायनी का जिक्र है. जिसमें लाखों की संख्या में गोपियों ने एक कृष्ण को वर के रूप में पाने के लिए माता कात्यायनी की पूजा की थी और वह सफल भी हुई थी. इसलिए मनचाहे वर की प्राप्ति के लिए माता कात्यायनी की पूजा करना विशेष फलदाई माना जाता है. इसके साथ ही माता कात्यायनी को रोग, भय, शोक नाश करने वाली देवी के रूप में भी जाना जाता है.

माता के छठवें स्वरूप के बारे में जानकारी देते पंडित पवन त्रिपाठी.
शत्रु के नाश के लिए चढ़ाये माता को लाल रंग के पुष्पों पंडित पवन त्रिपाठी का कहना है कि माता कात्यायनी की पूजा का विधान बहुत ही सरल है. अविवाहित कन्याएं माता को हल्दी का लेपन करें और शत्रु का नाश करने के लिए माता को लाल रंग के पुष्पों की माला और रोली लगानी चाहिए. नारियल की बर्फी के साथ नारियल की बलि भी बेहद पसंद है. इतना ही नहीं माता कात्यायनी को शहद बेहद पसंद है और उनको शहद चढ़ाने मात्र से ही सभी मनोकामनाओं की पूर्ति होती है.इस मंत्र से करें माँ कात्यायनी की पूजाचंद्रहासोज्ज्वलकरा शार्दूलवरवाहना।कात्यायनी च शुभदा देवी दानववद्यातिनि।।अविवाहित कन्याएं इस मंत्र से करें आराधनाकात्यानी महामाये महायोगिन्यधीश्वरि।नन्दगोप सुतं देवी पतिम में कुर्ते नमः।।
Intro:स्पेशल:

वाराणसी: शारदीय नवरात्र में शक्ति स्वरूपा जगदंबा की नौ अलग-अलग रूपों में पूजा की जाती है पहले दिन से शुरू हुआ यह सिलसिला 9 दिनों तक लगातार चलता है और भक्त मां के अलग-अलग रूप को पूजकर उनका आशीर्वाद प्राप्त करते हैं. इस क्रम में आज देवी दुर्गा के छठ में रूप यानी कात्यायनी देवी के पूजा का विधान है माता कात्यायनी को शत्रुओं का नाश करने वाली देवी के साथ ऋषि मुनियों की तपस्या के बल पर उत्पन्न हुई देवी के रूप में जाना जाता है. माता दुर्गा के छठे रूप देवी कात्यायनी का जिक्र स्कंद पुराण में भी है, कहा जाता है देवी की उत्पत्ति परमेश्वर यानी ब्रह्मा विष्णु महेश के विरुद्ध से हुई. वहीं वामन पुराण में कात्यायन ऋषि के आश्रम में इकट्ठा हुए शक्तिपुंज से देवी कात्यायनी की उत्पत्ति का भी जिक्र मिलता है. तो कैसे करें माता कात्यायनी की आराधना और कैसे उन्हें करें प्रसन्न जानिए.


Body:वीओ-01

ऐसा है मां कात्यायनी का रूप
देवी कात्यायनी के रूप तेज से भरा हुआ है इस बारे में पंडित पवन त्रिपाठी का कहना है कि मां का रूप दिव्य अलौकिक और प्रकाशमान है चार भुजाओं वाली माता के दाहिने हाथ ऊपर की तरफ है. वह अभय मुद्रा में तथा नीचे वाला हाथ वर मुद्रा में है. जबकि बाई और के ऊपर वाले हाथ में माता के तलवार और नीचे वाले हाथ में कमल का फूल मौजूद है. सिंह पर सवार मां कात्यायनी अपने भक्तों के सभी दुखों का नाश करती हैं.

कृष्ण को पाने के लिए गोपियों ने किया था मां का पूजन
ज्योतिषाचार्य पंडित पवन त्रिपाठी का कहना है कि देवी कात्यायनी की पूजा शत्रु का नाश करने के लिए सबसे उत्तम मानी जाती है लेकिन इससे जुड़ी एक कथा भी है जो अविवाहित कन्याओं को मनचाहा वर पाने से जुड़ी है. श्रीमद्भागवत में भी माता कात्यायनी का जिक्र है जिसमें लाखों की संख्या में गोपियों ने एक कृष्ण को वर के रूप में पाने के लिए माता कात्यायनी की पूजा की थी और वह सफल भी हुई थी. इसलिए मनचाहे वर की प्राप्ति के लिए माता कात्यायनी की पूजा करना विशेष फलदाई माना जाता है इसके साथ ही माता कात्यायनी को रोग, भय, शोक नाश करने वाली देवी के रूप में भी जाना जाता है.


Conclusion:वीओ-02

शत्रु के नाश के देवी देती हैं मनचाहा वर
पंडित पवन त्रिपाठी का कहना है कि माता कात्यायनी की पूजा का विधान बहुत ही सरल है. अविवाहित कन्याएं माता को हल्दी का लेपन करें और शत्रु का नाश करने के लिए माता को लाल रंग के पुष्पों की माला और रोली लगानी चाहिए इसके साथ ही माता को लाल रंग के बस प्रमुख के साथ ही लाल मिष्ठान व नारियल की बर्फी के साथ नारियल की बलि भी बेहद पसंद है. इतना ही नहीं माता कात्यायनी को शहद बेहद पसंद है और उनको शहद चढ़ाने मात्र से ही सभी मनोकामनाओं की पूर्ति होती है.

इस मंत्र से करें माँ कात्यायनी की पूजा

चंद्रहासोज्ज्वलकरा शार्दूलवरवाहना।
कात्यायनी च शुभदा देवी दानववद्यातिनि।।


अविवाहित कन्याएं इस मंत्र से करें आराधना

कात्यानी महामाये महायोगिन्यधीश्वरि।
नन्दगोप सुतं देवी पतिम में कुर्ते नमः।।

बाईट- पंडित पवन त्रिपाठी, ज्योतिषाचार्य

गोपाल मिश्र

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