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मृत कश्मीरी पंडितों की आत्मा की शांति के लिए काशी के पिशाच मोचन कुंड पर विशेष अनुष्ठान, अनुपम खेर होंगे शामिल

कश्मीर में हुए नरसंहार में मारे गए हिंदुओं को अब मोक्ष का अधिकार मिलेगा. भोले की नगरी काशी में इसके लिए खास अनुष्ठान का आयोजन किया गया है. 15 जून यानी बुधवार को काशी के पिचाश मोचन तीर्थ पर इसके लिए विशेष त्रिपिंडी श्राद्ध का आयोजन किया जा रहा है.

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पिशाच मोचन कुंड पर होगा विशेष अनुष्ठान
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Published : Jun 13, 2022, 10:08 PM IST

वाराणसी: कश्मीर में हुए नरसंहार में मारे गए हिंदुओं को अब मोक्ष का अधिकार मिलेगा. भोले की नगरी काशी में इसके लिए खास अनुष्ठान का आयोजन किया गया है. 15 जून यानी बुधवार को काशी के पिचाश मोचन तीर्थ पर इसके लिए विशेष त्रिपिंडी श्राद्ध का आयोजन किया जा रहा है. खास बात ये है कि फिल्म अभिनेता अनुपम खेर खुद इस अनुष्ठान में कश्मीरी ब्राह्मणों का प्रतिनिधित्व करेंगे. इसके अलावा इस नरसंहार में अपनों की जान गंवाने वाले कश्मीरी पण्डितों के परिजन भी शामिल होंगे.

सामाजिक संस्था आगमन और ब्रह्म सेना (Social organization Arrival and Brahma Sena) के सयुंक्त तत्वाधान में ये त्रिपिंडी श्राद्ध होगा. इस अनुष्ठान में संस्था के संस्थापक डॉ. संतोष ओझा मुख्य यजमान होंगे. ये विशेष अनुष्ठान आचार्य श्रीनाथ पाठक उर्फ रानी गुरु के आचार्यत्व में होगा. 9 ब्राह्मण इस अनुष्ठान में शामिल होंगे. दरअसल, 1990 के दशक से कश्मीर में हिंदुओं खासकर कश्मीरी पंडितों के साथ नरसंहार की शुरुआत हुई थी. इस नरसंहार में साल दर साल सैकड़ों लोगों को मौत के घाट उतारा गया. इस बीच बहुत से कश्मीरी पंडित अपनी पूर्वजों के करोड़ों की समाप्ति छोड़ रिफ्यूजी कैम्पों में रहने को मजबूर हो गए. इन्हीं अतृप्त आत्माओं की शांति के लिए सामाजिक संस्था आगमन और ब्रह्म सेना ने इस विशेष अनुष्ठान का आयोजन किया है.

इसे भी पढ़ेंः ससुराल जाने के लिए कोई गाड़ी नहीं मिली तो पुलिस जीप लेकर फरार हुआ युवक, जानें फिर क्या हुआ?

इस विशेष अनुष्ठान में काशी सहित विभिन्न राज्यों के धर्माचार्य और विद्वान शामिल होंगे. श्राद्धकर्ता और आयोजन के संयोजक डॉ. सन्तोष ओझा ने बताया कि कश्मीर में हुए नरसंहार में सैकड़ों हिन्दू मारे गये. उनमें से न जाने कितने ऐसे परिवार थे, जिनका श्राद्ध तक नहीं हुआ. सनातन धर्म के मान्यता के मुताबिक ऐसी अकाल मृत्यु के उपरांत विशेष श्राद्ध अनिवार्य होता है. इसके लिए शास्त्रों में त्रिपिंडी श्राद्ध और नारायण बलि का प्रावधान है. पूरी दुनिया में काशी ही एक मात्र ऐसी जगह है जहां ये अनुष्ठान किया जाता है. ऐसे में मारे गए हिंदुओं के आत्मा की शांति के लिए इसका आयोजन काशी के पिशाचमोचन तीर्थ पर किया गया है.

22 सालों से आगमन सामाजिक संस्था पेट में पल रही बेटियों को जन्म लेने के अधिकार की आवाज को सामाजिक आंदोलन की तरह चला रही है. पेट में मारी गयी बेटियों के मोक्ष के लिए पिछले आठ सालों से डॉ. सन्तोष ओझा काशी में पित्र पक्ष के नवमी तिथि को श्राद्ध करते आ रहे हैं, अब तक इन बेटियों की संख्या हजारों में हैं.

वाराणसी: कश्मीर में हुए नरसंहार में मारे गए हिंदुओं को अब मोक्ष का अधिकार मिलेगा. भोले की नगरी काशी में इसके लिए खास अनुष्ठान का आयोजन किया गया है. 15 जून यानी बुधवार को काशी के पिचाश मोचन तीर्थ पर इसके लिए विशेष त्रिपिंडी श्राद्ध का आयोजन किया जा रहा है. खास बात ये है कि फिल्म अभिनेता अनुपम खेर खुद इस अनुष्ठान में कश्मीरी ब्राह्मणों का प्रतिनिधित्व करेंगे. इसके अलावा इस नरसंहार में अपनों की जान गंवाने वाले कश्मीरी पण्डितों के परिजन भी शामिल होंगे.

सामाजिक संस्था आगमन और ब्रह्म सेना (Social organization Arrival and Brahma Sena) के सयुंक्त तत्वाधान में ये त्रिपिंडी श्राद्ध होगा. इस अनुष्ठान में संस्था के संस्थापक डॉ. संतोष ओझा मुख्य यजमान होंगे. ये विशेष अनुष्ठान आचार्य श्रीनाथ पाठक उर्फ रानी गुरु के आचार्यत्व में होगा. 9 ब्राह्मण इस अनुष्ठान में शामिल होंगे. दरअसल, 1990 के दशक से कश्मीर में हिंदुओं खासकर कश्मीरी पंडितों के साथ नरसंहार की शुरुआत हुई थी. इस नरसंहार में साल दर साल सैकड़ों लोगों को मौत के घाट उतारा गया. इस बीच बहुत से कश्मीरी पंडित अपनी पूर्वजों के करोड़ों की समाप्ति छोड़ रिफ्यूजी कैम्पों में रहने को मजबूर हो गए. इन्हीं अतृप्त आत्माओं की शांति के लिए सामाजिक संस्था आगमन और ब्रह्म सेना ने इस विशेष अनुष्ठान का आयोजन किया है.

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इस विशेष अनुष्ठान में काशी सहित विभिन्न राज्यों के धर्माचार्य और विद्वान शामिल होंगे. श्राद्धकर्ता और आयोजन के संयोजक डॉ. सन्तोष ओझा ने बताया कि कश्मीर में हुए नरसंहार में सैकड़ों हिन्दू मारे गये. उनमें से न जाने कितने ऐसे परिवार थे, जिनका श्राद्ध तक नहीं हुआ. सनातन धर्म के मान्यता के मुताबिक ऐसी अकाल मृत्यु के उपरांत विशेष श्राद्ध अनिवार्य होता है. इसके लिए शास्त्रों में त्रिपिंडी श्राद्ध और नारायण बलि का प्रावधान है. पूरी दुनिया में काशी ही एक मात्र ऐसी जगह है जहां ये अनुष्ठान किया जाता है. ऐसे में मारे गए हिंदुओं के आत्मा की शांति के लिए इसका आयोजन काशी के पिशाचमोचन तीर्थ पर किया गया है.

22 सालों से आगमन सामाजिक संस्था पेट में पल रही बेटियों को जन्म लेने के अधिकार की आवाज को सामाजिक आंदोलन की तरह चला रही है. पेट में मारी गयी बेटियों के मोक्ष के लिए पिछले आठ सालों से डॉ. सन्तोष ओझा काशी में पित्र पक्ष के नवमी तिथि को श्राद्ध करते आ रहे हैं, अब तक इन बेटियों की संख्या हजारों में हैं.

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