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वाराणसी: सूर्य ग्रहण पर शहनाई बजाकर की गई साधना

उत्तर प्रदेश के वाराणसी जिले में सूर्य ग्रहण का विशेष महत्व माना गया है. यहां कई साधक ग्रहण के समय अपनी सिद्धि करते हैं. वहीं रविवार को लोगों ने सूर्य ग्रहण के साथ अंतरराष्ट्रीय योग दिवस और विश्व संगीत दिवस भी मनाया.

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शहनाई बजाकर की गई साधना.
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Published : Jun 21, 2020, 3:48 PM IST

वाराणसी: धर्म और अध्यात्म के शहर काशी में सूर्य ग्रहण का विशेष महत्व होता है. यहां पर बहुत से साधक अपनी सिद्धि ग्रहण करने आते हैं. ऐसे में आज जहां एक तरफ अंतरराष्ट्रीय योग दिवस है. तो वहीं यह बहुत कम लोग जानते हैं कि आज विश्व संगीत दिवस भी है. जिले के प्रसिद्ध शहनाई वादक महेंद्र प्रसन्ना ने लगभग 900 साल के बाद आने वाले इस अद्भुत संयोग पर शहनाई के माध्यम से साधना की.

शहनाई बजाकर की गई साधना.

शहनाई बजाकर की साधना
प्रसिद्ध तुलसी घाट पर सोशल डिस्टेंसिंग का पालन करते हुए. अपने कलाकारों के साथ धूप में बैठकर महेंद्र प्रसन्ना ने शहनाई बजाकर साधना की. इस ग्रहण में बहुत से लोग अपनी विद्याओं को जागृत करने के लिए अलग-अलग तरह से साधना करते हैं. वहीं 21 जून को सबसे बड़ा दिन भी होता है, इसलिए यह साधना के लिए और भी महत्वपूर्ण है.

सूर्य और चंद्र ग्रहण का महत्व
महेंद्र प्रसन्ना ने बताया सूर्य और चंद्र ग्रहण साधकों के लिए विशेष होता है. ऐसे में आज हम मां मोक्षदायिनी के तट पर बैठकर अपनी शहनाई बजाकर संगीत की साधना कर रहे हैं. वहीं भगवान भास्कर और मां गंगा और बाबा विश्वनाथ से यह प्रार्थना है कि इस देश को वैश्विक महामारी के संकट से जल्द से जल्द मुक्त कराएं. साथ ही उन्होंने बताया कि ऐसा संयोग लगभग 900 वर्षों के बाद हुआ है.

वाराणसी: धर्म और अध्यात्म के शहर काशी में सूर्य ग्रहण का विशेष महत्व होता है. यहां पर बहुत से साधक अपनी सिद्धि ग्रहण करने आते हैं. ऐसे में आज जहां एक तरफ अंतरराष्ट्रीय योग दिवस है. तो वहीं यह बहुत कम लोग जानते हैं कि आज विश्व संगीत दिवस भी है. जिले के प्रसिद्ध शहनाई वादक महेंद्र प्रसन्ना ने लगभग 900 साल के बाद आने वाले इस अद्भुत संयोग पर शहनाई के माध्यम से साधना की.

शहनाई बजाकर की गई साधना.

शहनाई बजाकर की साधना
प्रसिद्ध तुलसी घाट पर सोशल डिस्टेंसिंग का पालन करते हुए. अपने कलाकारों के साथ धूप में बैठकर महेंद्र प्रसन्ना ने शहनाई बजाकर साधना की. इस ग्रहण में बहुत से लोग अपनी विद्याओं को जागृत करने के लिए अलग-अलग तरह से साधना करते हैं. वहीं 21 जून को सबसे बड़ा दिन भी होता है, इसलिए यह साधना के लिए और भी महत्वपूर्ण है.

सूर्य और चंद्र ग्रहण का महत्व
महेंद्र प्रसन्ना ने बताया सूर्य और चंद्र ग्रहण साधकों के लिए विशेष होता है. ऐसे में आज हम मां मोक्षदायिनी के तट पर बैठकर अपनी शहनाई बजाकर संगीत की साधना कर रहे हैं. वहीं भगवान भास्कर और मां गंगा और बाबा विश्वनाथ से यह प्रार्थना है कि इस देश को वैश्विक महामारी के संकट से जल्द से जल्द मुक्त कराएं. साथ ही उन्होंने बताया कि ऐसा संयोग लगभग 900 वर्षों के बाद हुआ है.

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