वाराणसी: जनपद पुलिस एक बार फिर से सवालों के घेरे में हैं. इस बार मामला भेलूपुर सिगरा थाने से जुड़ा हुआ है. आरोप है कि सिगरा पुलिस द्वारा 4 से 5 दिन पहले एक मारपीट के मामले में माधोपुर इलाके के रहने वाले चाचा-भतीजे को पुलिस पूछताछ के लिए थाने लाई थी.
आरोप- मुखबिर बनाकर दूसरे मामलों को खुलासा करना चाह रही पुलिस
पुलिस की तरफ से इन्हें मुखबिर बनाकर दूसरे मामलों का खुलासा करने की जुगत शुरू की गई. जिसमें भेलूपुर थाने को भी शामिल किया गया और इनको भेलूपुर पुलिस के हवाले कर दिया गया, जहां पर इन्होंने गुरुवार मुखबिर बनने से मना किया तो इन पर बहुत ज्यादा दबाव पड़ने लगा जिससे शुक्रवार को इन्होंने लॉकअप के अंदर पड़े ब्लेड से खुद पर कई वार किए और एक ने तो फांसी लगाकर जान देने की भी कोशिश की. मामला फिलहाल सामने आने के बाद पुलिस इस पूरे प्रकरण को छिपाने में लगी रही.
मारपीट के मामले में थाने पूछताछ के लिए लायी थी पुलिस
जानकारी के मुताबिक, माधवपुर के रहने वाले दीपक बिंद और उसके भतीजे रवि बिंद जो सब्जी बेचने का और कबाड़ बेचने का काम करते हैं. पीड़ित रवि ने बताया कि 4 दिन पहले सिगरा पुलिस ने एक युवती के साथ मारपीट के मामले में इनको थाने लाकर पूछताछ शुरू की, लेकिन कुछ लोगों की फोटो दिखा कर पुलिस चोरी के दूसरे मामले में इनकी मदद मांगने लगी और मुखबिर बनने का दबाव डालने लगी. लेकिन जब उन्होंने मना किया तो इनको भेलूपुर पुलिस के हवाले कर दिया गया. जहां भेलूपुर पुलिस ने भी इन्हें काफी दिनों तक मुखबिर बनकर पुलिस की मदद करने के लिए कहा, लेकिन जब इन लोगों ने मना किया तो पुलिस ने इन्हें झूठे मामले में जेल भेजने की धमकी दी.
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पीड़ित का कहना, उसको धमकियां दी गईं
रवि का कहना है कि पुलिस बार-बार धमकी दे रही थी और प्रताड़ित करते हुए मुझे मारपीट भी रही थी. सिगरा पुलिस ने तो इतना मारा कि मेरी नाक फट गई और मेरे कपड़े खून से भीग गये और मुझे दूसरे कपड़े पहने के लिए दिए गये. पुलिस की प्रताड़ना और खौफ से इन दोनों ने 1 दिन पहले लॉकअप में शौचालय में रखे ब्लेड के टुकड़े से खुद पर इतने बार किए कि इनके पूरे शरीर की हालत खराब हो गई. यहां तक कि रवि ने अपने नाड़े से फांसी लगाकर जान देने की कोशिश की.
मीडिया को कवरेज करने से रोका
फिलहाल पुलिस ने दोनों को आनन-फानन में पास के प्राइवेट अस्पताल के एक एसी कमरे में भर्ती कराया है, जहां मीडिया से दूर रख कर इनका इलाज किया जा रहा था. अचानक से जब शुक्रवार हम मीडिया वहां पहुंची तो उसको रोक दिया गया. जब इस मामले में संबंधित अधिकारी से बात की गई तो उनका कहना था मामला संज्ञान में आया है और संबंधित थाने के इंचार्ज से पूरे मामले की रिपोर्ट मांगी गई है.