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वाराणसी: संगीत चिकित्सा भी है कारगर, कई रोगों से मिलती है मुक्ति - Musicologist Dr. Archana Mhaskar

वाराणसी में संगीत चिकित्सा विषय पर देश के सुप्रसिद्ध संगीतज्ञ और पद्मभूषण से सम्मानित राजन-साजन की शिष्या डॉ. अर्चना म्हस्कर ने अपने विचार व्यक्त किए.

music therapy
संगीतज्ञ राजन-साजन की शिष्या हैं डॉ. अर्चना म्हस्कर
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Published : Aug 7, 2020, 4:23 PM IST

वाराणसी: जिले में सम्पूर्णानन्द संस्कृत विश्वविद्यालय के वेद विज्ञान अनुसंधान-केंद्रम के तत्वावधान में संगीत चिकित्सा विषय संगीतज्ञ राजन-साजन की शिष्या डॉ. अर्चना म्हस्कर अपने विचार व्यक्त किए. उन्होंने कहा कि संगीत के लिए स्वामी विवेकानंद ने कहा है कि यह एक ऐसी शक्ति है, जिसके द्वारा हम ईश्वर से सीधे जुड़ सकते है.

डॉ. अर्चना म्हस्कर ने कहा कि संगीत ईश्वर का द्वार है. संगीत चिन्तन, मनन और समर्पण है. उन्होंने कहा कि संगीत हमे भौतिक घटनाओं से दूर करती है, संगीत चिकित्सा का वर्णन हमें वेदों, पुराणों से मिलती है. वेद ज्ञान का भंडार है. संगीत चिकित्सा से हमें सुकून मिलता है और चिन्ता से मुक्ति प्राप्त होती है.

अनिद्रा और अवसाद के लिए म्युजिक थेरेपी

संगीत शास्त्री डॉ. अर्चना म्हस्कर ने कहा कि हमारे शरीर में सात चक्र माने गए हैं. जो ऊर्जा के स्रोत होते हैं. वहीं सात स्वरों से जुड़े रहते हैं. संगीत साधना जीवन की कला है, जिससे व्यक्तित्व का विकास होता है. हृदय रोग के लिये सारंग दरबारी लाभदायक है. अनिद्रा, याददास्त, एनीमिया और अवसाद इत्यादि के लिये म्युजिक थेरेपी करनी चाहिये जो कि अत्यंत लाभप्रद होता है.

उन्होंने कहा कि संगीत एक बाईलोजिक प्रक्रिया है. शरीर के सात चक्रों मे मूलाधार चक्र 'सा' की आराधना से ठीक किया जाता है, पीठ का दर्द स्वाधिष्ठान चक्र से जुडा है, जिसे ठीक करने के लिये ऋषभ की साधना करनी होगी. इसी प्रकार अन्य चक्रों से भी विभिन्न प्रकार के रोगों का उपचार किया जाता है. सुरों की जो ध्वनि होती है वह हमारे शरीर के कई आर्गन्स से जुड़ी होती है.

कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए कुलपति आचार्य राजाराम शुक्ल ने कहा कि संगीत चिकित्सा हमारी संस्कृति एवं परम्परा से युक्त विद्या है. आज यह विद्या रोजगारपरक एवं समाजोपयोगी ज्ञान राशि है. संगीत चिकित्सा के माध्यम से स्वस्थ मस्तिष्क एव स्वस्थ विचारों का जन्म होता है. यह एक साधना और योग की विद्या है.

वाराणसी: जिले में सम्पूर्णानन्द संस्कृत विश्वविद्यालय के वेद विज्ञान अनुसंधान-केंद्रम के तत्वावधान में संगीत चिकित्सा विषय संगीतज्ञ राजन-साजन की शिष्या डॉ. अर्चना म्हस्कर अपने विचार व्यक्त किए. उन्होंने कहा कि संगीत के लिए स्वामी विवेकानंद ने कहा है कि यह एक ऐसी शक्ति है, जिसके द्वारा हम ईश्वर से सीधे जुड़ सकते है.

डॉ. अर्चना म्हस्कर ने कहा कि संगीत ईश्वर का द्वार है. संगीत चिन्तन, मनन और समर्पण है. उन्होंने कहा कि संगीत हमे भौतिक घटनाओं से दूर करती है, संगीत चिकित्सा का वर्णन हमें वेदों, पुराणों से मिलती है. वेद ज्ञान का भंडार है. संगीत चिकित्सा से हमें सुकून मिलता है और चिन्ता से मुक्ति प्राप्त होती है.

अनिद्रा और अवसाद के लिए म्युजिक थेरेपी

संगीत शास्त्री डॉ. अर्चना म्हस्कर ने कहा कि हमारे शरीर में सात चक्र माने गए हैं. जो ऊर्जा के स्रोत होते हैं. वहीं सात स्वरों से जुड़े रहते हैं. संगीत साधना जीवन की कला है, जिससे व्यक्तित्व का विकास होता है. हृदय रोग के लिये सारंग दरबारी लाभदायक है. अनिद्रा, याददास्त, एनीमिया और अवसाद इत्यादि के लिये म्युजिक थेरेपी करनी चाहिये जो कि अत्यंत लाभप्रद होता है.

उन्होंने कहा कि संगीत एक बाईलोजिक प्रक्रिया है. शरीर के सात चक्रों मे मूलाधार चक्र 'सा' की आराधना से ठीक किया जाता है, पीठ का दर्द स्वाधिष्ठान चक्र से जुडा है, जिसे ठीक करने के लिये ऋषभ की साधना करनी होगी. इसी प्रकार अन्य चक्रों से भी विभिन्न प्रकार के रोगों का उपचार किया जाता है. सुरों की जो ध्वनि होती है वह हमारे शरीर के कई आर्गन्स से जुड़ी होती है.

कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए कुलपति आचार्य राजाराम शुक्ल ने कहा कि संगीत चिकित्सा हमारी संस्कृति एवं परम्परा से युक्त विद्या है. आज यह विद्या रोजगारपरक एवं समाजोपयोगी ज्ञान राशि है. संगीत चिकित्सा के माध्यम से स्वस्थ मस्तिष्क एव स्वस्थ विचारों का जन्म होता है. यह एक साधना और योग की विद्या है.

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