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'साल में 200 दिन मिले काम, एक दिन की मजदूरी हो 600 रुपये'

वाराणसी जिले में आशा ट्रस्ट और मनरेगा मजदूर यूनियन के तहत मनरेगा पर एक दिवसीय कार्यशाला का आयोजन किया गया. कार्यशाला में मजदूरों ने काम न मिलने और भुगतान में समस्या की बात कही.

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Published : Feb 20, 2021, 1:28 AM IST

एक दिवसीय कार्यशाला का आयोजन
एक दिवसीय कार्यशाला का आयोजन

वाराणसी: जिले के सेवापुरी राजातालाब में आराजी लाइन ब्लॉक मुख्यालय पर आशा ट्रस्ट और मनरेगा मजदूर यूनियन के तहत मनरेगा पर एक दिवसीय कार्यशाला का आयोजन हुआ. कार्यशाला में मजदूरों ने काम मिलने में कठिनाई और मनरेगा के अंतर्गत भुगतान में समस्या की बात कही.

साल में केवल 23 दिनों का काम मिला

मजदूरों ने कहा कि प्रदेश में मनरेगा के अंतर्गत साल में केवल 23 दिनों का काम मिला है. कार्यशाला में ब्लॉक प्रमुख प्रतिनिधि डॉ. महेंद्र पटेल ने कहा कि मनरेगा कानून की वजह से मजदूरों का पलायन रुका. लॉकडाउन के समय में मनरेगा ही था, जिसने अर्थव्यवस्था को पटरी पर बनाए रखा. मनरेगा के अंतर्गत कुछ खामियां भी हैं. इसको दूर करने की आवश्यकता है. भुगतान की समस्या लगातार बनी हुई है. काम मांगने पर भी लोगों को काम मिलने में कठिनाई हो रही है. मजदूरों ने सरकार से मांग की कि साल में कम से कम 200 दिनों का काम और एक दिन की मजदूरी 600 रुपये हो. सभी मनरेगा मजदूरों का राशन कार्ड और स्वास्थ्य कार्ड बनाया जाए. सभी 55 वर्ष से ऊपर के मजदूरों को पेंशन दिया जाना सुनिश्चित किया जाए.


ये भी पढ़े: उन्नाव की घटना के विरोध में वाराणसी में महिला संगठन ने किया प्रदर्शन


खंड विकास अधिकारी सुरेंद्र प्रताप सिंह ने बताया कि काम के दौरान ही मास्टररोल भरा जाए. इससे मजदूरी भुगतान में आसानी होगी. मजदूर अगर काम की मांग करेंगे तो काम देना ही पड़ेगा. मजदूरों का जॉबकार्ड नहीं बना है. सभी लोग अपना जॉब कार्ड बनवा लें, ताकि काम मिल सके.

वाराणसी: जिले के सेवापुरी राजातालाब में आराजी लाइन ब्लॉक मुख्यालय पर आशा ट्रस्ट और मनरेगा मजदूर यूनियन के तहत मनरेगा पर एक दिवसीय कार्यशाला का आयोजन हुआ. कार्यशाला में मजदूरों ने काम मिलने में कठिनाई और मनरेगा के अंतर्गत भुगतान में समस्या की बात कही.

साल में केवल 23 दिनों का काम मिला

मजदूरों ने कहा कि प्रदेश में मनरेगा के अंतर्गत साल में केवल 23 दिनों का काम मिला है. कार्यशाला में ब्लॉक प्रमुख प्रतिनिधि डॉ. महेंद्र पटेल ने कहा कि मनरेगा कानून की वजह से मजदूरों का पलायन रुका. लॉकडाउन के समय में मनरेगा ही था, जिसने अर्थव्यवस्था को पटरी पर बनाए रखा. मनरेगा के अंतर्गत कुछ खामियां भी हैं. इसको दूर करने की आवश्यकता है. भुगतान की समस्या लगातार बनी हुई है. काम मांगने पर भी लोगों को काम मिलने में कठिनाई हो रही है. मजदूरों ने सरकार से मांग की कि साल में कम से कम 200 दिनों का काम और एक दिन की मजदूरी 600 रुपये हो. सभी मनरेगा मजदूरों का राशन कार्ड और स्वास्थ्य कार्ड बनाया जाए. सभी 55 वर्ष से ऊपर के मजदूरों को पेंशन दिया जाना सुनिश्चित किया जाए.


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खंड विकास अधिकारी सुरेंद्र प्रताप सिंह ने बताया कि काम के दौरान ही मास्टररोल भरा जाए. इससे मजदूरी भुगतान में आसानी होगी. मजदूर अगर काम की मांग करेंगे तो काम देना ही पड़ेगा. मजदूरों का जॉबकार्ड नहीं बना है. सभी लोग अपना जॉब कार्ड बनवा लें, ताकि काम मिल सके.

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