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वाराणसी: अब तुलसी द्वार से होकर जाएंगे संत शिरोमणि की कर्मस्थली तुलसी घाट

धार्मिक नगरी काशी में संत शिरोमणि की जन्मस्थली तुलसी घाट जाने के लिए अब काशीवासियों को तुलसी द्वार से होकर जाना पड़ेगा. 9 लाख 94 हजार की लागत से बने इस तुलसी द्वार के शीर्ष पर गोस्वामी तुलसीदास जी की प्रतिमा स्थापित है. वहींं इस तुलसी द्वार पर रामचरितमानस की चौपाई भी अंकित की गई है.

अब तुलसी द्वार से होकर जाएंगे तुलसी घाट.
अब तुलसी द्वार से होकर जाएंगे तुलसी घाट.
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Published : Oct 4, 2020, 5:05 PM IST

वाराणसी : धार्मिक नगरी काशी में संत शिरोमणि की कर्मस्थली तुलसी घाट जाने के लिए अब काशीवासियों को तुलसी द्वार से होकर जाना पड़ेगा. तुलसी घाट जाने वाले मार्ग पर कुल 9 लाख 94 हजार की लागत से तुलसी द्वार बनाया गया है. इसका लोकार्पण भाजपा एमएलसी लक्ष्मण आचार्य ने किया.

भदैनी में तुलसी घाट जाने वाले नवनिर्मित तुलसी द्वार को काशीवासियों को समर्पित कर दिया गया है. तुलसी घाट जाने वाले मार्ग पर बने इस प्रवेश द्वार के शीर्ष पर गोस्वामी तुलसीदास की प्रतिमा स्थापित की गई है. साथ ही रामचरितमानस की चौपाई भी द्वार पर अंकित की गई है. चुनार के पत्थरों से निर्मित यह तुलसी द्वार पूरी तरह से तुलसीदास को समर्पित है. तुलसी द्वार का निर्माण कराने वाले अरुण सिंह ने बताया है कि काशी के घाट चुनार के पत्थरों से नागर शैली में निर्मित हैं. काशी के पारंपरिक मूल्यों को सहेजते हुए इस द्वार का निर्माण किया गया है.

इस अवसर पर कार्यक्रम के मुख्य अतिथि के रूप में उपस्थित भाजपा एमएलसी लक्ष्मण आचार्य ने कहा कि गोस्वामी तुलसीदास जी ने अस्सी भदैनी के घाट पर ही मानस की रचना की थी. साथ ही उनका निर्वाण भी यहीं हुआ था. उन्होंने कहा कि काफी लंबे समय से काशी की जनता तुलसी द्वार की मांग कर रही थी, जो अब पूरा हो गया है. इस अवसर पर कार्यक्रम की अध्यक्षता संकट मोचन मंदिर के महंत प्रो. विश्वंभर नाथ मिश्र ने किया.

वाराणसी : धार्मिक नगरी काशी में संत शिरोमणि की कर्मस्थली तुलसी घाट जाने के लिए अब काशीवासियों को तुलसी द्वार से होकर जाना पड़ेगा. तुलसी घाट जाने वाले मार्ग पर कुल 9 लाख 94 हजार की लागत से तुलसी द्वार बनाया गया है. इसका लोकार्पण भाजपा एमएलसी लक्ष्मण आचार्य ने किया.

भदैनी में तुलसी घाट जाने वाले नवनिर्मित तुलसी द्वार को काशीवासियों को समर्पित कर दिया गया है. तुलसी घाट जाने वाले मार्ग पर बने इस प्रवेश द्वार के शीर्ष पर गोस्वामी तुलसीदास की प्रतिमा स्थापित की गई है. साथ ही रामचरितमानस की चौपाई भी द्वार पर अंकित की गई है. चुनार के पत्थरों से निर्मित यह तुलसी द्वार पूरी तरह से तुलसीदास को समर्पित है. तुलसी द्वार का निर्माण कराने वाले अरुण सिंह ने बताया है कि काशी के घाट चुनार के पत्थरों से नागर शैली में निर्मित हैं. काशी के पारंपरिक मूल्यों को सहेजते हुए इस द्वार का निर्माण किया गया है.

इस अवसर पर कार्यक्रम के मुख्य अतिथि के रूप में उपस्थित भाजपा एमएलसी लक्ष्मण आचार्य ने कहा कि गोस्वामी तुलसीदास जी ने अस्सी भदैनी के घाट पर ही मानस की रचना की थी. साथ ही उनका निर्वाण भी यहीं हुआ था. उन्होंने कहा कि काफी लंबे समय से काशी की जनता तुलसी द्वार की मांग कर रही थी, जो अब पूरा हो गया है. इस अवसर पर कार्यक्रम की अध्यक्षता संकट मोचन मंदिर के महंत प्रो. विश्वंभर नाथ मिश्र ने किया.

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