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नवरात्रि के छठे दिन माता कात्यायनी की आराधना, मंदिरों में कम दिखे भक्त - वाराणसी न्यूज

नवरात्र के छठे दिन माता कात्यायनी के दर्शन पूजन का विधान है. सिंह पर सवार माता कात्यायनी की उत्पत्ति महिषासुर का अंत करने के लिए परमेश्वर के नैसर्गिक क्रोध के कारण हुआ. शक्ति स्वरूपा की उत्पत्ति महर्षि कात्यायन के आश्रम में हुआ, जिसके कारण माता का नाम कात्यायनी पड़ा.

माता कात्यायनी
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Published : Apr 18, 2021, 10:35 AM IST

वाराणसी : नवरात्रि का आज छठा दिन है. आज के दिन माता कात्यायनी के दर्शन पूजन का विधान है. माता कात्यायनी का उल्लेख मार्कण्ड ऋषि द्वारा रचित मार्कडेय पुराण में अभिलिखित है. मान्यता है कि जो भी भक्त आत्मसाध होकर आत्मदान कर मां का आवाहन करता है, तो मां सहज भाव से प्रसन्न होकर भक्तों के सारे कष्टों का नाश करती हैं.

काशी के आत्मविशेश्वर मंदिर में मां है विराजमान

काशी के मैदागिन क्षेत्र स्थित आत्मविशेश्वर मन्दिर में माता विराजमान हैं. नवरात्र के छठे दिन भक्तों ने बाकायदा कोरोना नियमों का पालन करते हुए मां का दर्शन पूजन किया. आम दिनों में भी अविवाहित स्त्री व पुरुष वैवाहिक सुख की प्राप्ति के लिए मां का दर्शन पूजन करते हैं, मगर माहमारी के प्रकोप के कारण भक्तों की संख्या में भारी गिरावट दर्ज की गई. प्रदेश भर में रविवार को जारी लॉकडाउन के कारण बहुत कम श्रद्धालु ही माता के दर्शन को पहुंचे.

नवरात्रि के छठे दिन माता कात्यायनी की आराधना

विवाह में आ रही समस्याओं का मां करती हैं निवारण
मान्यता के अनुसार जिन लोगों के विवाह में अड़चन आ रही हो, वो माता कात्यायनी का नित दर्शन पूजन करें. माता को हल्दी और दही का लेप लगाने से लोगों को मनचाहे वर या वधु की प्राप्ति होती है. नवरात्रि के छठे दिन श्रद्धालु माता को हल्दी और दही का लेप लगाते देखे गए. मन्दिर के महंत के अनुसार माता का नित दर्शन पूजन करने से बहुत से लोगों का विवाह बिना किसी समस्या के सम्पन्न हुआ है.


इसे भी पढे़ं- नवरात्र का छठा दिन आज, ऐसे करें मां कात्यायनी की पूजा

उन्होंने बताया कि आम दिनों में इस मंदिर में भक्तों की भारी भीड़ रहती है, मगर माहमारी के प्रकोप के कारण और प्रदेश में रविवार को जारी लॉकडाउन के कारण भक्तों की संख्या काफी कम हुई है. उन्होंने बताया कि जो भक्त मन्दिर नहीं आ पा रहे हैं वो घर से ही माता की सच्चे मन से पूजन करें, उन्हें उतना ही फल प्राप्त होगा जो मन्दिर आने से मिलता है.

वाराणसी : नवरात्रि का आज छठा दिन है. आज के दिन माता कात्यायनी के दर्शन पूजन का विधान है. माता कात्यायनी का उल्लेख मार्कण्ड ऋषि द्वारा रचित मार्कडेय पुराण में अभिलिखित है. मान्यता है कि जो भी भक्त आत्मसाध होकर आत्मदान कर मां का आवाहन करता है, तो मां सहज भाव से प्रसन्न होकर भक्तों के सारे कष्टों का नाश करती हैं.

काशी के आत्मविशेश्वर मंदिर में मां है विराजमान

काशी के मैदागिन क्षेत्र स्थित आत्मविशेश्वर मन्दिर में माता विराजमान हैं. नवरात्र के छठे दिन भक्तों ने बाकायदा कोरोना नियमों का पालन करते हुए मां का दर्शन पूजन किया. आम दिनों में भी अविवाहित स्त्री व पुरुष वैवाहिक सुख की प्राप्ति के लिए मां का दर्शन पूजन करते हैं, मगर माहमारी के प्रकोप के कारण भक्तों की संख्या में भारी गिरावट दर्ज की गई. प्रदेश भर में रविवार को जारी लॉकडाउन के कारण बहुत कम श्रद्धालु ही माता के दर्शन को पहुंचे.

नवरात्रि के छठे दिन माता कात्यायनी की आराधना

विवाह में आ रही समस्याओं का मां करती हैं निवारण
मान्यता के अनुसार जिन लोगों के विवाह में अड़चन आ रही हो, वो माता कात्यायनी का नित दर्शन पूजन करें. माता को हल्दी और दही का लेप लगाने से लोगों को मनचाहे वर या वधु की प्राप्ति होती है. नवरात्रि के छठे दिन श्रद्धालु माता को हल्दी और दही का लेप लगाते देखे गए. मन्दिर के महंत के अनुसार माता का नित दर्शन पूजन करने से बहुत से लोगों का विवाह बिना किसी समस्या के सम्पन्न हुआ है.


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उन्होंने बताया कि आम दिनों में इस मंदिर में भक्तों की भारी भीड़ रहती है, मगर माहमारी के प्रकोप के कारण और प्रदेश में रविवार को जारी लॉकडाउन के कारण भक्तों की संख्या काफी कम हुई है. उन्होंने बताया कि जो भक्त मन्दिर नहीं आ पा रहे हैं वो घर से ही माता की सच्चे मन से पूजन करें, उन्हें उतना ही फल प्राप्त होगा जो मन्दिर आने से मिलता है.

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