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'न फनकार तुझसा तेरे बाद आया, मोहम्मद रफी तू बहुत याद आया'

यूपी के वाराणसी में लोगों ने सुरों के बादशाह मो. रफी की पुण्यतिथि पर लोगों ने उन्हें याद किया. इस दौरान लोगों ने उनके नगमों को भी गुनगुनाया. रफी साहब की याद में लोगों ने उनके चित्र पर पुष्प अर्पित कर कैंडल जलाकर उन्हें भावभीनी श्रद्धांजलि अर्पित की.

मो. रफी की पुण्यतिथि
मो. रफी की पुण्यतिथि
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Published : Jul 31, 2021, 9:08 PM IST

वाराणसी: काशी वासियों ने सुरों के बेताज बादशाह मो. रफी की शनिवार को 41वीं पुण्यतिथि पर लोगों ने उन्हें याद किया. डर्बीशायर क्लब के नेतृत्व में लोगों ने मशहूर गायक मो. रफी साहब के चित्र पर पुष्प अर्पित करके और दो मिनट मौन रखके श्रद्धांजलि अर्पित की. लोगों ने उनके गानों को भी गुनगुनाया 'तुम मुझे यूं भुला न पाओगे'.

डर्बीशायर क्लब के अध्यक्ष शकील अहमद ने बताया कि रफी साहब का जन्म 24 दिसंबर 1928 को हुआ था. रफी साहब ने 50 और 60 के दशक के मशहूर अभिनेताओं के लिए अपनी मधुर आवाज दी जिसमें 'ओ दुनिया के रखवाले सुन दर्द भरे मेरे नाले', 'कर चले हम फिदा जानो तन साथियों', 'अभी ना जाओ छोड़कर के दिल अभी भरा नहीं', 'आया सावन झूम के' जैसे गीत गाकर ढेरों पुरस्कार जीते. उनके गाए मधुर गीत आज भी हमारे दिलों पर राज कर रहे हैं.

शकील अहमद ने कहा कि 31 जुलाई 1980 को हमारे चहेते मशहूर गायक रफी साहब इस फानी दुनिया से रुख्सत हो गए. आज हम सबने रफी साहब की याद में उनके चित्र पर पुष्प अर्पित कर कैंडल जलाकर उन्हें भावभीनी श्रद्धांजलि अर्पित की. उन्होंने भारत सरकार से मांग की है कि जिस तरह से मशहूर गीतकार कैफी आजमी साहब के नाम पर कैफियत नाम से ट्रेन चलायी है, उसी तरह रफी साहब की याद में एक ट्रेन चलाई जाए.

वाराणसी: काशी वासियों ने सुरों के बेताज बादशाह मो. रफी की शनिवार को 41वीं पुण्यतिथि पर लोगों ने उन्हें याद किया. डर्बीशायर क्लब के नेतृत्व में लोगों ने मशहूर गायक मो. रफी साहब के चित्र पर पुष्प अर्पित करके और दो मिनट मौन रखके श्रद्धांजलि अर्पित की. लोगों ने उनके गानों को भी गुनगुनाया 'तुम मुझे यूं भुला न पाओगे'.

डर्बीशायर क्लब के अध्यक्ष शकील अहमद ने बताया कि रफी साहब का जन्म 24 दिसंबर 1928 को हुआ था. रफी साहब ने 50 और 60 के दशक के मशहूर अभिनेताओं के लिए अपनी मधुर आवाज दी जिसमें 'ओ दुनिया के रखवाले सुन दर्द भरे मेरे नाले', 'कर चले हम फिदा जानो तन साथियों', 'अभी ना जाओ छोड़कर के दिल अभी भरा नहीं', 'आया सावन झूम के' जैसे गीत गाकर ढेरों पुरस्कार जीते. उनके गाए मधुर गीत आज भी हमारे दिलों पर राज कर रहे हैं.

शकील अहमद ने कहा कि 31 जुलाई 1980 को हमारे चहेते मशहूर गायक रफी साहब इस फानी दुनिया से रुख्सत हो गए. आज हम सबने रफी साहब की याद में उनके चित्र पर पुष्प अर्पित कर कैंडल जलाकर उन्हें भावभीनी श्रद्धांजलि अर्पित की. उन्होंने भारत सरकार से मांग की है कि जिस तरह से मशहूर गीतकार कैफी आजमी साहब के नाम पर कैफियत नाम से ट्रेन चलायी है, उसी तरह रफी साहब की याद में एक ट्रेन चलाई जाए.

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