वाराणसी: मोटे अनाज के प्रति जागरूक करने के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के निर्देशों के बाद हर राज्य में अपने-अपने स्तर पर वहां की सरकार मोटे अनाज के प्रति लोगों को जागरूक (benefits of millets) करने की प्लानिंग कर रही है. इसी के चलते बुधवार को वाराणसी में भी निजी संस्थाओं के सदस्यों द्वारा लोगों के घरों, मोहल्लों और कॉलोनियों में पहुंचकर मोटे अनाज के फायदे (Awareness Campaign for Millets in Varanasi) बताए जा रहे है.
वाराणसी में अदाणी फाउंडेशन की टीम पोषण पखवाड़ा के अंतर्गत मालिन बस्ती में बच्चों, किशोरी, गर्भवती महिलाओं और धात्री महिलाओं को मोटे (साबुत) अनाज के प्रति विभिन्न माध्यम से जागरूक किया जा रहा है. जिसमें पोषण रैली, महिलाओं और किशोरियों के साथ सामुदायिक बैठक, फैमिली काउंसलिंग और घर जाकर परागत भोजन की सुपोषित थाली तैयार करके उनको मोटे अनाज के इस्तेमाल से होने वाले स्वास्थ्य लाभ से अवगत कराना शामिल है.
अदाणी फाउंडेशन के मुताबिक, सुपोषण प्रोजेक्ट के अंर्तगत सभी लाभार्थियों के घर में सुपोषण संगिनियों द्वारा मोटे अनाज से भिभिन्न प्रकार के परंपरागत व्यंजन तैयार करने की विधि के साथ व्यंजन की प्रदर्शनी के माध्यम से समुदाय को जागरूक किया जा रहा हैं. व्यंजनों में बाजरा, रागी, ज्वार, मक्का के आटा से फारा, चिला, गुजीया, बिस्किट, बाटी, चूरमा, गुलगुला, टोकावा, पराठा, पकौड़ी, इडली माठ, डोसा इत्यादि के साथ-साथ बाजरा, रागी, कोदो, कुट्टू, टिन्नी का खीर, खिचड़ी, चावल और इसके साथ ही रामदाने, बाजरे, रागी का लड्डू, पेड़ा, बर्फी, लॉलीपॉप इत्यादि के नियमित सेवन से शरीर में मुख्य पोषक तत्वों की आवश्यकता जैसे प्रोटीन, विटामिन, कार्बोहाइड्रेड, खनिज लवण, बसा,जल और फाइबर की पूर्ति होती है.
इसी से घर और समुदाय के सभी लोग स्वस्थ्य और सुखी जीवन बिता सकते है. साथ ही दुनिया भर की बड़ी से बड़ी बीमारियों से लड़ने की क्षमता भी बढ़ती है. वो कहावत है की स्वस्थ्य और निरोगी काया पाना है तो मोटे अनाज का नियमित रूप से सेवन करना होगा ये. बता दें कि पोषण पखवाड़ा 20 मार्च से 2 अप्रैल तक निरंतर चलेगा.
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