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कृष्ण लीला में दिखा सर्वधर्म सौहार्द, मुस्लिम परिवार भी पहुंचे लीला देखने - कृष्ण लीला देखने पहुंचे कृष्ण लीला

वाराणसी तुलसी घाट पर विश्व प्रसिद्ध नाग नथैया लीला का आयोजन हो रहा था. जहां एक मुस्लिम परिवार भी इस लीला का आनंद उठाने पहुंचा. बनारस के रहने वाले ताज मोहम्मद का कहना है कि कोई भी धर्म हो कोई भी समुदाय हो या हमारी परंपरा हो, हम इसे सजा कर रखना चाहते हैं.

मुस्लिम परिवार भी पहुंचे कृष्ण लीला देखने
मुस्लिम परिवार भी पहुंचे कृष्ण लीला देखने
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Published : Nov 19, 2020, 2:10 PM IST

वाराणसी: गंगा जमुनी तहजीब का शहर बनारस जहां मस्जिद की अजान और मंदिर की आरती एक साथ होती है. यहां धर्म जाति के बंधनों से उठकर इंसानियत का नाता सदियों पुराना है. शायद यही वजह है कि कबीर और रविदास जैसे महान संत यहां जन्मे और इस मिट्टी से उन्होंने एकजुटता का संदेश दिया. इसी मिट्टी का असर शायद आज भी उस रूप में दिखाई देता है कि सर्व धर्म सौहार्द का माहौल काशी में आज भी कायम है.

यह अद्भुत नजारा आज उस वक्त देखने को मिला जब तुलसी घाट पर विश्व प्रसिद्ध नाग नथैया का आयोजन हो रहा था. यहां एक तरफ जहां हिंदू परिवार अपने बच्चों और फैमिली के साथ पहुंचकर इस लीला का आनंद उठा रहे थे, तो वहीं कुछ मुस्लिम परिवार भी यहां पहुंचे, जहां उन्होंने बताया कि अपनी संस्कृति और सभ्यता को अगली पीढ़ी को सौंपने चाहिए.

परिवार के साथ पहुंचे लीला देखने

बनारस के रहने वाले ताज मोहम्मद ऐसे ही सर्व धर्म सौहार्द का संदेश देने वाले वह व्यक्ति हैं जो घाट पर अपने दो बच्चों और अपनी पत्नी के साथ इस लीला को देखने पहुंचे थे. ताज मोहम्मद का कहना था उनकी शादी की सालगिरह है. और बनारस में किसी अन्य जगह पर जाने से बेहतर है कि वो इस लीला को देखने जाएं. उनके बच्चे भी इसे देखे. उनका कहना था कि अगली पीढ़ी भी जाने कि उनके शहर में क्या महत्वपूर्ण है, और लीला कोई भी देख सकता है. कोई भी धर्म हो कोई भी समुदाय हो या हमारी परंपरा है, और वो इसे सजाकर रखना चाहते हैं. निश्चित है कि ताज मोहम्मद के यह शब्द उन लोगों के लिए बड़ा संदेश हैं, जो आज के दौर में हिंदू मुस्लिम को बांट कर भाईचारे को बिगाड़ने का काम करते हैं.

वाराणसी: गंगा जमुनी तहजीब का शहर बनारस जहां मस्जिद की अजान और मंदिर की आरती एक साथ होती है. यहां धर्म जाति के बंधनों से उठकर इंसानियत का नाता सदियों पुराना है. शायद यही वजह है कि कबीर और रविदास जैसे महान संत यहां जन्मे और इस मिट्टी से उन्होंने एकजुटता का संदेश दिया. इसी मिट्टी का असर शायद आज भी उस रूप में दिखाई देता है कि सर्व धर्म सौहार्द का माहौल काशी में आज भी कायम है.

यह अद्भुत नजारा आज उस वक्त देखने को मिला जब तुलसी घाट पर विश्व प्रसिद्ध नाग नथैया का आयोजन हो रहा था. यहां एक तरफ जहां हिंदू परिवार अपने बच्चों और फैमिली के साथ पहुंचकर इस लीला का आनंद उठा रहे थे, तो वहीं कुछ मुस्लिम परिवार भी यहां पहुंचे, जहां उन्होंने बताया कि अपनी संस्कृति और सभ्यता को अगली पीढ़ी को सौंपने चाहिए.

परिवार के साथ पहुंचे लीला देखने

बनारस के रहने वाले ताज मोहम्मद ऐसे ही सर्व धर्म सौहार्द का संदेश देने वाले वह व्यक्ति हैं जो घाट पर अपने दो बच्चों और अपनी पत्नी के साथ इस लीला को देखने पहुंचे थे. ताज मोहम्मद का कहना था उनकी शादी की सालगिरह है. और बनारस में किसी अन्य जगह पर जाने से बेहतर है कि वो इस लीला को देखने जाएं. उनके बच्चे भी इसे देखे. उनका कहना था कि अगली पीढ़ी भी जाने कि उनके शहर में क्या महत्वपूर्ण है, और लीला कोई भी देख सकता है. कोई भी धर्म हो कोई भी समुदाय हो या हमारी परंपरा है, और वो इसे सजाकर रखना चाहते हैं. निश्चित है कि ताज मोहम्मद के यह शब्द उन लोगों के लिए बड़ा संदेश हैं, जो आज के दौर में हिंदू मुस्लिम को बांट कर भाईचारे को बिगाड़ने का काम करते हैं.

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