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वाराणसी: काशी हिंदू विश्वविद्यालय में पांच दिवसीय पेंटिंग प्रदर्शनी का आयोजन - Five-day painting exhibition organized

वाराणसी के काशी हिन्दू विश्वविद्यालय के भारत कला भवन म्यूजियम में पांच दिवसीय पेंटिंग प्रदर्शनी का आयोजन किया गया है. इस प्रतियोगिता में कलाकारों ने स्त्रियों के जीवन में पड़ने वाली परेशानियों के साथ खुशियों को प्रस्तुत किया गया है.

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काशी हिंदू विश्वविद्यालय में पांच दिवसीय पेंटिंग प्रदर्शनी का आयोजन
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Published : Dec 24, 2019, 12:42 PM IST

वाराणसी: काशी हिंदू विश्वविद्यालय के भारत कला भवन म्यूजियम में पांच दिवसीय पेंटिंग प्रदर्शनी का आयोजन किया गया. कलाकार ने नारी जीवन के हर पहलुओं को ध्यान में रखते हुए अपनी कल्पना को रंगों और रेखाओं के माध्यम से पेंटिंग में प्रस्तुत किया. प्रदर्शनी में 70 से ज्यादा पेंटिंग लगाई गई हैं जो लोगों को अपनी ओर आकर्षित कर रहे हैं.

काशी हिंदू विश्वविद्यालय में पांच दिवसीय पेंटिंग प्रदर्शनी का आयोजन.
प्रदर्शनी में पेंटिंग के माध्यम से खासकर स्त्रियों के जीवन में पड़ने वाली परेशानियां और खुशियों को प्रस्तुत किया गया है. पेंटिंग में एक बच्ची के जन्म से लेकर युवावस्था तक, किन-किन परेशानियों से गुजरती है के साथ ही कन्या भ्रूण हत्या, यौन उत्पीड़न, बलात्कार जैसे दर्द को बहुत ही खूबसूरती से कैनवास पर प्रदर्शित किया गया है.
र्तमान समय में हमारे किसान की जो हालत है उसको भी कई पेंटिंग में कैनवास पर उकेरा गया है. कलाकार संजय कुमार ने बताया कि पेंटिंग किसान और महिलाओं पर आधारित है. अपने छोटे से प्रयास में महिला के हर उस पल को पेंटिंग में दर्शाने का प्रयास किया है, जिसमें वह बहुत खुश और बहुत ही दुख होती है.

वाराणसी: काशी हिंदू विश्वविद्यालय के भारत कला भवन म्यूजियम में पांच दिवसीय पेंटिंग प्रदर्शनी का आयोजन किया गया. कलाकार ने नारी जीवन के हर पहलुओं को ध्यान में रखते हुए अपनी कल्पना को रंगों और रेखाओं के माध्यम से पेंटिंग में प्रस्तुत किया. प्रदर्शनी में 70 से ज्यादा पेंटिंग लगाई गई हैं जो लोगों को अपनी ओर आकर्षित कर रहे हैं.

काशी हिंदू विश्वविद्यालय में पांच दिवसीय पेंटिंग प्रदर्शनी का आयोजन.
प्रदर्शनी में पेंटिंग के माध्यम से खासकर स्त्रियों के जीवन में पड़ने वाली परेशानियां और खुशियों को प्रस्तुत किया गया है. पेंटिंग में एक बच्ची के जन्म से लेकर युवावस्था तक, किन-किन परेशानियों से गुजरती है के साथ ही कन्या भ्रूण हत्या, यौन उत्पीड़न, बलात्कार जैसे दर्द को बहुत ही खूबसूरती से कैनवास पर प्रदर्शित किया गया है.
र्तमान समय में हमारे किसान की जो हालत है उसको भी कई पेंटिंग में कैनवास पर उकेरा गया है. कलाकार संजय कुमार ने बताया कि पेंटिंग किसान और महिलाओं पर आधारित है. अपने छोटे से प्रयास में महिला के हर उस पल को पेंटिंग में दर्शाने का प्रयास किया है, जिसमें वह बहुत खुश और बहुत ही दुख होती है.
Intro:वाराणसी के काशी हिंदू विश्वविद्यालय के भारत कला भवन म्यूजियम में पांच दिवसीय पेंटिंग प्रदर्शनी का आयोजन किया गया। कैनवास पर ट्रांसफॉर्मेशन नारी जीवन के हर पहलुओं को ध्यान देते हुए कलाकार ने अपनी कल्पना रंगो रेखाओं से प्रस्तुत किया। प्रदर्शनी में 70 से ज्यादा पेंटिंग लगाए गए जो लोगों को अपनी ओर आकर्षित कर रहे हैं। विश्वविद्यालय के छात्र छात्राओं सहित पेंटिंग के क्षेत्र में कार्य करने वाले कलाकारों को भी यह प्रदर्शन में अपनी ओर आकर्षित कर रही है।


Body:प्रदर्शनी में पेंटिंग के माध्यम से खासकर स्त्रियों के जीवन में पड़ने वाली परेशानियां खुशियों को प्रस्तुत किया गया है एक ही पेंटिंग को ध्यान से देखने पर बहुत सी बातें समझ में आती हैं। किस तरह बच्ची जन्म से लेकर युवावस्था किन किन परेशानियों से गुजरती है। कन्या भ्रूण हत्या,यौन उत्पीड़न बलात्कार,महिला उत्पीड़न ऐसे दर्दों को बहुत ही खूबसूरती से प्रदर्शित किया गया है।

उसके साथी भारत एक कृषि प्रधान देश है और वर्तमान समय में हमारे किसान की जो हालत है उसको भी कई पेंटिंग में कैनवास पर उकेरा गया है।एक हाल के नीचे किसान दबा हुआ है और जो अपनी किस्मत पर आज रो रहा है।उसी पेंटिंग में सूखे जमीन ने प्रकृति के तरफ भी संदेश किया है।


Conclusion:संजय कुमार ने बताया जो मेरी पेंटिंग किसान और महिलाओं पर आधारित है। मैंने अपने छोटे से प्रयास में महिला के हर उस पल को पेंटिंग में दर्शाने का प्रयास किया है।जिसमें वह बहुत खुश या बहुत ही दुख होती है धरती पर दो ही ऐसे लोग हैं जो हमारा पालन-पोषण करते हैं। एक हमारी मां और दूसरी धरती मां और इन दोनों के पुत्र एक किसान और एक बेटा इन सब का मिलाजुला पेंटिंग मैंने बनाया है।

बाईट :-- संजय कुमार, कलाकार

आशुतोष उपाध्याय
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