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बनारस में आबादी बढ़ी लेकिन सुविधाएं नहीं, ब्रिटिश काल में बने फायर स्टेशन बचा रहे लोगों की जान

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Published : Jul 12, 2023, 8:11 PM IST

बनारस में सरकरी मानक से भी कम है फायर स्टेशन. जिसके लिए प्रशासन जमीन तलाश कर रहा है. जहां नए फायर स्टेशन बनाए जा सकें. मौजूदा समय में बनारस में केवल चार फायर स्टेशन हैं.

ब्रिटिश काल के बने फायर स्टेशन बचा रहे लोगों की जान
ब्रिटिश काल के बने फायर स्टेशन बचा रहे लोगों की जान
ब्रिटिश काल के बने फायर स्टेशन बचा रहे लोगों की जान

वाराणसी: पीएम मोदी के संसदीय क्षेत्र बनारस में विकास का घोड़ा तेजी से दौड़ रहा है. कहीं सड़क, बिल्डिंग तो कहीं पब्लिक ट्रांसपोर्ट बन कर तैयार हो रहा है. शहर के हर हिस्से में काम हो रहा है. पब्लिक को कहीं कोइ परेशानी न हो इसका ध्यान केंद्र और यूपी दोनों सरकारों रखती है. लेकिन, एक ऐसी सुविधा है जिस तरफ शायद सरकार का ध्यान नहीं जा रहा है. यह व्यवस्था है वाराणसी में संचालित फायर स्टेशन. मौजूदा समय में शहर में मानक से भी कम फायर स्टेशन संचालित हो रहे हैं.

बनारस में ब्रिटिश काल का बना फायर स्टेशन में खड़े वाहन
बनारस में ब्रिटिश काल का बना फायर स्टेशन में खड़े वाहन

सरकारी मानक के अनुसार साढ़े चार लाख की आबादी पर एक फायर स्टेशन होने का नियम है. लेकिन पीएम मोदी के संसदीय क्षेत्र बनारस में यह नियम फेल है. ब्रिटिश काल से लेकर आज तक वाराणसी में गिन-चुने फायर स्टेशन संचालित हो रहे हैं. जो पूरे शहर की बड़ी आबादी की सुरक्षा कर रहे हैं. जबकि, बनारस में 10 से ज्यादा फायर स्टेशन की जरूरत है. लेकिन, शहर में चार फायर स्टेशन हैं.

बनारस में ब्रिटिश काल का बना फायर स्टेशन
बनारस में ब्रिटिश काल का बना फायर स्टेशन
ब्रिटिश शासन काल में उत्तर प्रदेश के पांच बड़े शहर में आबादी के हिसाब से फायर स्टेशनों को खोला गया था. इसीलिए उस वक्त की आबादी के अनुसार वाराणसी में दो जबकि लखनऊ, कानपुर, प्रयागराज और आगरा में 10 से 12 की संख्या में फायर स्टेशन मौजूद है. ब्रिटिश शासन काल में खोले गए फायर स्टेशन वाराणसी में सीमित संख्या में है. जबकि, शहर की आबादी उस वक्त की तुलना में 10 गुना से ज्यादा हो गई है.
बनारस में ब्रिटिश काल का बना फायर स्टेशन में खड़े वाहन
बनारस में ब्रिटिश काल का बना फायर स्टेशन में खड़े वाहन

इस बारे में चीफ फायर ऑफिसर आनंद सिंह राजपूत ने बताया कि वाराणसी में आबादी के हिसाब से फायर स्टेशन की संख्या बेहद कम है, जोकि चिंता का विषय है. कुछ साल पहले नए फायर स्टेशन की डिमांड की गई थी, लेकिन जमीन ना मिलने की वजह से यह मामला बीच में ही रुक गया था. लेकिन, अब फिर से इस दिशा में काम शुरु हो गया है. बनारस में कम से कम 2 नए फायर स्टेशन बनाए जाएंगे.

यह भी पढ़ें: PM मोदी के हाथों बदलेगी मणिकर्णिका घाट की तस्वीर, नागर शैली से मंदिरों का होगा कायाकल्प



चीफ ऑफिसर ने आगे बताया कि राजातालाब तहसील नई बनी है, वहां पर कोई फायर स्टेशन नहीं है. इसीलिए वहां पर जमीन चिन्हित कर ली गई है. इसके अलावा खजूरी इलाके में भी फायर स्टेशन के लिए जमीन मिल गई है. जल्द ही इस जमीन को फायर स्टेशन के लिए विभाग को ट्रांसफर कर दिया जाएगा. इसके अलावा एक जमीन कुरु इलाके में है, जो वाराणसी के पिंडरा इलाके में है. इस जमीन को चेंज ओवर करके उसकी जगह पर कोलसला इलाके में नई जमीन दी गई है. जोकि एयरपोर्ट से लगभग 3 किलोमीटर की दूरी पर है.

यह भी पढ़ें: वाराणसी कैंट रेलवे स्टेशन पर कांवड़ियों को मिलेगा सात्विक भोजन, लहसुन-प्याज का नहीं होगा प्रयोग

वहीं, बनारस लोकोमोटिव वर्कशॉप में भी जमीन की डिमांड की गई थी. लेकिन मामला सेंट्रल गवर्नमेंट का होने की वजह से जमीन नहीं मिल पाई. फिर भी प्रयास जारी है कि वाराणसी में कम से कम नए 8 फायर स्टेशन बन कर तैयार हो. क्योंकि जो फायर स्टेशन वाराणसी में है, वह ब्रिटिश टाइम के हैं. उस वक्त सिर्फ पांच स्थानों कानपुर, आगरा, वाराणसी, इलाहाबाद और लखनऊ में फायर स्टेशन थे. जबकि वर्तमान समय में वाराणसी के अलावा बाकी शहरों में 10 और इससे ज्यादा फायर स्टेशन हैं. लेकिन, वाराणसी में मात्र 4 फायर स्टेशन है. इसलिए यहां इंप्रूवमेंट की आवश्यकता है. जिस कारण प्रयास कर रहा है कि जल्द से जल्द जमीन मिल जाए. जहां पर फायर स्टेशन बनाए जा सके.

यह भी पढ़ें: अब विदेश में धूम मचाएंगे ग्रामीण अंचल के उत्पाद, OBOD से मिलेगी उद्यम को नई पहचान

ब्रिटिश काल के बने फायर स्टेशन बचा रहे लोगों की जान

वाराणसी: पीएम मोदी के संसदीय क्षेत्र बनारस में विकास का घोड़ा तेजी से दौड़ रहा है. कहीं सड़क, बिल्डिंग तो कहीं पब्लिक ट्रांसपोर्ट बन कर तैयार हो रहा है. शहर के हर हिस्से में काम हो रहा है. पब्लिक को कहीं कोइ परेशानी न हो इसका ध्यान केंद्र और यूपी दोनों सरकारों रखती है. लेकिन, एक ऐसी सुविधा है जिस तरफ शायद सरकार का ध्यान नहीं जा रहा है. यह व्यवस्था है वाराणसी में संचालित फायर स्टेशन. मौजूदा समय में शहर में मानक से भी कम फायर स्टेशन संचालित हो रहे हैं.

बनारस में ब्रिटिश काल का बना फायर स्टेशन में खड़े वाहन
बनारस में ब्रिटिश काल का बना फायर स्टेशन में खड़े वाहन

सरकारी मानक के अनुसार साढ़े चार लाख की आबादी पर एक फायर स्टेशन होने का नियम है. लेकिन पीएम मोदी के संसदीय क्षेत्र बनारस में यह नियम फेल है. ब्रिटिश काल से लेकर आज तक वाराणसी में गिन-चुने फायर स्टेशन संचालित हो रहे हैं. जो पूरे शहर की बड़ी आबादी की सुरक्षा कर रहे हैं. जबकि, बनारस में 10 से ज्यादा फायर स्टेशन की जरूरत है. लेकिन, शहर में चार फायर स्टेशन हैं.

बनारस में ब्रिटिश काल का बना फायर स्टेशन
बनारस में ब्रिटिश काल का बना फायर स्टेशन
ब्रिटिश शासन काल में उत्तर प्रदेश के पांच बड़े शहर में आबादी के हिसाब से फायर स्टेशनों को खोला गया था. इसीलिए उस वक्त की आबादी के अनुसार वाराणसी में दो जबकि लखनऊ, कानपुर, प्रयागराज और आगरा में 10 से 12 की संख्या में फायर स्टेशन मौजूद है. ब्रिटिश शासन काल में खोले गए फायर स्टेशन वाराणसी में सीमित संख्या में है. जबकि, शहर की आबादी उस वक्त की तुलना में 10 गुना से ज्यादा हो गई है.
बनारस में ब्रिटिश काल का बना फायर स्टेशन में खड़े वाहन
बनारस में ब्रिटिश काल का बना फायर स्टेशन में खड़े वाहन

इस बारे में चीफ फायर ऑफिसर आनंद सिंह राजपूत ने बताया कि वाराणसी में आबादी के हिसाब से फायर स्टेशन की संख्या बेहद कम है, जोकि चिंता का विषय है. कुछ साल पहले नए फायर स्टेशन की डिमांड की गई थी, लेकिन जमीन ना मिलने की वजह से यह मामला बीच में ही रुक गया था. लेकिन, अब फिर से इस दिशा में काम शुरु हो गया है. बनारस में कम से कम 2 नए फायर स्टेशन बनाए जाएंगे.

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चीफ ऑफिसर ने आगे बताया कि राजातालाब तहसील नई बनी है, वहां पर कोई फायर स्टेशन नहीं है. इसीलिए वहां पर जमीन चिन्हित कर ली गई है. इसके अलावा खजूरी इलाके में भी फायर स्टेशन के लिए जमीन मिल गई है. जल्द ही इस जमीन को फायर स्टेशन के लिए विभाग को ट्रांसफर कर दिया जाएगा. इसके अलावा एक जमीन कुरु इलाके में है, जो वाराणसी के पिंडरा इलाके में है. इस जमीन को चेंज ओवर करके उसकी जगह पर कोलसला इलाके में नई जमीन दी गई है. जोकि एयरपोर्ट से लगभग 3 किलोमीटर की दूरी पर है.

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वहीं, बनारस लोकोमोटिव वर्कशॉप में भी जमीन की डिमांड की गई थी. लेकिन मामला सेंट्रल गवर्नमेंट का होने की वजह से जमीन नहीं मिल पाई. फिर भी प्रयास जारी है कि वाराणसी में कम से कम नए 8 फायर स्टेशन बन कर तैयार हो. क्योंकि जो फायर स्टेशन वाराणसी में है, वह ब्रिटिश टाइम के हैं. उस वक्त सिर्फ पांच स्थानों कानपुर, आगरा, वाराणसी, इलाहाबाद और लखनऊ में फायर स्टेशन थे. जबकि वर्तमान समय में वाराणसी के अलावा बाकी शहरों में 10 और इससे ज्यादा फायर स्टेशन हैं. लेकिन, वाराणसी में मात्र 4 फायर स्टेशन है. इसलिए यहां इंप्रूवमेंट की आवश्यकता है. जिस कारण प्रयास कर रहा है कि जल्द से जल्द जमीन मिल जाए. जहां पर फायर स्टेशन बनाए जा सके.

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