वाराणसी: महाकुंभ 2025 सिर्फ दो दिन बाद 13 जनवरी से शुरू होगा. ठीक अगले दिन महाकुंभ का महत्वपूर्ण स्नान पर्व मकर संक्रांति है. इसी दिन से सूर्य दक्षिणायन से उत्तरायण होना शुरू हो जाते हैं और शुभकारियों की शुरुआत भी होती है. सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि संक्रांति को मौसम के परिवर्तन का काल भी माना जाता है. सूर्य के राशि परिवर्तन के साथ ही होने वाले तमाम बदलाव मौसम और प्रकृति में दिखाई देने लगते हैं. संक्रांति पर स्नान और दान की अलग ही महत्ता है. लेकिन, यह सही समय पर ही करना चाहिए, तभी मनोकूल पुण्य लाभ की प्राप्ति होती है. ज्योतिषाचार्य प्रोफेसर विनय पांडेय बताते हैं कि कौन सा समय दान-पुण्य के लिए उत्तम है.
संक्रांति के हैं अलग-अलग रूप: इस बारे में बीएचयू में ज्योतिष विभाग के पूर्व विभागाध्यक्ष प्रोफेसर विनय पांडेय का कहना है कि हमारे यहां सभी ग्रहों की संक्रांतियां होती हैं. अलग-अलग ग्रहों की संक्रांति मनाई जाती है. इसका मतलब राशि परिवर्तन से जोड़कर देखा जाता है. जब कोई भी ग्रह एक राशि से दूसरे राशि में प्रवेश करता है तो उसे संक्रांति कहते हैं. संक्रांति का मतलब खिचड़ी के रूप में जाना जाता है, यानी किसी भी राशियों में अलग-अलग ग्रहों का मिल जाना ही संक्रांतियां होती हैं.
सबसे श्रेष्ठ है मकर संक्रांति: उन्होंने बताया कि सभी संक्रांतियों में श्रेष्ठ होती है. मकर संक्रांति जो रवि यानी सूर्य की संक्रांति होती है, उनमें भी चार संक्रांतियां मुख्य हैं, जो मकर की संक्रांति है, वह 14 जनवरी को होने जा रही है. इसमें धनु राशि को छोड़कर सूर्य मकर राशि में प्रवेश करता है. यहां से सूर्य उत्तरायण हो जाता है यानी उत्तर की तरफ सूर्य का मुख हो जाता है. दक्षिण दिशा से वह धीरे-धीरे उत्तर की तरफ आना प्रारंभ कर देता है. इसलिए इसे देवताओं के दिन की तरफ सूर्य की प्रवृत्ति बढ़ने की शुरुआत हो जाती है. मान्यता है कि मेष संक्रांति से ही देवताओं का दिन शुरू हो जाता है. इसलिए यहां से मांगलिक्कृत भी शुरू हो जाएंगे और इस शुभ काल माना जाता है.
सुबह नहीं, दोपहर में शुरू होगा पुण्य काल: ज्योतिषाचार्य ने बताया कि जब सूर्य उत्तर की दिशा में आना शुरू करता है तो वह विशेष फलदाई होता है. क्योंकि जो मकर संक्रांति है, वह इस वर्ष 14 जनवरी को लगभग 2:45 पर लग रही है. मकर संक्रांति का जो पुण्य कल होता है, वह संक्रांति के बाद 16 या 20 घटी के बाद होता है. यानी 2:45 दोपहर से आरंभ करके सूर्यास्त के पहले तक यह काम हम कर सकते हैं, लेकिन यह मत सोचिएगा कि हम सुबह उठकर स्नान ध्यान नहीं करेंगे. हम जो दैनिक क्रिया है, वह हम अपने रोज की तरह करें लेकिन जो खिचड़ी यानी मकर संक्रांति का स्नान और दान होगा, वह 14 जनवरी को दोपहर 2:45 से ही शुरू होगा.
न करें यह गलती: बताया कि अगर आप 14 जनवरी संक्रांति के दिन स्नान-ध्यान सुबह या दोपहर 12 बजे तक कर रहे हैं तो ऐसी गलती मत कीजिएगा, क्योंकि संक्रांति का पुण्य काल इस बार दोपहर 2 बजे के बाद शुरू होगा. इसके पहले मकर संक्रांति का नहान और दान पुण्य फलदाई नहीं होगा. यदि आप स्नान और दान करना चाहते हैं तो 14 जनवरी को सुबह सूर्य उदय से लेकर दोपहर 2:45 तक आप या तो व्रत रहें या फिर अनाज ना खाएं. ऐसी स्थिति में आप पुण्य फल के लिए उत्तम कार्य कर सकेंगे, क्योंकि शास्त्रों में यह कहा गया है कि कोई भी स्नान और दान करने से पहले भगवान का स्मरण किया जाता है. भगवान का स्मरण हमेशा बिना भोजन ग्रहण किए ही करना चाहिए. इसके लिए जरूरी है कि पहले आप संक्रांति का स्नान कर लें और उसके बाद जो खिचड़ी, ऋतु फल और अन्य चीज गर्म कपड़ों के रूप में दान की जाती है, वह कर लें. उसके पश्चात खिचड़ी पर्व मनाते हुए खिचड़ी को ग्रहण करें.