वाराणसीः लखनऊ विश्वविद्यालय से संपूर्णानंद विश्वविद्यालय का समझौता हो गया है. इसके तहत अब वेद शास्त्रों का अध्ययन विद्यार्थी डिजिटल तरीके से भी कर सकेंगे. विशेषज्ञों की टीम के द्वारा इस लर्निंग मैनेजमेंट सिस्टम की जानकारी अध्यापक और विद्यार्थियों को दी जाएगी.
पारम्परिक तरीके से ही होता था अध्ययन
अध्ययन के लिए देश के ही नहीं बल्कि विदेशों से भी विद्यार्थी आते हैं और वो शिक्षा ग्रहण करते हैं. कोरोना काल में कुछ विद्यार्थी वापस अपने देश चले गए. जिसकी वजह से उन्हें अध्ययन अध्यापन में समस्याएं उत्पन्न होने लगी हैं. क्यों कि वर्तमान में भी विश्वविद्यालय में डिजिटल तरह से काम या अध्यापन नहीं होता है. विद्यार्थियों की इन सब समस्याओं को दूर करने के लिए अध्ययन को आसान और सुगम बनाने के लिए संपूर्णानंद संस्कृत विश्वविद्यालय ने लखनऊ विश्वविद्यालय से स्लेट एप को लेकर एक एएमयू साइन किया है. जिसके तहत अब विद्यार्थी बिना किसी समस्या के ई-शिक्षा प्राप्त कर सकते हैं.
विश्वविद्यालय में शुरु होगा नवीन युग
संस्कृत विश्वविद्यालय के कुलपति प्रोफेसर हरे राम त्रिपाठी ने बताया कि स्लेट यानि की स्ट्रैटेजनिक लर्निंग ऐप्लिकेशन फॉर ट्रांसफार्मेटिव एजुकेशन शिक्षा का सूचक है. ये एक मौलिक परिकल्पना है. स्लेट को बनाने में नई शिक्षा नीति के निर्देशों का पालन करते हुए शैक्षिक गुणवत्ता का विशेष ध्यान रखा गया है. इसके माध्यम से शिक्षा के क्षेत्र में एक नवीन युग का आगमन है. इसका कॉपीराइट भी मिला है. उन्होंने बताया कि तीन सालों के लिए इस एएमयू को साइन किया गया है.
अब डिजिटल तरीके से विद्यार्थी कर सकेंगे अध्ययन
कुलपति प्रोफेसर हरेराम त्रिपाठी ने बताया कि समझौते के बाद स्लेट के बारे में सम्पूर्ण प्रशिक्षण लखनऊ विश्वविद्यालय के प्रशिक्षित आचार्य यहां आकर अध्यापकों को प्रशिक्षित करेंगे. स्लेट एक लर्निंग मैनेजमेंट सिस्टम ही नहीं है, बल्कि छात्र हित में उठाया गया एक लाभकारी अद्वितीय कदम है. जो स्वयं में डिजिटल इंडिया, आत्मनिर्भर भारत एवं ई शिक्षा और भारत सरकार की नीतियों को समावेशित किये हैं. इसके तहत विद्यार्थियों को जुड़ने के लिए संख्या की कोई सीमा निश्चित नहीं है. कुलपति प्रोफेसर हरेराम त्रिपाठी ने बताया कि स्लेट के तहत विद्यार्थियों को ऑनलाइन कक्षायें संचालित की जाएंगी. शिक्षा सामग्री और ऑनलाइन टेस्ट भी कराया जाएगा और विद्यार्थी एसाइनमेंट भी पूर्ण कर जमा कर सकेंगे. उनकी कक्षा में उपस्थिति की निगरानी भी की जा सकेगी. स्लेट से सफेद बोर्ड पर अध्यापन एवं वेबिनार आसान, पारदर्शी और क्षेष्ठतम तरीके से किया जा सकेगा. कुलपति प्रोफेसर त्रिपाठी ने कहा कि स्लेट का उपयोग, लैपटॉप, कंप्यूटर और मोबाइल पर आसानी से उपयोग के लिए किया जा सकता है.
इसे भी पढ़ें- अधर में फंसा दो लाख से ज्यादा पॉलिटेक्निक छात्रों का भविष्य, परीक्षा पर फैसला नहीं ले पा रहे 'साहब'
स्लेट के ये हैं लाभ
1. मल्टी फॉर्मेट सपोर्ट जैसे टेक्स्ट, पीपीटी वीडियो-ऑडियो
2. वैश्विक कक्षा अनुभव
3. 24x7 ऑनलाइन अध्ययन सामग्री तक पहुंच
4. ऑनलाइन कक्षाओं के साथ ऑफलाइन कक्षाओं का संवर्धन और प्रश्न समाधान सामग्री मूल्यांकन, प्रश्नोत्तरी
5. ऑनलाइन आधारित टाइम टेबल सक्षम करता है.
6. छात्र उपस्थिति की निगरानी.
7. छात्र उपस्थिति सक्षम करता है.
8. आसान, पारदर्शी और स्टैंडर्ड
9. व्याख्यान साझा करने को प्रोत्साहित करता है.
10. वेबिनार आदि इस पर आयोजित कर सकते हैं.