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ओडीओपी के तहत शिक्षा को जिले की पहचान बनाने पर मंथन, ऑपरेशन कायाकल्प में ये जिला टाॅप पर

शुक्रवार को बीएचयू के लक्ष्मणदास अतिथि गृह में बैठक संपन्न हुई. इस दौरान मुख्यमंत्री के शिक्षा सलाहकार डॉ डीपी सिंह ने विभागों द्वारा किए जा रहे कार्यों के बारे में जानकारी ली.

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Published : Apr 1, 2023, 9:18 AM IST

वाराणसी : शिक्षा व्यवस्था को बेहतर बनाने व शैक्षणिक विभाग के विभिन्न अंगों के बीच समन्वय स्थापित करने को लेकर शुक्रवार को बीएचयू के लक्ष्मणदास अतिथि गृह में बैठक संपन्न हुई. बैठक का नेतृत्व मुख्यमंत्री के शिक्षा सलाहकार डॉ डीपी सिंह ने किया. इस दौरान उन्होंने शिक्षा विभाग के अलग-अलग विभागों द्वारा किए जा रहे कार्यों के बारे में जानकारी ली. साथ ही सभी शिक्षण संस्थानों को यह चेतावनी देते हुए कहा कि सभी संस्थान किताबी शिक्षा के द्योतक ना बने बल्कि बालक के विकास के अनुरूप शिक्षा प्रदान करें.


बता दें कि बैठक में अधिकारियों के द्वारा उन्हें जनपद में शिक्षा के क्षेत्र में किए जा रहे कार्यों को बताया गया. जिसमें निपुण भारत, ऑपरेशन कायाकल्प, प्रोजेक्ट विद्या शक्ति, प्रोजेक्ट अलंकार, प्रवीण,पंख, पहचान, पहुच महत्वपूर्ण कार्य थे. जिसमें ऑपरेशन कायाकल्प के तहत वाराणसी सभी जिलों में टॉप पर है.

मॉडल राज्य बनाने का उद्देश्य : डॉ डीपी सिंह ने जारी की गई प्रेस विज्ञप्ति के जरिये निर्देश देते हुए कहा कि, सरकार का उद्देश्य है कि उत्तर प्रदेश शिक्षा के क्षेत्र में एक मॉडल राज्य बने. जिसके लिए शिक्षा को बेहतर तरीके से विद्यार्थियों तक पहुंचाना जरूरी है. उन्होंने बताया कि, आज हमारा प्रदेश हर दिशा में आगे बढ़ रहा है. उसमें महत्वपूर्ण योगदान शिक्षा का है. हमें कोर्स इस प्रकार से डिजाइन करने होंगे जिससे डिमांड और सप्लाई के बीच गैप ना हो. जिस प्रकार से ह्यूमन रिसोर्स की जरूरत है बच्चों को उसी हिसाब से स्किल्ड करने की आवश्यकता है, जिससे विद्यार्थी बेहतर भविष्य की ओर उन्मुख हो सके.

संस्थान किताबी नहीं विकासपरक दें शिक्षा : इस दौरान बैठक में उन्होंने विद्यार्थियों के सर्वांगीण विकास पर बल दिया. उन्होंने कहा कि प्राइमरी से लेकर के उच्च शिक्षण संस्थान सभी को यह समझने की जरूरत है कि वह केवल किताब वाले संस्थान न बने बल्कि बच्चों के विकास में भी भागीदारी निभाए. क्योंकि एक बेहतर शिक्षा सर्वांगीण विकास को सुनिश्चित करने का महत्व रखती है. इसके साथ ही उन्होंने शोध पर बल देते हुए कहा कि रिपीटेड शोध करने से बचा जाए.शोध के लिए अच्छा वातावरण बनाने की जरूरत है और शोध सामाजिक रूप से प्रासंगिक, आवश्यकता आधारित, राष्ट्रीय महत्त्व एवं विश्व स्तर पर महत्वपूर्ण होने चाहिए.

यह भी पढ़ें : लखनऊ जू के मछलीघर में आया नया समुद्री जीव कारपेट एनीमोन, जल्द ही दिखेगी स्टार फिश

वाराणसी : शिक्षा व्यवस्था को बेहतर बनाने व शैक्षणिक विभाग के विभिन्न अंगों के बीच समन्वय स्थापित करने को लेकर शुक्रवार को बीएचयू के लक्ष्मणदास अतिथि गृह में बैठक संपन्न हुई. बैठक का नेतृत्व मुख्यमंत्री के शिक्षा सलाहकार डॉ डीपी सिंह ने किया. इस दौरान उन्होंने शिक्षा विभाग के अलग-अलग विभागों द्वारा किए जा रहे कार्यों के बारे में जानकारी ली. साथ ही सभी शिक्षण संस्थानों को यह चेतावनी देते हुए कहा कि सभी संस्थान किताबी शिक्षा के द्योतक ना बने बल्कि बालक के विकास के अनुरूप शिक्षा प्रदान करें.


बता दें कि बैठक में अधिकारियों के द्वारा उन्हें जनपद में शिक्षा के क्षेत्र में किए जा रहे कार्यों को बताया गया. जिसमें निपुण भारत, ऑपरेशन कायाकल्प, प्रोजेक्ट विद्या शक्ति, प्रोजेक्ट अलंकार, प्रवीण,पंख, पहचान, पहुच महत्वपूर्ण कार्य थे. जिसमें ऑपरेशन कायाकल्प के तहत वाराणसी सभी जिलों में टॉप पर है.

मॉडल राज्य बनाने का उद्देश्य : डॉ डीपी सिंह ने जारी की गई प्रेस विज्ञप्ति के जरिये निर्देश देते हुए कहा कि, सरकार का उद्देश्य है कि उत्तर प्रदेश शिक्षा के क्षेत्र में एक मॉडल राज्य बने. जिसके लिए शिक्षा को बेहतर तरीके से विद्यार्थियों तक पहुंचाना जरूरी है. उन्होंने बताया कि, आज हमारा प्रदेश हर दिशा में आगे बढ़ रहा है. उसमें महत्वपूर्ण योगदान शिक्षा का है. हमें कोर्स इस प्रकार से डिजाइन करने होंगे जिससे डिमांड और सप्लाई के बीच गैप ना हो. जिस प्रकार से ह्यूमन रिसोर्स की जरूरत है बच्चों को उसी हिसाब से स्किल्ड करने की आवश्यकता है, जिससे विद्यार्थी बेहतर भविष्य की ओर उन्मुख हो सके.

संस्थान किताबी नहीं विकासपरक दें शिक्षा : इस दौरान बैठक में उन्होंने विद्यार्थियों के सर्वांगीण विकास पर बल दिया. उन्होंने कहा कि प्राइमरी से लेकर के उच्च शिक्षण संस्थान सभी को यह समझने की जरूरत है कि वह केवल किताब वाले संस्थान न बने बल्कि बच्चों के विकास में भी भागीदारी निभाए. क्योंकि एक बेहतर शिक्षा सर्वांगीण विकास को सुनिश्चित करने का महत्व रखती है. इसके साथ ही उन्होंने शोध पर बल देते हुए कहा कि रिपीटेड शोध करने से बचा जाए.शोध के लिए अच्छा वातावरण बनाने की जरूरत है और शोध सामाजिक रूप से प्रासंगिक, आवश्यकता आधारित, राष्ट्रीय महत्त्व एवं विश्व स्तर पर महत्वपूर्ण होने चाहिए.

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