वाराणसी: डॉक्टर संपूर्णानंद संस्कृत विश्वविद्यालय का सोमवार को 39वां दीक्षांत समारोह संपन्न हुआ. कोविड-19 प्रोटोकॉल का पालन करते हुए 200 लोगों की मौजूदगी में ही इस कार्यक्रम को संपन्न किया गया. इस मौके पर एक तरफ जहां छात्र-छात्राओं को उनके उज्जवल भविष्य के लिए शुभकामनाएं देते हुए उन्हें मेडल प्रदान किए गए तो वहीं संस्कृत विश्वविद्यालय की तरफ से पद्मश्री मालिनी अवस्थी को डॉक्टरेट (वाचस्पीति) की मानद उपाधि दी गई.
इस कार्यक्रम में राज्यपाल आनंदीबेन पटेल भी मौजूद रहीं. इस दौरान उन्होंने शिक्षा के महत्व को बताते हुए सभी को पढ़ने और आगे बढ़ने की नसीहत दी. मालिनी अवस्थी ने उपाधि पाने के बाद विश्वविद्यालय समेत राज्यपाल को धन्यवाद प्रेषित किया और अपने ही अंदाज में लोक गायन के साथ अपने भाषण में छात्र-छात्राओं को संबोधित किया.
धोती-कुर्ता और गाउन में नजर आए विद्यार्थी
डॉक्टर संपूर्णानंद संस्कृत विश्वविद्यालय में सोमवार को आयोजित दीक्षांत समारोह में 37 मेधावियों को 63 पदक वितरित किए गए. कुल 15,520 विद्यार्थियों को शास्त्रीय आचार्य और अन्य पाठ्यक्रम की उपाधि वितरित की गई. इस मौके पर प्राचीन परंपरा का अनुसरण करते हुए विश्वविद्यालय के दीक्षांत समारोह को संस्कृत भाषा में ही आगे बढ़ाया गया. परंपरा के अनुरूप सनातन धर्म में धोती-कुर्ता और गाउन में सभी विद्यार्थी नजर आए.
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अवस्थी को मिली मानद की उपाधि
इस मौके पर पद्मश्री मालिनी अवस्थी को उनके अविस्मरणीय योगदान के लिए मानद की उपाधि से सम्मानित किया गया. कार्यक्रम में राज्यपाल के हाथों सम्मानित होने के बाद पद्मश्री मालिनी अवस्थी ने लोककला और गायन के जरिए अपने भाषण की शुरुआत की. उन्होंने लक्ष्मण और कौशल्या का जिक्र करते हुए अपनी लोक गायकी से अपनी बातों को लोगों के सामने रखा. उनका यह बेहद खास अंदाज लोगों को भी काफी पसंद आया. संस्कृत में अपने भाषण की शुरुआत करने के साथ ही उन्होंने सभी पदक पाने वाले छात्र-छात्राओं को बधाई दी.
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लोगों को संस्कृत का महत्व बताएं
राज्यपाल आनंदीबेन पटेल ने भी सभी को बधाई देते हुए धर्म नगरी काशी से संस्कृत के प्रचार प्रसार को और आगे बढ़ाने पर बल दिया. उनका साफ तौर पर कहना था कि आज संस्कृत के उत्थान के लिए किए जा रहे कार्य और वाराणसी के विकास की एक नई रूपरेखा दिखाई दे रही है. यही वजह है कि हमारी जिम्मेदारी और बड़ी है. अपनी परंपरा और संस्कृति को सुरक्षित रखते हुए काशी का मान बढ़ाएं और यहां से निकलने के बाद सभी को संस्कृत के महत्व से अवगत कराएं, यह नितांत आवश्यक है. उन्होंने कहा कि जिस तरह से दाराशिकोह काशी में रहकर संस्कृत का अध्ययन करते थे, वैसे ही आज भी बहुत से मुस्लिम समुदाय के छात्र-छात्राएं काशी में रहकर संस्कृत अध्ययन कर रहे हैं.
37 विद्यार्थियों को मिले 63 पदक
फिलहाल इस कार्यक्रम में सर्वाधिक 9 स्वर्ण पदक प्रतापगढ़ के रहने वाले रवि कुमार जयसवाल को आचार्य परीक्षा में सर्वाधिक अंक प्राप्त करने के लिए दिए गए. वहीं आचार्य परीक्षा में अच्छे अंक हासिल करने के लिए सौरभ शुक्ला को 4 स्वर्ण पदक दिए गए. इसके अलावा सुदर्शन गौतम को 4 स्वर्ण पदक, चंद्रशेखर पांडेय को 3 स्वर्ण पदक, शिवम चतुर्वेदी को 3 स्वर्ण पदक समेत कुल 37 विद्यार्थियों को 63 पदक वितरित किए गए हैं.
अशरफ अली को संस्कृत शिक्षा में मिला गोल्ड मेडल
इस दीक्षांत समारोह में अशरफ अली ने अपने धर्म से विपरीत जाकर न सिर्फ संस्कृत की शिक्षा ग्रहण की बल्कि जैन दर्शन में पहले शास्त्रीय यानी ग्रेजुएशन और फिर आचार्य यानी पोस्ट ग्रेजुएशन कंप्लीट करने के बाद दो गोल्ड मेडल हासिल किए हैं. ये चंदौली जिले के सकलडीहा के रहने वाले हैं. उन्होंने बताया कि उनके पिता की मृत्यु के बाद उन्होंने संस्कृत को ही अपने जीवन का आधार बना लिया. प्रारंभिक शिक्षा में भी उन्होंने संस्कृत को काफी महत्व दिया और संस्कृत के आधार पर ही जैन दर्शन में उन्होंने ग्रेजुएशन और पोस्ट ग्रेजुएशन कंप्लीट किया 5 सालों तक संस्कृत विश्वविद्यालय से पढ़ाई करने के बाद उन्हें आज राज्यपाल आनंदीबेन पटेल के हाथों को गोल्ड मेडल हासिल हुए. यहां तक कि जब वह मंच पर पहुंचे तो राज्यपाल ने भी उनकी पीठ थपथपाई और उनसे उनके भविष्य की प्लानिंग के बारे में जानकारी हासिल की.