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पद्मभूषण प्रोफेसर वशिष्ठ त्रिपाठी बने काशी विद्वत परिषद के नए अध्यक्ष - Padma Bhushan Professor Vashisht Tripathi

वाराणसी के दीनदयाल नगर गुरु कार्ष्णि विद्या भवन में काशी विद्वत् परिषद् के प्रबंध समिति की कार्यकारिणी आमसभा की बैठक हुई. बैठक में काशी विद्युत परिषद के नए अध्यक्ष के रूप में पद्मभूषण प्रोफेसर वशिष्ठ त्रिपाठी को चुना गया

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पद्मभूषण प्रोफेसर वशिष्ठ त्रिपाठी
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Published : Oct 6, 2022, 10:44 PM IST

वाराणसी: काशी विद्वत् परिषद् के प्रबंध समिति की कार्यकारिणी आमसभा की बैठक गुरुवार को दीनदयाल नगर गुरु कार्ष्णि विद्या भवन में हुई. बैठक में सर्वसम्मति से काशी विद्युत परिषद के नए अध्यक्ष के रूप में पद्मभूषण प्रोफेसर वशिष्ठ त्रिपाठी को चुना गया. यह पद बीते दिनों पद्मश्री प्रोफेसर रामयत्न शुक्ल के निधन के बाद से खाली चल रहा था.

इस महत्वपूर्ण बैठक में प्रोफेसर रामचंद्र पांडेय ने प्रोफेसर वशिष्ठ त्रिपाठी के नाम का प्रस्ताव रखा, जिस पर सभी उपस्थित सदस्यों ने सर्वसम्मति से मुहर लगा दी. हर-हर महादेव के उद्घोष के साथ प्रोफेसर वशिष्ठ त्रिपाठी के नाम पर विधिवत घोषणा परिषद के महामंत्री प्रोफेसर रामनारायण द्विवेदी ने करते हुए सभी विद्वानों का आभार व्यक्त किया. उन्होंने विश्वास दिलाया कि परिषद भारतीय संस्कृति के संरक्षण संवर्धन में नया किर्तिमान स्थापित करेगा. प्रोफेसर दिनेश कुमार गर्ग प्रवक्ता ने अपने उद्बोधन में काशी विद्वत परम्परा पर प्रकाश डाला और कहा कि सभी विद्वानों को एकजुट काम करने की आवश्यकता है.

प्रोफेसर रामचंद्र पांडेय ने कहा कि काशी विश्व का मार्ग दर्शन करती है, सभी लोग सनातन संस्कृति के लिए समर्पित है. काशी विद्वत् परिषद् एक स्वतंत्र संगठन है. प्रो रामकिशोर त्रिपाठी, प्रो विनय कुमार पांडेय, प्रो सदा शिव द्विवेदी, प्रो शंकर कुमार मिश्र, प्रो पतंजलि मिश्र, प्रो हरिप्रसाद दीक्षित, प्रो चंद्रमौली उपाध्याय, प्रो विवेक पांडेय प्रोफेसर रामपूजन पाण्डेय, प्रो डॉ. दिव्य चैतन्य ब्रह्माचारी डा वरुणेश दीक्षित, डॉ. रामाश्रय शुक्ल अमेरिका से आये रमण त्रिपाठी ने सभी विद्वानों को अंगवस्त्र और माल्यार्पण कर स्वागत किया.

अध्यक्ष प्रोफेसर वशिष्ठ त्रिपाठी ने कहा कि 'आप सबने मिलकर जो दायित्व दिया है, मैं आप सभी को विश्वास के साथ कहता हूं कि पारंपरिक शास्त्रार्थ संगोष्ठी तथा देश के जो भी ज्वलंत समस्याएं हैं उन पर चर्चा कर समाज में समरसता लाने का प्रयास किया जायेगा. साथ ही राष्ट्रीय चेतना मूलक योजनाओं को लागू करना तथा देश भर में एक अभियान चलाकर हिन्दू संस्कृति के संरक्षण संवर्धन में मार्गदर्शक की भूमिका काशी विद्वत् परिषद्की रहेगी.

पढ़ेंः काशी में दिखा 479 साल पुरानी रामलीला का अद्भुत नजारा, झांकी देखने के लिए उमड़ी लाखों की भीड़

वाराणसी: काशी विद्वत् परिषद् के प्रबंध समिति की कार्यकारिणी आमसभा की बैठक गुरुवार को दीनदयाल नगर गुरु कार्ष्णि विद्या भवन में हुई. बैठक में सर्वसम्मति से काशी विद्युत परिषद के नए अध्यक्ष के रूप में पद्मभूषण प्रोफेसर वशिष्ठ त्रिपाठी को चुना गया. यह पद बीते दिनों पद्मश्री प्रोफेसर रामयत्न शुक्ल के निधन के बाद से खाली चल रहा था.

इस महत्वपूर्ण बैठक में प्रोफेसर रामचंद्र पांडेय ने प्रोफेसर वशिष्ठ त्रिपाठी के नाम का प्रस्ताव रखा, जिस पर सभी उपस्थित सदस्यों ने सर्वसम्मति से मुहर लगा दी. हर-हर महादेव के उद्घोष के साथ प्रोफेसर वशिष्ठ त्रिपाठी के नाम पर विधिवत घोषणा परिषद के महामंत्री प्रोफेसर रामनारायण द्विवेदी ने करते हुए सभी विद्वानों का आभार व्यक्त किया. उन्होंने विश्वास दिलाया कि परिषद भारतीय संस्कृति के संरक्षण संवर्धन में नया किर्तिमान स्थापित करेगा. प्रोफेसर दिनेश कुमार गर्ग प्रवक्ता ने अपने उद्बोधन में काशी विद्वत परम्परा पर प्रकाश डाला और कहा कि सभी विद्वानों को एकजुट काम करने की आवश्यकता है.

प्रोफेसर रामचंद्र पांडेय ने कहा कि काशी विश्व का मार्ग दर्शन करती है, सभी लोग सनातन संस्कृति के लिए समर्पित है. काशी विद्वत् परिषद् एक स्वतंत्र संगठन है. प्रो रामकिशोर त्रिपाठी, प्रो विनय कुमार पांडेय, प्रो सदा शिव द्विवेदी, प्रो शंकर कुमार मिश्र, प्रो पतंजलि मिश्र, प्रो हरिप्रसाद दीक्षित, प्रो चंद्रमौली उपाध्याय, प्रो विवेक पांडेय प्रोफेसर रामपूजन पाण्डेय, प्रो डॉ. दिव्य चैतन्य ब्रह्माचारी डा वरुणेश दीक्षित, डॉ. रामाश्रय शुक्ल अमेरिका से आये रमण त्रिपाठी ने सभी विद्वानों को अंगवस्त्र और माल्यार्पण कर स्वागत किया.

अध्यक्ष प्रोफेसर वशिष्ठ त्रिपाठी ने कहा कि 'आप सबने मिलकर जो दायित्व दिया है, मैं आप सभी को विश्वास के साथ कहता हूं कि पारंपरिक शास्त्रार्थ संगोष्ठी तथा देश के जो भी ज्वलंत समस्याएं हैं उन पर चर्चा कर समाज में समरसता लाने का प्रयास किया जायेगा. साथ ही राष्ट्रीय चेतना मूलक योजनाओं को लागू करना तथा देश भर में एक अभियान चलाकर हिन्दू संस्कृति के संरक्षण संवर्धन में मार्गदर्शक की भूमिका काशी विद्वत् परिषद्की रहेगी.

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