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वाराणसी: कोरोना काल में लोग चाय की जगह पी रहे हैं काढ़ा

यूपी के वाराणसी में दशाश्वमेध थाना अंतर्गत जंगमबाड़ी मठ के पास आयुर्वेदिक काढ़ा की दुकान पूरे शहर में चर्चा का विषय बनी हुई है. आयुर्वेदिक काढ़ा की दुकान पर बना बनाया काढ़ा लोग पी रहे हैं. लोगों का कहना है कि यह काढ़ा पूर्ण रूप से आयुर्वेदिक है और इसका स्वाद भी बहुत ही बढ़िया है.

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कोरोना काल में बढ़ा काढ़े का चलन
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Published : Jul 24, 2020, 11:05 PM IST

वाराणसी: जिले में इन दिनों दशाश्वमेध थाना अंतर्गत जंगमबाड़ी मठ के पास आयुर्वेदिक काढ़ा का दुकान पूरे शहर में चर्चा का विषय बना हुआ है. कोरोना संक्रमण अब वाराणसी में भी तेजी से अपना पैर पसारने लगा है. आयुष मंत्रालय ने भी काढ़ा का सेवन इम्यूनिटी पावर बढ़ाने के लिए कारगर माना है.

बनारस में लग रही काढ़ा की अड़ी
बनारस में लोग सुबह होते ही चाय की दुकान पर अड़ी बाजी शुरू कर देते थे. लेकिन, चाय पीना असुरक्षित भी नहीं है. ऐसे में बनारस में काढ़ा की दुकान अड़ी बाजी के लिए नया ठिकाना बन गया है. सुबह शाम दस रुपये की काढ़ा पीने के साथ थी अब लोग यहीं पर अड़ी बाजी कर रहे हैं.

लोगों ने कार्य को सराहा
आयुर्वेदिक काढ़ा की दुकान पर बनी बनाई काढ़ा लोग पी रहे हैं. लोगों का कहना है कि घर पर बनाना थोड़ा मुश्किल था और इतने ज्यादा आयुर्वेदिक औषधियों के साथ यह काढ़ा बन रहा है. जो वाकई बहुत ही अच्छा है. इस वैश्विक महामारी के दौर में हमारे शरीर के लिए यह फायदेमंद है.

इन चीजों से बनता है आयुर्वेदिक काढ़ा
कोविड-19 से लड़ने के लिए अभी तक कोई मेडिसिन नहीं आई है. लेकिन आयुष मंत्रालय ने कहा है कि काढ़ा कोविड मरीजों के लिए फायदेमंद है. जिससे वह स्वस्थ हो रहे हैं. दुकान पर बिकने वाले काढ़ा में औषधियों की भरमार है. एक दो नहीं बल्कि 15 औषधि मिलाकर यह काढ़ा बन रहा है. जिसमें मुख्य रूप से गिलोय, अश्वगंधा, तुलसी पत्ता, लॉन्ग, इलायची, काली मिर्च, अर्जुन छाल, मुलेठी,पीपर, गुड, दालचीनी, बड़ी इलायची, सोंठ पाउडर सभी को बारी-बारी से मिलाकर लगभग डेढ़ घंटे तक पानी में उबाला जाता है.

दुकानदार विजय ने बताया कि पहले मेरी चाय की दुकान थी. लेकिन वैश्विक महामारी के दौर में दुकान बंद रहती थी. उसने लोगों की सेवा भाव से लगभग 3 महीने तक फ्री में काढ़े को बांटा. अब चाय की दुकान के स्थान पर आयुर्वेदिक काढ़े की दुकान खोल ली. जिसकी कीमत मात्र दस रुपया है. पहले जहां बनारस में चाय की अड़ी पर भीड़ होती थी. तो वहीं अब काढ़े की अड़ी पर सुबह-शाम लोग स्वास्थ्यवर्धक काढ़ा के साथ चर्चा कर रहे हैं.

स्थानीय सागर ने बताया कि इधर से गुजर रहा था. तो आयुर्वेदिक काढ़ा की दुकान पर नजर पड़ी मेरे गले में भी कुछ दिक्कत थी. लेकिन जब मैंने काढ़ा पिया तो मुझे बहुत ही सुकून मिला और वाकई यह पूर्ण रूप से आयुर्वेदिक है. इसका स्वाद भी बहुत ही बढ़िया. कोरोना के समय में यह बहुत ही लाभदायक है.

वाराणसी: जिले में इन दिनों दशाश्वमेध थाना अंतर्गत जंगमबाड़ी मठ के पास आयुर्वेदिक काढ़ा का दुकान पूरे शहर में चर्चा का विषय बना हुआ है. कोरोना संक्रमण अब वाराणसी में भी तेजी से अपना पैर पसारने लगा है. आयुष मंत्रालय ने भी काढ़ा का सेवन इम्यूनिटी पावर बढ़ाने के लिए कारगर माना है.

बनारस में लग रही काढ़ा की अड़ी
बनारस में लोग सुबह होते ही चाय की दुकान पर अड़ी बाजी शुरू कर देते थे. लेकिन, चाय पीना असुरक्षित भी नहीं है. ऐसे में बनारस में काढ़ा की दुकान अड़ी बाजी के लिए नया ठिकाना बन गया है. सुबह शाम दस रुपये की काढ़ा पीने के साथ थी अब लोग यहीं पर अड़ी बाजी कर रहे हैं.

लोगों ने कार्य को सराहा
आयुर्वेदिक काढ़ा की दुकान पर बनी बनाई काढ़ा लोग पी रहे हैं. लोगों का कहना है कि घर पर बनाना थोड़ा मुश्किल था और इतने ज्यादा आयुर्वेदिक औषधियों के साथ यह काढ़ा बन रहा है. जो वाकई बहुत ही अच्छा है. इस वैश्विक महामारी के दौर में हमारे शरीर के लिए यह फायदेमंद है.

इन चीजों से बनता है आयुर्वेदिक काढ़ा
कोविड-19 से लड़ने के लिए अभी तक कोई मेडिसिन नहीं आई है. लेकिन आयुष मंत्रालय ने कहा है कि काढ़ा कोविड मरीजों के लिए फायदेमंद है. जिससे वह स्वस्थ हो रहे हैं. दुकान पर बिकने वाले काढ़ा में औषधियों की भरमार है. एक दो नहीं बल्कि 15 औषधि मिलाकर यह काढ़ा बन रहा है. जिसमें मुख्य रूप से गिलोय, अश्वगंधा, तुलसी पत्ता, लॉन्ग, इलायची, काली मिर्च, अर्जुन छाल, मुलेठी,पीपर, गुड, दालचीनी, बड़ी इलायची, सोंठ पाउडर सभी को बारी-बारी से मिलाकर लगभग डेढ़ घंटे तक पानी में उबाला जाता है.

दुकानदार विजय ने बताया कि पहले मेरी चाय की दुकान थी. लेकिन वैश्विक महामारी के दौर में दुकान बंद रहती थी. उसने लोगों की सेवा भाव से लगभग 3 महीने तक फ्री में काढ़े को बांटा. अब चाय की दुकान के स्थान पर आयुर्वेदिक काढ़े की दुकान खोल ली. जिसकी कीमत मात्र दस रुपया है. पहले जहां बनारस में चाय की अड़ी पर भीड़ होती थी. तो वहीं अब काढ़े की अड़ी पर सुबह-शाम लोग स्वास्थ्यवर्धक काढ़ा के साथ चर्चा कर रहे हैं.

स्थानीय सागर ने बताया कि इधर से गुजर रहा था. तो आयुर्वेदिक काढ़ा की दुकान पर नजर पड़ी मेरे गले में भी कुछ दिक्कत थी. लेकिन जब मैंने काढ़ा पिया तो मुझे बहुत ही सुकून मिला और वाकई यह पूर्ण रूप से आयुर्वेदिक है. इसका स्वाद भी बहुत ही बढ़िया. कोरोना के समय में यह बहुत ही लाभदायक है.

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