वाराणसीः बदलते परिवेश आधुनिक विज्ञान के दौर में भी मिर्गी दुनिया के लिए एक बड़ी चुनौती बनी हुई है. वर्तमान में मिर्गी दुनिया में सबसे ज्यादा पाए जाने वाले चौथा तंत्रकीय विकार है. यह विकसित देशों की तुलना विकासशील देशों में सबसे ज्यादा पाई जाती है. मिर्गी के बारे में लोगो को जागरूक करने के लिए भारत मे हर वर्ष 17 नवंबर को राष्ट्रीय मिर्गी दिवस मनाया जाता है. बता दें कि मिर्गी किसी भी उम्र के व्यक्ति को हो सकता है. किंतु 12 वर्ष से कम एवं 60 वर्ष से अधिक उम्र के लोगों में यह रोग अधिकतर पाया जाता है. आकड़ों की बात करें तो दुनियां में जहां 7 करोड़ लोग मिर्गी से पीड़ित है, तो वहीं भारत में लगभग 1 करोड़ 20 लाख मरीज इस बीमारी के पाए गए हैं.
ये होते हैं मिर्गी के लक्षण
वरिष्ठ परामर्शदाता डॉ. मनोज कुमार तिवारी ने बताया कि मिर्गी एक तंत्रिका संबंधी विकार है. इसमें मस्तिष्क की गतिविधियां असामान्य हो जाती हैं व दौरे आने लगते हैं. लक्षण व तीव्रता के आधार पर मिर्गी की अनेक श्रेणियां निर्धारित की गई हैं. मिर्गी के अलग-अलग प्रकार में अलग-अलग लक्षण दिखाई पड़ते हैं. सामान्य लक्षण की बात करें तो, अचानक शरीर में कंपन, बेहोशी, हाथ पैर में झुनझुनी, पिन या सुई चुभने का एहसास, हाथ, पैर,चेहरे के मांसपेशियों में अकड़न, अचानक मूर्ति मत हो जाना और फिर सक्रिय हो जाना सभी लक्षण है.
मिर्गी से जुड़ी भ्रांतियां
- मिर्गी बुरी आत्माओं के कारण होता है.
- मिर्गी पीड़ित को शादी नहीं करनी चाहिए और न बच्चा पैदा कर सकते हैं.
- मिर्गी बुद्धि को प्रभावित करता है.
- मिर्गी एक से दूसरे व्यक्ति में फैल सकती है.
- मिर्गी एक आनुवांशिक बीमारी है.
- दौरे के समय पीड़ित जीभ को निगल सकता है.
- मिर्गी के दौरे के समय पीड़ित को कसकर पकड़ना चाहिए.
- दौरे का अर्थ मिर्गी होता है.
- मिर्गी लाइलाज है.
- दौरे के समय पीड़ित के मुह में कुछ डालना चाहिए.
वास्तविकताएं
- दौरे मिर्गी के अलावा अन्य कारणों से भी हो सकता है जैसे शरीर के उच्च तापमान, सिर में चोट, नशे का सेवन इत्यादि.
- मिर्गी पीड़ित व्यक्ति भी सुखी वैवाहिक जीवन जी सकता है व मिर्गी पीडित महिलाएं गर्भधारण करने में सक्षम होती हैं. उन्हें गर्भधारण से पूर्व अपने चिकित्सक से अवश्य सलाह ले लेनी चाहिए.
- मिर्गी पीड़ित व्यक्ति की बुद्धि भी सामान्य व्यक्तियों के समान होती है, किंतु अधिक बार व अधिक तीव्रता के दौरे के कारण सीखने की क्षमता प्रभावित होती है.
- मिर्गी स्नायु विकार है, जो किसी भी स्थिति में एक व्यक्ति से दूसरे व्यक्ति में संचारित नहीं हो सकता है.
- मिर्गी होने के अनेक कारण हैं. उनमें से एक कारण आनुवंशिकता भी माना जाता है.
- जीभ को निगलना असंभव होता है.
- मिर्गी के दौरे के समय पीड़ित को आरामदायक स्थिति में रखना चाहिए, कसकर पकड़ने से मांसपेशियां या हड्डियाँ चोटिल हो सकती हैं.
- मिर्गी के मरीज चिकित्सा से सामान्य जीवन जी सकते हैं.
- दौरे के समय मुंह में कुछ डालने से स्थिति खतरनाक हो सकती है, पीड़ित की जान भी जा सकती है.
- मिर्गी मस्तिष्कीय विकार है, जो चिकित्सा द्वारा ठीक की जा सकता है.
मिर्गी पीड़ित व्यक्ति के लिए सावधानियां
- चिकित्सक की सलाह के अनुसार नियमित दवा लेना चाहिए.
- बिना चिकित्सक के सलाह के दवाई बंद न करें भले ही दौरे आना बंद हो गया हो.
- किसी अन्य समस्या के लिए कोई भी दवा लेने से पूर्व अपने चिकित्सक से सलाह लें.
- नशे का सेवन कदापि न करें.
- अपने दवा के खुराक एवं समय के बारे में अपने परिवार के सदस्यों, निकट संबंधियों एवं दोस्तों को बताकर रखना चाहिए.
- बाहर जाते समय अपने घर का फोन नंबर एवं पता अपने जेब में रखना चाहिए.
मिर्गी पीड़ित परिवार के सदस्यों के लिए सावधानियां
- घबराए नहीं.
- दौरा पड़ने पर पीड़ित व्यक्ति को आरामदायक स्थिति में रखें.
- पीड़ित व्यक्ति के आसपास से धारदार, हानिकारक वस्तु हटा दें.
- पीड़ित व्यक्ति के कपड़े ढीले कर दें.
- पीड़ित व्यक्ति को एक तरफ घुमा कर लेटा दें, ताकि मुंह से तरल पदार्थ बाहर निकल जाए.
- पीड़ित के सिर के नीचे कोई नरम चीज रख दें.
- पीड़ित के मुह में कुछ भी न डालें.
- चिकित्सक या प्रशिक्षित व्यक्ति के आने तक पीड़ित के साथ रहे.
- जूते, चमड़े या कोई भी दुर्गंध युक्त वस्तुएं न सुघाएं.
इलाज में देरी हो सकती है घातक
डॉक्टर तिवारी ने कहा कि मिर्गी का उपचार दवाओं से किया जा सकता है. निदान होते ही दवा शुरू करें, इलाज में देरी करने पर स्थिति अधिक बिगड़ जाने पर इलाज लंबा, जटिल एवं खर्चीला हो जाता है. मिर्गी का उपचार भी वैसे ही है, जैसे अन्य शारीरिक बीमारियों का. पीड़ित को न बहुत अधिक सुरक्षा में रखे और न ही उसका बहिष्कार करें.
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