वाराणसी: देवा दी देव महादेव और माता गौरा के विवाह का दिन नजदीक आ रहा है. बाबा भोलेनाथ के पाणिग्रहण को लेकर तैयारियां जोर-शोर से चल रही हैं. भोलेनाथ की नगरी काशी महाशिवरात्रि के पवित्र मौके पर पूरी तरह से अपने आराध्य के इस परम पावन आयोजन में शामिल होती है. 18 फरवरी को महाशिवरात्रि से पहले ही काशी में उत्सव शुरू हो गया है. 16 फरवरी को बाबा भोलेनाथ को श्रीकाशी विश्वनाथ मंदिर में हल्दी चढ़ाने के साथ ही विवाह की रस्मों की शुरुआत की जाएगी. शादी की रस्म के दौरान बाबा भोलेनाथ खादी के वस्त्रों में तैयार होकर सिर्फ फूलों का सेहरा और मोहरा पहनकर अपनी दुल्हनिया माता पार्वती को लेने पहुंचेंगे. शिवरात्रि पर काशी में क्या तैयारियां हो रही और पूरी रात कौन-कौन सी रस्में होंगी जानिए इस रिपोर्ट में...
शिवरात्री पर भोलेनाथ की शादी की रस्में शुरू दरअसल, काशी में महाशिवरात्रि के मौके पर एक अलग ही नजारा देखने को मिलता है. जहां शिवरात्रि के 1 दिन पहले मध्य रात्रि से ही भक्तों की जबरदस्त भीड़ काशी विश्वनाथ मंदिर में दर्शन पूजन के लिए लंबी-लंबी कतारें लगाकर भोलेनाथ की एक झलक पाने का इंतजार करती है. तो वहीं पूरे दिन काशी के छोटे बड़े हर शिवालय में पूजन पाठ का क्रम जारी रहता है. सबसे बड़ी बात यह है कि वाराणसी में पूरा दिन भोलेनाथ की अलग-अलग बारात निकलती है और शाम को मध्यमेश्वर स्थित शिव मंदिर से मुख्य बारात निकलकर श्री विश्वनाथ मंदिर पहुंचती है. जिसके हुड़दंग में भूत, प्रेत, पिशाच, संघ काशी के लोग और बड़ी संख्या में पर्यटक भी हिस्सेदारी करते हैं.
भोलेनाथ की हल्दी रस्म में मंगल गीत गाते भक्त इन सबके बीच काशी में महाशिवरात्रि के उत्सव की शुरुआत 2 दिन पहले 16 फरवरी से ही होने जा रही है. इसकी बड़ी वजह है कि काशी में शिव के दो रूप विद्यमान हैं, एक चल प्रतिमा और एक अचल प्रतिमा. चल प्रतिमा श्रीकाशी विश्वनाथ मंदिर के महंत परिवार के घर में सैकड़ों साल से रजत प्रतिमा के रूप में मौजूद हैं. यहीं से बाबा और माता के विवाह की रस्म पूरे धूमधाम के साथ शुरू होती है. वहीं, विश्वनाथ मंदिर में मौजूद द्वादश ज्योतिर्लिंग में शामिल भोलेनाथ की अचल छवि भक्तों को एक अलग ही रूप में महाशिवरात्रि पर दर्शन देकर उनके कष्ट को हर लेती है. भगवान भोलेनाश माता पार्वती के साथ श्री काशी विश्वनाथ मंदिर में भक्तों की लंबी कतार को दृष्टिगत रखते हुए कॉरिडोर के अंदर ही भक्तों को कतारबद्ध होकर रखने की तैयारी की गई है. शिवरात्रि पर भक्तों की जबरदस्त भीड़ को दृष्टिगत रखते हुए स्पर्श दर्शन पर रोक भी रहेगी और सुबह मंगला आरती के साथ ही चार प्रहर की आरतियां और पूजा पाठ के साथ रात 11:00 बजे से बाबा के विवाह की दर्शनों की शुरुआत होगी. जिसे पंच ऋषि यानी 5 पंडितों के द्वारा पूर्ण करवाया जाएगा. अचल प्रतिमा के दर्शन के लिए लगी भक्तों की भीड़ इसके अलावा एक अन्य मुख्य आयोजन के रूप में महंत आवास पर बाबा की चल रजत प्रतिमा के विवाह की रस्मों को पूर्ण किया जाएगा. इस बारे में विश्वनाथ मंदिर के महंत डॉ कुलपति तिवारी ने बताया कि महंत आवास पर मौजूद सैकड़ों साल पुरानी रजत प्रतिमा का भव्य श्रृंगार होगा. सुबह बाबा के विवाह की रस्मों को पूर्ण करने के लिए पंडितों की मौजूदगी में उनका अभिषेक और अन्य चीजें संपन्न करवाई जाएंगी. जबकि 16 फरवरी से ही बाबा के विवाह की रस्मों को शुरू कर दिया जाएगा. फूलों का सेहरा पहने बाबा भोलेनाथ इस दिन महिलाएं हल्दी से भोलेनाथ को सुंदर वर की तैयार करने का काम करेंगी. बाबा का रूप निखर कर सामने आए इसलिए हल्दी केसर का उबटन उन्हें लगाया जाएगा. इसके बाद 17 फरवरी को महिलाएं मंगल गीत गाएंगी जिसके लिए लेडीज संगीत का आयोजन किया जाएगा. जबकि, 18 फरवरी को बाबा भोलेनाथ के विवाह की रस्मों की शुरूआत सुबह पूजा पाठ के साथ होगी. आरती और रुद्राभिषेक के अलावा भोलेनाथ के रूप को भव्यता के साथ सजाया जाएगा. चल रजत प्रतिमा को उस दिन खादी के वस्त्र बनाए जाएंगे. यह वस्त्र अभी तैयार होने के लिए गए हुए हैं. इसके अतिरिक्त भोलेनाथ को विशेष पगड़ी और फिर सेहरा पहना कर फूल और मालाओं से सजाया जाएगा. बाबा को दूल्हे की तरह खास चेहरा बनाने की तैयारी की जा रही है. जो ड्राइफ्रूट्स के साथ ही फूल मालाओं से तैयार करवाया जा रहा है. महंत कुलपति तिवारी का कहना है कि काशी में शिवरात्रि का उत्सव 16 तारीख से ही शुरू हो जाएगा. इस उत्सव की शुरुआत बसंत पंचमी को बाबा के तिलक उत्सव के साथ हो चुकी है. बाबा को तिलक चढ़ाया जा चुका है और अब 16 तारीख को हल्दी की रसम फिर महिलाओं के संगीत के बाद बाबा के विवाह की रस्मों को पूर्ण किया जाएगा और 18 तारीख को विश्वनाथ मंदिर के साथ ही महंत आवास पर भी विवाह की रस्म को पूरा किया जाएगा. जो पंच ऋषियों यानी पांच ब्राह्मणों के द्वारा पूर्ण होगा.