वाराणसी: जिले के कमिश्नर दीपक अग्रवाल की अध्यक्षता में शुक्रवार को कमिश्नरी सभागार में जैविक खेती और प्रमाणीकरण पर आधारित कार्यशाला की गई. कार्यशाला के शुभारंभ में कमिश्नर ने कहा कि जैविक खेती को बढ़ावा देने के लिए किसान के जैविक उत्पाद का उचित मूल्य मिलना और उपभोक्ता का उत्पाद से संतुष्ट होना आवश्यक है. जैविक उत्पादन के लिए किसानों को संगठित और उत्पाद का प्रमाणीकरण (जैविक) कराना होगा. संयुक्त रूप से विपणन के महत्व पर भी काम करना होगा.
कार्बन के महत्व के बारे में बताया
वरिष्ठ वैज्ञानिक डॉ. केतकी बापट ने जैव विविधता मिशन के महत्व और भूमि में कार्बन के महत्व के बारे में जानकारी दी. भूमि में कार्बन की उपलब्धता मानक के लिए विकसित किट की कार्यप्रणाली के बारे में बताया. किसान प्रक्षेत्र पर उपयोगिता, तुरंत परिणाम प्राप्त करने की क्षमता, उसके अनुरूप खाद और जैविक उर्वरक के प्रयोग की अनुशंसा पर भी चर्चा की गई.
किट की जानकारी दी
वैज्ञानिक बीएआरसी डॉ. एस मेहेत्रे ने मृदा कार्बन तत्व जांच करने वाले किट के प्रयोग की तकनीकी के संबंध में बेव कांफ्रेंसिंग से बताया.कृषि और उद्यान विभाग के अधिकारियों ने जिले में कृषि और उद्यान के अंतर्गत प्रमुख आच्छादित फसलों और उनके विस्तार की संभावनाओं पर चर्चा की. इकोसर्ट के प्रतिनिधि ने जैविक खेती के लिए पंजीयन की प्रक्रिया के संबंध में जानकारी दी गई.