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शारीरिक एवं मानसिक ग्रोथ के लिए अहम है टीनएज, लापरवाही पर बन सकते हैं कुपोषण के शिकार!

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Published : Dec 9, 2021, 11:02 AM IST

राष्ट्रीय किशोर स्वास्थ्य कार्यक्रम में नोडल अधिकारी व एसीएमओ डॉक्टर एके. गुप्ता ने बताया कि शारीरिक और मानसिक ग्रोथ के लिए अहम है किशोरावस्था की उम्र. भूख की कमी, खाना खाने या पीने में अरुचि, थकान और चिड़चिड़ापन, अवसाद आदि हैं कुपोषण के लक्षण. शारीरिक ग्रोथ के लिए पोषण तथा विशेष रूप से मौसमी फल और सब्जी खाने के साथ व्यायाम है लाभकारी.

शारीरिक एवं मानसिक ग्रोथ के लिए अहम है किशोरावस्था
शारीरिक एवं मानसिक ग्रोथ के लिए अहम है किशोरावस्था

वाराणसीः उत्तर प्रदेश वाराणसी के किशोर स्वास्थ्य परामर्श केंद्र, एसएसपीजी मंडलीय चिकित्सालय तथा किशोरी स्वास्थ्य परामर्श केंद्र जिला महिला चिकित्सालय में आयोजित राष्ट्रीय किशोर स्वास्थ्य कार्यक्रम में राष्ट्रीय किशोर-किशोरी स्वास्थ्य कार्यक्रम के नोडल अधिकारी व एसीएमओ डॉक्टर एके. गुप्ता ने कहा कि शारीरिक एवं मानसिक वृद्धि के लिए 10 से 19 वर्ष की उम्र अहम होती है. अभिभावक अगर जागरूक रहेंगे तो किशोर-किशोरी कुपोषण से दूर रहेंगे.

डॉक्टर एके. गुप्ता ने कहा कि आबादी के हिसाब से देश के सबसे बड़े राज्य उत्तर प्रदेश में कुल जनसंख्या का लगभग एक चौथाई भाग 10 से 19 वर्ष उम्र तक के किशोर-किशोरी है. डॉक्टर गुप्ता ने बताया कि जिले में किशोर तथा किशोरी स्वास्थ्य परामर्श केंद्र संचालित किया जा रहा है, किशोर-किशोरी तथा अभिभावक इसका लाभ ले सकते हैं.

यह भी पढ़ें- हेलीकॉप्टर क्रैश में मृत जनरल विपिन रावत को राष्ट्रवादी युवाओं ने दी श्रद्धांजलि, की भारत रत्न देने की मांग



किशोरावस्था के तीन मुख्य चरण होते हैं. प्रारम्भिक किशोरावस्था 9 से 13 वर्ष, मध्य किशोरावस्था 14 से 15 वर्ष तथा देर से किशोरावस्था 16 से 19 वर्ष. इस दौरान किशोरावस्था में शारीरिक, बौद्धिक परिवर्तन, भावनात्मक तथा सामाजिक परिवर्तन होते हैं.

किशोरवस्था में पोषण का महत्व जरूरी, न करें नजरअंदाज
वहीं किशोर स्वास्थ्य परामर्श केंद्र के परामर्शदाता शुभम श्रीवास्तव ने बताया कि केंद्र पर प्रतिदिन लगभग 25 किशोरों को परामर्श दिया जाता है. इस वर्ष सितम्बर में 486, अक्टूबर में 587 तथा नवम्बर में 416 किशोरों को परामर्श दिया गया. उन्होंने बताया कि किशोरों के खान-पान की आदतों को प्रभावित करने वाले निम्न कारक हो सकते हैं, जैसे प्रचार-प्रसार, समय का अभाव, शरीर की छवि, साथियों का दबाव, भोजन तथा पेय पदार्थों का व्यवसायीकरण, संचार माध्यम तथा रोल मॉडल आदि.

कुपोषण के लक्षण
बता दें कि भूख की कमी, खाना खाने या पीने में अरुचि, थकान और चिड़चिड़ापन, ध्यान केन्द्रित करने में असमर्थ, अवसाद, बीमार पड़ने का अधिक खतरा तथा बीमारी ठीक होने में ज्यादा समय लगना. सभी कुपोषण के लक्षण है.

वहीं कार्यक्रम को लेकर लाभार्थियों में से एक जैतपुरा के 17 वर्षीय राम प्रकाश यादव ने बताया कि मुझे एक वर्ष पहले मानसिक तनाव की समस्या थी, केंद्र पर परामर्श के दौरान उचित खान-पान,पोषण तथा दिनचर्या के विषय में समझाया गया. मुझे अब काफी आराम है.

वहीं पड़ाव के 18 वर्षीय गोविंद ने बताया की मेरी शारीरिक ग्रोथ अच्छी नहीं थी. मुझे पोषण तथा विशेष रूप से मौसमी फल और सब्जी खाने के लिए और व्यायाम करने के बारे में बताया गया. मैं पहले से अब बेहतर हूं.

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वाराणसीः उत्तर प्रदेश वाराणसी के किशोर स्वास्थ्य परामर्श केंद्र, एसएसपीजी मंडलीय चिकित्सालय तथा किशोरी स्वास्थ्य परामर्श केंद्र जिला महिला चिकित्सालय में आयोजित राष्ट्रीय किशोर स्वास्थ्य कार्यक्रम में राष्ट्रीय किशोर-किशोरी स्वास्थ्य कार्यक्रम के नोडल अधिकारी व एसीएमओ डॉक्टर एके. गुप्ता ने कहा कि शारीरिक एवं मानसिक वृद्धि के लिए 10 से 19 वर्ष की उम्र अहम होती है. अभिभावक अगर जागरूक रहेंगे तो किशोर-किशोरी कुपोषण से दूर रहेंगे.

डॉक्टर एके. गुप्ता ने कहा कि आबादी के हिसाब से देश के सबसे बड़े राज्य उत्तर प्रदेश में कुल जनसंख्या का लगभग एक चौथाई भाग 10 से 19 वर्ष उम्र तक के किशोर-किशोरी है. डॉक्टर गुप्ता ने बताया कि जिले में किशोर तथा किशोरी स्वास्थ्य परामर्श केंद्र संचालित किया जा रहा है, किशोर-किशोरी तथा अभिभावक इसका लाभ ले सकते हैं.

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किशोरावस्था के तीन मुख्य चरण होते हैं. प्रारम्भिक किशोरावस्था 9 से 13 वर्ष, मध्य किशोरावस्था 14 से 15 वर्ष तथा देर से किशोरावस्था 16 से 19 वर्ष. इस दौरान किशोरावस्था में शारीरिक, बौद्धिक परिवर्तन, भावनात्मक तथा सामाजिक परिवर्तन होते हैं.

किशोरवस्था में पोषण का महत्व जरूरी, न करें नजरअंदाज
वहीं किशोर स्वास्थ्य परामर्श केंद्र के परामर्शदाता शुभम श्रीवास्तव ने बताया कि केंद्र पर प्रतिदिन लगभग 25 किशोरों को परामर्श दिया जाता है. इस वर्ष सितम्बर में 486, अक्टूबर में 587 तथा नवम्बर में 416 किशोरों को परामर्श दिया गया. उन्होंने बताया कि किशोरों के खान-पान की आदतों को प्रभावित करने वाले निम्न कारक हो सकते हैं, जैसे प्रचार-प्रसार, समय का अभाव, शरीर की छवि, साथियों का दबाव, भोजन तथा पेय पदार्थों का व्यवसायीकरण, संचार माध्यम तथा रोल मॉडल आदि.

कुपोषण के लक्षण
बता दें कि भूख की कमी, खाना खाने या पीने में अरुचि, थकान और चिड़चिड़ापन, ध्यान केन्द्रित करने में असमर्थ, अवसाद, बीमार पड़ने का अधिक खतरा तथा बीमारी ठीक होने में ज्यादा समय लगना. सभी कुपोषण के लक्षण है.

वहीं कार्यक्रम को लेकर लाभार्थियों में से एक जैतपुरा के 17 वर्षीय राम प्रकाश यादव ने बताया कि मुझे एक वर्ष पहले मानसिक तनाव की समस्या थी, केंद्र पर परामर्श के दौरान उचित खान-पान,पोषण तथा दिनचर्या के विषय में समझाया गया. मुझे अब काफी आराम है.

वहीं पड़ाव के 18 वर्षीय गोविंद ने बताया की मेरी शारीरिक ग्रोथ अच्छी नहीं थी. मुझे पोषण तथा विशेष रूप से मौसमी फल और सब्जी खाने के लिए और व्यायाम करने के बारे में बताया गया. मैं पहले से अब बेहतर हूं.

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