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गंगा के पानी का हरा होने के पीछे मिर्जापुर एसटीपी के अधिकारी जिम्मेदार, रिपोर्ट में खुलासा

गंगा नदी में हरे शैवाल पाये जाने के सम्बन्ध में जिलाधिकारी कौशल राज शर्मा की ओर से गठित 05 सदस्यीय समिति के सदस्यों ने 08, 09 एवं 10 जून तक वाराणसी से मिर्जापुर (विन्ध्याचल अप स्ट्रीम) गंगा नदी के उद्गम, स्रोत तथा गंगा घाटों तक जाकर शैवाल के कारणों की जॉच कर संयुक्त आख्या उन्हें शुक्रवार को सौप दी गई. इस रिपोर्ट में गंगा में शैवाल आने और पानी का रंग इस वजह से खराब होने के कारण मिर्जापुर एसटीपी के अधिकारियों की लापरवाही को बताया गया है.

गंगा का पानी का हरा
गंगा का पानी का हरा
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Published : Jun 12, 2021, 4:11 AM IST

वाराणसी: गंगा नदी में हरे शैवाल पाये जाने के सम्बन्ध में जिलाधिकारी कौशल राज शर्मा की ओर से गठित 05 सदस्यीय समिति के सदस्यों ने 08, 09 एवं 10 जून तक वाराणसी से मिर्जापुर (विन्ध्याचल अप स्ट्रीम) गंगा नदी के उद्गम, स्रोत तथा गंगा घाटों तक जाकर शैवाल के कारणों की जॉच कर संयुक्त आख्या उन्हें शुक्रवार को सौप दी गई. फिलहाल इस रिपोर्ट में गंगा में शैवाल आने और पानी का रंग इस वजह से खराब होने के कारण मिर्जापुर एसटीपी के अधिकारियों की लापरवाही को बताया गया है. जिसके बाद जिलाधिकारी की तरफ से शासन को जिम्मेदार अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई की बात कही गई है.


रिपोर्ट में कही गई है यह बात

दअरसल रिपोर्ट में बताया गया है कि गंगा नदी में हरे शैवाल के सम्भावित कारण के बाबत बताया गया है कि जनपद मिर्जापुर के विध्याचल में 04 एमएलडी क्षमता का एसटीपी कन्वेन्सल सिस्टम (लैगुनिंग सिस्टम) पर आधारित है. एसटीपी से गंदे पानी का निस्तारण बसवरिया ड्रेन के माध्यम से गंगा नदी में किया जाता है. इसी एसटीपी से हरा शैवाल गंगा नदी में मिलता है, लेकिन कार्य सही से न होने के कारण शैवाल गंगा नदी में धीरे-धीरे समय के साथ विकसित होती चली गयी. इस प्रकार 04 एमएलडी क्षमता का एसटीपी विन्ध्याचल से शैवाल का मुख्य स्रोत मिला है.

गंगा नदी में जल का प्रवाह बहुत कम है तथा जल में एलग्ल ब्लूम की वृद्धि के लिए उपयुक्त तापक्रम है, जो एलग्ल ब्लूम को विकसित करने में सहायक होता है. साथ खेतों से जनित जल अपने साथ न्यूट्रियन्स जैसे-नाइट्रोजन, फास्फोरस, यूरिया, डीएपी आदि पानी के साथ बहने के कारण भी गंगा नदी में नाइट्रोजन, फास्फोरस की मात्रा बढ़ने की सम्भावना है, जो एलग्ल ब्लूम की मात्रा बढ़ने में सहायक होती है. मिर्जापुर शहर से आंशिक एवं चुनार से जनित घरेलू मल-जल का बिना शुद्धीकृत किये निस्तारित किया जाना हैं. समिति द्वारा जॉच आख्या में शैवाल पाये जाने के सम्भावित कारणों के आधार पर संस्तुति की गई है कि 04 एमएलडी एसटीपी विन्ध्याचल को उच्चीकरण कराया जाय एवं 04 एमएलडी एसटीपी विन्ध्याचल जो कि हरे शैवाल को गंगा नदी में बहाये जाने तथा संचालन हेतु जिम्मेदार कार्मिक को एसटीपी के सम्यक संचालन एवं रख-रखाव हेतु आवश्यक दिशा निर्देश जारी किये जाने की संस्तुति की जाती है.

गंगा किनारे बने सभी एसटीपी का समुचित संचालन व रख-रखाव सुनिश्चित किया जाना जरूरी है. मिर्जापुर शहर से आंशिक एवं चुनार से जनित घरेलू मल-जल के शुद्धीकरण हेतु एसटीपी लगाये जाने की संस्तुति की जाए. गंगा नदी में मिनिमम बहाव सुनिश्चित किये जाने हेतु ऊपर से जल छोड़ने हेतु संस्तुति प्रेषित की जाये.

डीएम ने लिया एक्शन

हरे शैवाल को खत्म किये जाने एवं हरे शैवाल के कारण जलीय जन्तुओं पर पड़ने वाले कुप्रभावों के अध्ययन बनारस हिन्दू विश्वविद्यालय के सम्बंधित विभाग से कराये जाने की संस्तुति की गयी है. जिसके बाद जिलाधिकारी कौशल राज शर्मा ने समिति की जॉच आख्या के आधार पर जो मिर्जापुर एसटीपी के जिम्मेदार अधिकारी हैं, उनके विरूद्ध शासन में कार्यवाही प्रस्तावित की है एवं अन्य सुझाव एवं संस्तुतियों से सम्बन्धित अधिकारियों व विभागों को अनुपलान के लिए निर्देश दे दिए गए हैं.

वाराणसी: गंगा नदी में हरे शैवाल पाये जाने के सम्बन्ध में जिलाधिकारी कौशल राज शर्मा की ओर से गठित 05 सदस्यीय समिति के सदस्यों ने 08, 09 एवं 10 जून तक वाराणसी से मिर्जापुर (विन्ध्याचल अप स्ट्रीम) गंगा नदी के उद्गम, स्रोत तथा गंगा घाटों तक जाकर शैवाल के कारणों की जॉच कर संयुक्त आख्या उन्हें शुक्रवार को सौप दी गई. फिलहाल इस रिपोर्ट में गंगा में शैवाल आने और पानी का रंग इस वजह से खराब होने के कारण मिर्जापुर एसटीपी के अधिकारियों की लापरवाही को बताया गया है. जिसके बाद जिलाधिकारी की तरफ से शासन को जिम्मेदार अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई की बात कही गई है.


रिपोर्ट में कही गई है यह बात

दअरसल रिपोर्ट में बताया गया है कि गंगा नदी में हरे शैवाल के सम्भावित कारण के बाबत बताया गया है कि जनपद मिर्जापुर के विध्याचल में 04 एमएलडी क्षमता का एसटीपी कन्वेन्सल सिस्टम (लैगुनिंग सिस्टम) पर आधारित है. एसटीपी से गंदे पानी का निस्तारण बसवरिया ड्रेन के माध्यम से गंगा नदी में किया जाता है. इसी एसटीपी से हरा शैवाल गंगा नदी में मिलता है, लेकिन कार्य सही से न होने के कारण शैवाल गंगा नदी में धीरे-धीरे समय के साथ विकसित होती चली गयी. इस प्रकार 04 एमएलडी क्षमता का एसटीपी विन्ध्याचल से शैवाल का मुख्य स्रोत मिला है.

गंगा नदी में जल का प्रवाह बहुत कम है तथा जल में एलग्ल ब्लूम की वृद्धि के लिए उपयुक्त तापक्रम है, जो एलग्ल ब्लूम को विकसित करने में सहायक होता है. साथ खेतों से जनित जल अपने साथ न्यूट्रियन्स जैसे-नाइट्रोजन, फास्फोरस, यूरिया, डीएपी आदि पानी के साथ बहने के कारण भी गंगा नदी में नाइट्रोजन, फास्फोरस की मात्रा बढ़ने की सम्भावना है, जो एलग्ल ब्लूम की मात्रा बढ़ने में सहायक होती है. मिर्जापुर शहर से आंशिक एवं चुनार से जनित घरेलू मल-जल का बिना शुद्धीकृत किये निस्तारित किया जाना हैं. समिति द्वारा जॉच आख्या में शैवाल पाये जाने के सम्भावित कारणों के आधार पर संस्तुति की गई है कि 04 एमएलडी एसटीपी विन्ध्याचल को उच्चीकरण कराया जाय एवं 04 एमएलडी एसटीपी विन्ध्याचल जो कि हरे शैवाल को गंगा नदी में बहाये जाने तथा संचालन हेतु जिम्मेदार कार्मिक को एसटीपी के सम्यक संचालन एवं रख-रखाव हेतु आवश्यक दिशा निर्देश जारी किये जाने की संस्तुति की जाती है.

गंगा किनारे बने सभी एसटीपी का समुचित संचालन व रख-रखाव सुनिश्चित किया जाना जरूरी है. मिर्जापुर शहर से आंशिक एवं चुनार से जनित घरेलू मल-जल के शुद्धीकरण हेतु एसटीपी लगाये जाने की संस्तुति की जाए. गंगा नदी में मिनिमम बहाव सुनिश्चित किये जाने हेतु ऊपर से जल छोड़ने हेतु संस्तुति प्रेषित की जाये.

डीएम ने लिया एक्शन

हरे शैवाल को खत्म किये जाने एवं हरे शैवाल के कारण जलीय जन्तुओं पर पड़ने वाले कुप्रभावों के अध्ययन बनारस हिन्दू विश्वविद्यालय के सम्बंधित विभाग से कराये जाने की संस्तुति की गयी है. जिसके बाद जिलाधिकारी कौशल राज शर्मा ने समिति की जॉच आख्या के आधार पर जो मिर्जापुर एसटीपी के जिम्मेदार अधिकारी हैं, उनके विरूद्ध शासन में कार्यवाही प्रस्तावित की है एवं अन्य सुझाव एवं संस्तुतियों से सम्बन्धित अधिकारियों व विभागों को अनुपलान के लिए निर्देश दे दिए गए हैं.

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