वाराणसी: बाबा विश्वनाथ धाम (kashi vishwanath dham) की आभा हर ओर बिखर रही है. बनारस के लोगों को बाबा का आशीर्वाद तो मिल ही रहा है. वहीं, बाबा के लिए महाप्रसादम (Mahaprasadam of kashi vishwanath dham) बनाने वाली महिलाओं पर भी बाबा विश्वनाथ की कृपा बरस रही है. इस काम से उनकी आय में बढ़ोत्तरी हुई है. साथ ही इनके जीवन में खुशियां बढ़ गई हैं. काशी में बाबा विश्वनाथ धाम के लोकार्पण के बाद इनके जीवन में उजाला आया है.
दरअसल, वाराणसी में बाबा विश्वनाथ के लिए महाप्रसादम तैयार किया जाता है. इसकी पूरी तैयारी योगी सरकार की तरफ से की गई थी. इन महिलाओं को आगे लाने वाले यहां के कमिश्नर हैं, जिन्होंने इन महिलाओं को रोजगार दिलाया. इस काम के मिलने के बाद अब प्रसादम तैयार करने वाली महिलाओं को आय का स्रोत तो मिला ही है, वे आत्मनिर्भर भी बनी हैं. अपने परिवार को भी बखूबी संभाल रही हैं.
500-700 रुपये की रोजाना हो रही आय
बाबा के चढ़ावे के लिए प्रसाद बना रहीं समूह की सचिव सोनी पाल ने बताया कि इस काम में 14 महिलाएं जुड़ चुकी हैं. कुल 22 महिलाएं काम कर रही हैं. उन्होंने कहा कि उन लोगों ने जो सोचा भी नहीं था, बाबा के आशीर्वाद से वो भी पूरा हो रहा है. समूह से जुड़ी एक महिला ने बताया कि इस काम से हमारे बच्चों का भविष्य भी संवर रहा है. इससे रोजाना 500-700 रुपये की आय हो जाती है. पहले सेलिंग कम थी. अब पहले के मुकाबले बहुत अधिक बिक्री हो रही है.
सीएम योगी आदित्यनाथ का आया था आदेश
उन्होंने बताया कि उन लोगों ने प्रसाद बनाकर लखनऊ भेजा था. वहां से सीएम योगी आदित्यनाथ ने उन्हें प्रसाद बनाने का आदेश दिया. यह काम कमिश्नर दीपक अग्रवाल और गौरांग राठी की पहल से ही हो सका. उन्होंने महिलाओं को इस काम के लिए आगे आने के लिए प्रेरित किया.
प्रतिदिन 2 क्विंटल तैयार हो रहा प्रसाद
प्रसादम तैयार करते हुए महिला ने बताया कि कमिश्नर दीपक अग्रवाल और गौरांग राठी ने उन लोगों को रोजगार दिलाया है. उन्होंने बताया कि पहले वे लोग एक क्विंटल बनाते थे, जो 2-3 दिन चलता था. बाबा विश्वनाथ धाम के लोकार्पण के बाद अब 2 क्विंटल प्रतिदिन प्रसाद बन रहा है.
प्रसादम बनाने की ये है पूरी प्रक्रिया
प्रसादम बनाने की प्रक्रिया के बारे में बात करते हुए महिलाओं ने बताया कि वे लोग पहले आटा गूथती हैं. फिर उसको देशी घी में फ्राई करती हैं. फिर उसका चूरमा बनाती हैं. चूरमा बनाने के बाद फिर उसको देशी घी में भूनती हैं. इसके बाद खोया, मेवा, चीनी, इलायची, गुलाब की पंखुड़ी डालते हैं. फिर उसको हाथ से मिलाकर बाबा का प्रसाद बनाती हैं.
बताते चले कि प्रसाद को तैयार करने में महिलाएं स्वयं से प्रसाद में प्रयोग होने वाले सारे सामानों को एकत्रित करती हैं. उसके बाद प्रसाद को पूर्ण रूप से तैयार करती हैं. मंदिर प्रशासन की ओर से इन्हें मंदिर में महाप्रसादम का काउंटर दिया गया है, जहां वो इसे 500 रुपये प्रति किलो के अनुसार भक्तों को उपलब्ध कराती हैं. महिलाओं ने बताया कि अपनी आमदनी का 20 प्रतिशत वो मंदिर प्रशासन को देती हैं. सरकार और मंदिर प्रशासन के सहयोग से वो आज आत्मनिर्भर बनी हैं.