वाराणसी: उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री और समाजवादी पार्टी के संरक्षक मुलायम सिंह यादव अब हमारे बीच नहीं रहे. लेकिन, मुलायम सिंह यादव से जुड़ी तमाम ऐसी यादें हैं, जो लोगों के जहन में आज भी जिंदा हैं और हमेशा जिंदा रहेंगी. इन्हीं यादों के झरोखों में से कुछ यादें बनारस की भी हैं. बात यदि बनारस की आती है तो मुलायम सिंह यादव और उनके राजवैद्य परिवार का जिक्र किया जाता है, क्योंकि वाराणसी में मौजूद राजवैद्य परिवार से मुलायम सिंह के परिवार का गहरा लगाव रहा है. इसका अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि वाराणसी में मुलायम सिंह यादव जब भी मौजूद रहे हैं, वो राजवैद्य परिवार से मिलने जरूर गए हैं. यही नहीं जब उनके राजवैद्य का निधन हो गया था तो उनके तेरहवीं संस्कार में शामिल होने सपा प्रमुख वाराणसी आए थे. 2018 में वाराणसी का उनका वह आखिरी दौरा था.
बता दें कि, मुलायम सिंह यादव लंबे समय से बीमार चल रहे थे. जिसके कारण उन्हें गुरुग्राम के मेदांता अस्पताल में भर्ती किया गया था. यहां आज सुबह उन्होंने अंतिम सांस ली. उनके चले जाने से पूरे देश में शोक का माहौल है, हर कोई इस सूचना से हतप्रभ है.
काशी का राजवैद्य परिवार सपा प्रमुख का करता था इलाज़
वाराणसी के चौक एरिया से सटे चूड़िया निवासी राजवैद्य पंडित शिवकुमार शास्त्री और उनके परिवार से सपा मुखिया मुलायम सिंह यादव का संबंध बेहद पुराना है.काफी लंबे समय से वैद्य जी के यहां से ही मुलायम सिंह के परिवार में दवाएं जाती रही हैं. खुद मुलायम सिंह यादव आयुर्वेद ट्रीटमेंट को रेफर करते थे. यही वजह है कि जब भी उनकी तबीयत खराब होती थी तो वह सीधे अपने खानदानी वैद्य से दवाई लेते थे. इस बात की तस्वीर 2015 में सामने आई थी, जब नेता जी की तबीयत अचानक खराब हो गई थी. और देर रात दवाओं की एक खेप बनारस से सपा सुप्रीमो के लिए भेजी गई थी. इस खेप में जड़ी बूटियों से विशेष काढ़ा तैयार किया गया था और उसे लखनऊ भेजा गया था.
इस घटना के बाद राजवैद्य परिवार के करीबी बताते हैं कि नेताजी आयुर्वेद दवाओं को ज्यादा पसंद करते थे.यही वजह है कि वह रेगुलर अपने सेहत को मेंटेन रखने के लिए राजवैद्य परिवार की दवाओं को खाते थे. यह सिलसिला दशकों से चला आया है. उन्होंने बताया कि 2015 में जब नेता जी की तबीयत खराब हुई थी तो उनके परिवार के रिक्वेस्ट पर उस समय एक काढ़ा बनाकर प्राइवेट साधन से लखनऊ रातो रात भिजवाया गया था. इसके साथ ही उन्हें कुछ नियमों को पालन करने का भी निर्देश दिया गया था. जिससे वह जल्द से जल्द स्वस्थ हो सके.
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राजवैद्य परिवार से रहा है सपा प्रमुख का गहरा लगाव
बनारस के राजवैद्य पंडित शिव कुमार शास्त्री और मुलायम सिंह यादव के संबंध का अंदाजा इस बात से भी लगाया जा सकता है कि जब 2018 में राजवैद्य शिव कुमार शास्त्री का निधन हुआ था, तो स्वयं मुलायम सिंह यादव उनके तेरहवीं संस्कार में शामिल होने के लिए काशी आए थे. यह मुलायम सिंह यादव का आखरी वाराणसी दौरा माना जाता है. इस दौरान मुलायम सिंह यादव सबसे पहले बाबतपुर हवाई अड्डे पहुंचे और उसके बाद सीधे सूड़िया राज वैद्य के निवास पर पहुंचे. जहां उन्होंने श्रद्धांजलि अर्पित की. इस दौरान नेता जी ने राजवैद्य के पुत्र समीर शास्त्री को कुछ पुरानी फोटोग्राफ भी दी. उन्होंने कहा कि यादव परिवार और उनका संबंध बेहद पुराना है. यह संबंध हमेशा जारी रहेगा.
काशी का वो किस्सा जिसमें 2018 में बढ़ा दी थी राजनीतिक सरगर्मी
तेरहवी संस्कार में शामिल होने के दौरान एक किस्सा भी हुआ था. जिसने वर्तमान राजनीति को पूरी तरीके से गर्म कर दिया था. दरअसल, वैद्य जी को श्रद्धांजलि देने के बाद सपा प्रमुख ने उनके पुत्र समीर शास्त्री से स्वयं को स्वस्थ करने की बात कही थी. उन्होंने कहा था कि आप मुझे जल्दी से ठीक कर दें. ताकि, मैं चुनाव लड़ सकूं. नेताजी के चुनाव लड़ने की बात ने राजनीतिक सरगर्मी को पूरी तरीके से बढ़ा दिया था, हालांकि नेता जी ने इस बारे में मीडिया से चुप्पी साधी थी.
सपा प्रमुख की पत्नी भी कराती थी इलाज़
गौरतलब हो कि मुलायम सिंह यादव ही नहीं बल्कि उनके परिवार का वाराणसी के राजवैद्य पंडित शिवकुमार शास्त्री से इलाज किया जाता था. इसकी तस्वीर 2016 में सामने आई थी, जब मुलायम सिंह यादव की दूसरी पत्नी साधना यादव अपने पति के करीबी डॉक्टर और राजवैद्य शिवकुमार शास्त्री जी से मिलने उनके आवास पर आई थी. इस दौरान उन्होंने मुलायम सिंह के स्वास्थ्य के बारे में यहां से जानकारी शुरू ली. साधना यादव ने यादव खानदान में चल रहे कलह को लेकर भी बातचीत की थी. बताया जाता है कि जहां राजवैद्य ने मुलायम सिंह के स्वास्थ्य को लेकर सुझाव भी दिया था.उन्होंने कहा था परिवारिक कलह एक बड़ा संकट है. इस संकट का एकमात्र समाधान संघर्ष विराम है. क्योंकि खानदान में जो कलह शुरू हुआ है उससे कहीं ना कहीं मिलने वाले तनाव से उनके स्वास्थ्य पर गलत असर पड़ सकता है. उन्होंने इसके लिए बकायदा यादव परिवार से कठोरता को समाप्त करने की अपील भी की थी.
कौन है वाराणसी के राज वैद्य परिवार
काशी के वैदिक परंपरा के प्रमुख स्तंभों में से एक राजवैद्य परिवार के पंडित शिवकुमार शास्त्री माने जाते है. उन्होंने बीएचयू से अपनी शिक्षा दिक्षा पूरी की थी. वह एक अंतरराष्ट्रीय सितार वादक भी थे. उनका परिवार लगभग 250 सालों से आयुर्वेद की परंपरा को संरक्षित किए हुए हैं. 80 के दशक में चौधरी चरण सिंह से लेकर के तमाम दिग्गज अपना इलाज कराने उनके पास आते थे. वर्तमान में उनके पुत्र उनकी परम्परा को आगे बढ़ा रहे हैं.
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