लखनऊ : यूपी में चिकित्सा व्यवस्था को बेहतर बनाने के लिए प्रदेश सरकार लगातार प्रयास कर रही है. तमाम योजनाएं और सुविधाओं के बावजूद मरीजों को सरकारी अस्पतालों में इलाज कराना किसी चुनौती से काम नहीं है. हालांकि सरकार का दावा है कि यूपी में स्वास्थ्य सेवाएं लगातार बेहतर हो रही हैं. आकस्मिक सेवाओं के लिए टोल फ्री नंबर जारी किए गए हैं. इनके माध्यम से मरीजों को तत्काल मेडिकल फैसेलिटी दी जाती है.
कैंसर की स्क्रीनिंग हुई आसान : स्वास्थ्य महानिदेशक डॉ. रतन पाल सिंह सुमन ने बताया कि यूपी में कैंसर की स्क्रीनिंग आसान हुई है. हेल्थ एंड वेलनेस सेंटर में कैंसर की स्क्रीनिंग की सुविधा है. स्तन, सर्वाइकल और मुंह के कैंसर के प्रारम्भिक लक्षणों की पहचान मुमकिन हो गई है. बरेली-प्रयागराज में भी सीटी स्कैन की सुविधा है. 2024 में बड़ी उपलब्धि हासिल हुई है. प्रदेश के लगभग सभी जिला अस्पतालों में सीटी स्कैन की सुविधा उपलब्ध कराई गई है. पीपीपी मोड पर 71 जिलों में मशीनें स्थापित की गई हैं.
![यूपी में डाॅक्टरों की कमी होगी दूर.](https://etvbharatimages.akamaized.net/etvbharat/prod-images/04-02-2025/23469302_med1.jpg)
टेली मेडिसिन सेवाओं और निशुल्क अल्ट्रासाउंड पर फोकस
डॉ. रतन पाल सिंह सुमन के अनुसार स्वास्थ्य विभाग में एआई टेक्नोलॉजी का इस्तेमाल करके टेली मेडिसिन सेवाओं में सुधार हुआ है. टेलीमेडिसिन के जरिए मरीज़ अपने घर पर आराम से अपने फोन पर ऐप्लिकेशन के जरिए टेलीमेडिसिन सेवाओं का लाभ ले रहे हैं. वर्ष 2024 में गर्भवती महिलाओं को निशुल्क अल्ट्रासाउंड सुविधा के लिए उपमुख्यमंत्री की उपस्थिति में आईआईटी कानपुर, एसबीआई और फिक्की के साथ समझौता पत्र हस्ताक्षरित हुआ है.
![यूपी में एमबीबीएस की पढ़ाई हुई आसान.](https://etvbharatimages.akamaized.net/etvbharat/prod-images/04-02-2025/23469302_med4.jpg)
लखनऊ के दो अस्पताल में लग रहे अत्याधुनिक उपकरण
लखनऊ के ठाकुरगंज टीबी व रानी लक्ष्मीबाई अस्पताल में नई मशीनें लगनी हैं. डिप्टी सीएम ब्रजेश पाठक ने लैप्रोस्कोप, एनस्थीसिया वर्क स्टेशन के लिए वित्तीय स्वीकृति दी हैं. मशीनों की खरीद के लिए 10.79 लाख रुपये की वित्तीय स्वीकृति प्रदान की गई. इसके अलावा लखनऊ के फैजुल्लागंज में सरकारी अस्पताल की नींव रखी गई है. 50 बेड के संयुक्त चिकित्सालय के भवन का निर्माण काम शुरू है.
![एम्स की तर्ज पर विकसित हो रहे कई मेडिकल संस्थान.](https://etvbharatimages.akamaized.net/etvbharat/prod-images/04-02-2025/23469302_med2.jpg)
अपग्रेड हो रहीं प्रयोगशालाएं : स्वास्थ्य महानिदेशक डॉ. रतन पाल सिंह सुमन ने बताया कि दिमागी बुखार पर अभूतपूर्ण नियंत्रण पाया गया है. प्रदेश में क्षय मरीजों को आधुनिक उपचार उपलब्ध कराने के उद्देश्य से प्रयोगशालाओं का नेटवर्क अपग्रेड किया गया है. प्रदेश के तमाम बड़े मेडिकल संस्थानों में ऐसे प्रयोगशालाएं स्थापित की गई हैं. जहां पर मरीज की बीमारी हेपेटाइटिस, कैंसर और टीबी जैसी अनेक गंभीर बीमारी की रिपोर्ट 20 से 25 दिन आने में लगती थी. उसकी रिपोर्ट वह एक सप्ताह के भीतर उपलब्ध हो जाएगी.
![यूपी में स्वास्थ्य सेवाएं बेहतर करने का दावा.](https://etvbharatimages.akamaized.net/etvbharat/prod-images/04-02-2025/23469302_med3.jpg)
आरोग्य मंदिरों का विस्तार : आयुष्मान आरोग्य मंदिरों में मरीजों को इलाज मिल रहा है. यूपी में पहले लगभग 14 हजार केंद्र क्रियाशील थे, लेकिन अब 22 हजार 455 क्रियाशील केंद्र हैं. पांच हजार की आबादी पर स्थापित इन केंद्रों पर 58 प्रकार की दवाएं उपलब्ध हैं. मरीजों की 13 तरह की जांचें होती हैं. सीएचओ के अलावा महिलाओं की जांच के लिए एएनएम तैनात हैं.
सीएचसी पर 24 घंटे पैथोलॉजी रिपोर्ट उपलब्ध
सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र (सीएचसी) पर भी 24 घंटे में पैथोलॉजी रिपोर्ट की सुविधा है. इसके लिए पैरा मेडिकल टीमें, मोहनलालगंज सीएचसी पर हैं. अत्याधुनिक मशीनें से कई प्रकार की जांचों की सुविधा है. प्रदेश में ऑनकॉल डॉक्टर आ रहे हैं. स्त्री-प्रसूति रोग विशेषज्ञों, एनेस्थेटिस्टों की ड्यूटी निर्धारित की गई है. इसके एवज में चिकित्सकों को अतिरिक्त मानदेय भी दिया जाएगा.
आयुष्मान भारत योजना में रजिस्टर्ड मरीज यूपी के अधिक
आयुष्मान भारत डिजिटल मिशन के आंकड़ों के तहत 4.7 करोड़ मरीजों का पंजीकरण हुआ है. अकेले यूपी के ही 1.24 मरीज हुए रजिस्टर्ड, आंध्र प्रदेश दूसरे, बिहार तीसरे स्थान पर है. देशभर में सबसे ज्यादा ओपीडी पंजीकरण वाले 25 अस्पतालों में 15 उत्तर प्रदेश और उसके बाद पांच आंध्र प्रदेश के हैं.
अस्पतालों को हाईटेक उपकरणों से किया जा रहा लैस
डॉ. रतन पाल सिंह सुमन ने कहा कि केजीएमयू में जल्द ही फेफड़ा प्रत्यारोपण की सुविधा शुरू होगी. इसके लिए केंद्र सरकार से वार्ता चल रही है. जल्द ही मंजूरी मिल सकती है. मेडिकल कॉलेजों में अव्वल दर्जे की पढ़ाई होगी. अस्पतालों में अग्निशमन की उचित व्यवस्था की गई है. प्रदेश के सभी अस्पतालों में नियमित मॉक ड्रिल हुई है. अस्पतालों को हाईटेक उपकरणों से लैस किया गया है. मस्कुलर डिस्ट्रॉफी से निपटने का खाका तैयार हुआ है. डिप्टी सीएम ब्रजेश पाठक के निर्देश पर समिति का गठन हो चुका है. समिति के सुझावों के आधार पर मरीजों को इलाज मिलेगा.
अस्पतालों को बनाया जा रहा हाईटेक, नर्सिंग, पैरामेडिकल का हो रहा विस्तार
लखनऊ-गोरखपुर में स्टेट टीबी ट्रेनिंग डिमांस्ट्रेशन सेंटर की घोषणा की गई है. नॉन एल्कॉहोलिक फैटी लिवर डिसीज (एनएएफएलडी) के गंभीर मरीजों को त्वरित इलाज, मेडिकल कॉलेजों के लिए बजट जारी हुआ है. टीबी को जड़ से मिटाने की दिशा में प्रदेश सरकार का अहम कदम उठाया है.
टीबी रोग पर हुआ नियंत्रण: एसीएमओ डॉ. योगेश रघुवंशी ने बताया कि यूपी में 6.25 लाख से अधिक टीबी मरीजों को नोटिफाई कर प्रदेश ने रिकॉर्ड बनाया है. लखनऊ में सबसे अधिक 28283, आगरा में 27231 नोटिफिकेशन किया गया है. राष्ट्रीय क्षय उन्मूलन कार्यक्रम के तहत उत्तर प्रदेश में 6 लाख 24 हजार 490 टीबी मरीजों को नोटिफाई किया गया है.
मातृ और शिशु अस्पतालों का विस्तार : एसीएमओ डॉ. योगेश रघुवंशी ने कहा कि प्रदेश में विशेष रूप से महिला और बाल स्वास्थ्य को ध्यान में रखते हुए नई मातृ-शिशु स्वास्थ्य केंद्रों के निर्माण की योजना हैं. पीपीपी मॉडल के तहत 75 जिलों में महिला अस्पताल की व्यवस्था की जा रही है. महिला अस्पतालों में अत्याधुनिक उपकरण और दवाओं की व्यवस्था की जाएगी. उत्तर प्रदेश में गर्भवती महिलाओं के लिए तमाम योजनाएं हैं. सरकारी अस्पतालों को निजी अस्पतालों से जोड़ा गया है. जिला अस्पतालों में गर्भवती महिलाओं की सभी जांचों की सुविधा है. सीएचसी और पीएचसी से निजी अस्पतालों को भी जोड़ा गया है. इस सुविधा से गर्भवती महिलाएं निजी अस्पतालों में निशुल्क जांच करा सकती हैं. जिसका भुगतान प्रदेश सरकार करती है.
कुपोषण से लड़ाई : एसीएमओ डॉ. योगेश रघुवंशी के मुताबिक कुपोषण से लड़ाई अलग ही जंग है. विशेष रूप से बच्चों और महिलाओं में कुपोषण की समस्या को दूर करने के लिए पोषण योजनाओं को बढ़ावा दिया जा रहा है. स्वास्थ्य विभाग की टीम निर्धारित की गई है और हर जिला और हर कस्बे में स्वास्थ्य विभाग की टीम जाकर निरीक्षण करती हैं. स्वास्थ्य विभाग की ओर से जागरूकता कार्यक्रम चल रहा है. साथ ही प्रदेश सरकार की मदद से अस्पतालों में आने वाले जो भी मरीज हैं. उन्हें पौष्टिक आहार उपलब्ध कराया जा रहा है.
जागरूकता कार्यक्रमों पर जोर : डॉ. योगेश रघुवंशी के मुताबिक लाइफ स्टाइल आज के समय काफी ज्यादा बदल गई है. ऐसे में ज्यादातर लोग डायबिटीज, हृदय रोग, उच्च रक्तचाप, मोटापा और अन्य बीमारियों की चपेट में आ रहे हैं. इस मुद्दे पर लोगों को खुद अपना ध्यान आकर्षित करना ही पड़ेगा. स्वास्थ्य विभाग जागरूकता कार्यक्रम करता है. अस्पतालों में कार्यक्रम होते हैं. इसके अलावा नगर कस्बों में जाकर स्वास्थ्य विभाग की टीम और आंगनबाड़ी में आशा बहुएं लोगों को जागरूक करने का काम करती हैं.
आपातकालीन स्वास्थ्य सेवाएं और चिकित्सा सहायता
डॉ. योगेश रघुवंशी ने बताया कि सभी बड़े मेडिकल संस्थानों में इमरजेंसी सेवाएं उपलब्ध है. जहां पर निशुल्क इलाज से लेकर के निशुल्क जांच और दवाएं उपलब्ध होती हैं. एंबुलेंस की सेवा उपलब्ध करने के लिए 102 और 108 पर मरीज फोन कर सकते हैं. एम्बुलेंस और आपातकालीन सेवाओं का विस्तार किया जा रहा है. अब एंबुलेंस में हाईटेक सुविधा उपलब्ध हो रही है. एंबुलेंस में एक अस्पताल का जेआर मौजूद रहते हैं. उसमें वेंटिलेटर ऑक्सीजन और प्राथमिक जांच की सुविधा भी उपलब्ध हो रही है और जो भी स्टाफ होते हैं. उन्हें इसका प्रशिक्षण दिया जाता है.
अभी काफी सुधार की आवश्यकता : ईटीवी भारत से बातचीत के दौरान अलीगंज निवासी संगीत शुक्ला ने कहा कि पहले की तुलना में अब स्वास्थ्य व्यवस्थाएं काफी सुधर गई है, लेकिन अभी काफी सुधार की आवश्यकता है. जितनी भी सरकारी योजनाएं चल रही हैं. वह बहुत ही गरीब वर्ग के लिए हैं. मध्यम वर्ग के लिए प्रदेश सरकार को सोचना चाहिए.
पांच महत्वपूर्ण योजनाएं
- ईसंजीवनी : यह राष्ट्रीय टेलीमेडिसिन सेवा है. इसका मकसद मरीज़ों को घर पर ही स्वास्थ्य सेवाएं देना है. प्रदेश सरकार इसे बढ़ावा देने के लिए गंभीरता से कार्य कर रही है. वर्ष 2025 में स्वास्थ्य विभाग का मिशन है कि हर मरीज को घर बैठे ईसंजीवनी की मदद से टेली मेडिसिन सुविधा मिले.
- राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन (NHM) : इसके तहत स्वास्थ्य प्रणाली को मज़बूत करने, प्रजनन-मातृ-नवजात-शिशु और किशोर स्वास्थ्य, और संक्रामक और गैर-संक्रामक रोगों पर काम किया जाता है.
- राष्ट्रीय आरोग्य निधि योजना : यह स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय की योजना है. यह गरीबी रेखा से नीचे रहने वाले और कैंसर से पीड़ित गरीब मरीजों को 27 क्षेत्रीय कैंसर केंद्रों (आरसीसी) में उनके इलाज के लिए वित्तीय सहायता प्रदान करने की एक योजना है. सभी 27 क्षेत्रीय कैंसर केंद्रों (आरसीसी) में रिवॉल्विंग फंड बनाए गए हैं और इनसे 10 लाख रुपये तक की राशि जुटाई जाती है.
- प्रधानमंत्री जन आरोग्य योजना (PM-JAY) : इसे आयुष्मान भारत योजना का दूसरा घटक माना जाता है. आर्थिक रूप से कमज़ोर परिवारों को स्वास्थ्य सेवाओं के लिए वित्तीय सुरक्षा देने वाली एक योजना है.
- केंद्र सरकार स्वास्थ्य योजना (सीजीएचएस) : यह योजना केंद्र सरकार के कर्मचारियों, पेंशनभोगियों, और उनके आश्रितों को स्वास्थ्य सेवाएं देती है.