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वाराणसी: ग्रहण का मोक्ष होने के बाद काशी के गंगा घाटों पर उमड़ा जनसैलाब, लगाई आस्था की डुबकी

खंडग्रास चंद्रग्रहण समाप्त होने पर काशी के गंगा घाट पर बड़ी संख्या में लोगों ने मोक्ष प्राप्ति के लिए आस्था की डुबकी लगाई. 16 जुलाई की मध्य रात्रि को लगा ग्रहण सुबह 17 जुलाई 4:30 बजे खत्म हुआ.

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Published : Jul 17, 2019, 7:22 AM IST

ग्रहण का मोक्ष होने के बाद काशी के गंगा घाटों पर उमड़ा जनसैलाब

वाराणसी: 16 जुलाई की मध्य रात्रि रात 1:30 पर लगे खंडग्रास चंद्रग्रहण का सुबह 17 जुलाई 4:30 पर मोक्ष होने के बाद धर्मनगरी वाराणसी गंगा घाट पूरी तरह से भीड़ से पट गए. मुख्य घाट दशाश्वमेध राजेंद्र प्रसाद शीतला घाट समेत आस-पास के घाटों पर लोगों की जबरदस्त भीड़ देखने को मिली. बड़ी संख्या में लोगों ने आस्था की डुबकी लगाई. लोगों ने ग्रहण काल खत्म होने के बाद दान पुण्य भी किया.

ग्रहण का मोक्ष होने के बाद काशी के गंगा घाटों पर उमड़ा जन सैलाब

ग्रहण के बाद आस्था की डुबकी-

  • मध्य रात्रि रात 1:30 पर लगा खंडग्रास चंद्रग्रहण .
  • भोर में 4:30 बजे खत्म हुआ ग्रहण.
  • सूतक काल के वजह से नियमित गंगा आरती जहां दोपहर में 3:00 से 4:00 के बीच ही खत्म करा दी गई थी.
  • श्री काशी विश्वनाथ मंदिर में भोर में 3:00 बजे होने वाली मंगला आरती का समय भी परिवर्तित किया गया
  • रात भर लोग भजन-कीर्तन और पूजन पाठ करते रहे.
  • मुख्य घाट दशाश्वमेध, राजेंद्र प्रसाद शीतला घाट समेत आसपास के घाटों पर लोगों ने आस्था की डुबकी लगाई.
  • लोगों ने चावल, तिल और दक्षिणा देकर ग्रहण के दुष्प्रभावों से मुक्ति की कामना के साथ ईश्वर को नमन किया.
  • लोगों ने ग्रहण काल खत्म होने के बाद दान पुण्य भी किया.

वाराणसी: 16 जुलाई की मध्य रात्रि रात 1:30 पर लगे खंडग्रास चंद्रग्रहण का सुबह 17 जुलाई 4:30 पर मोक्ष होने के बाद धर्मनगरी वाराणसी गंगा घाट पूरी तरह से भीड़ से पट गए. मुख्य घाट दशाश्वमेध राजेंद्र प्रसाद शीतला घाट समेत आस-पास के घाटों पर लोगों की जबरदस्त भीड़ देखने को मिली. बड़ी संख्या में लोगों ने आस्था की डुबकी लगाई. लोगों ने ग्रहण काल खत्म होने के बाद दान पुण्य भी किया.

ग्रहण का मोक्ष होने के बाद काशी के गंगा घाटों पर उमड़ा जन सैलाब

ग्रहण के बाद आस्था की डुबकी-

  • मध्य रात्रि रात 1:30 पर लगा खंडग्रास चंद्रग्रहण .
  • भोर में 4:30 बजे खत्म हुआ ग्रहण.
  • सूतक काल के वजह से नियमित गंगा आरती जहां दोपहर में 3:00 से 4:00 के बीच ही खत्म करा दी गई थी.
  • श्री काशी विश्वनाथ मंदिर में भोर में 3:00 बजे होने वाली मंगला आरती का समय भी परिवर्तित किया गया
  • रात भर लोग भजन-कीर्तन और पूजन पाठ करते रहे.
  • मुख्य घाट दशाश्वमेध, राजेंद्र प्रसाद शीतला घाट समेत आसपास के घाटों पर लोगों ने आस्था की डुबकी लगाई.
  • लोगों ने चावल, तिल और दक्षिणा देकर ग्रहण के दुष्प्रभावों से मुक्ति की कामना के साथ ईश्वर को नमन किया.
  • लोगों ने ग्रहण काल खत्म होने के बाद दान पुण्य भी किया.
Intro:वाराणसी: 16 जुलाई की मध्य रात्रि रात 1:30 पर लगे खंडग्रास चंद्रग्रहण का सुबह 17 जुलाई 4:30 पर मोक्ष होने के बाद धर्मनगरी वाराणसी गंगा घाट पूरी तरह से भीड़ से पट गए मुख्य घाट दशाश्वमेध राजेंद्र प्रसाद शीतला घाट समेत आसपास के घाटों पर लोगों की जबरदस्त भीड़ देखने को मिली ग्रहण की वजह से चंद्रमा को पहुंच रहे कष्ट से राहत दिलाने के लिए पूरी रात घाट पर लोगों की भीड़ जमी रही और लोग भजन-कीर्तन कीर्तन और पूजन पाठ करते रहे. ग्रहण का मोक्ष मिलने के बाद बड़ी संख्या में लोगों ने आस्था की डुबकी लगाकर पुण्य कमाने की चाह में घाट पर अपनी मौजूदगी दर्ज कराई. इसके साथ ही लोगों ने ग्रहण काल खत्म होने के बाद दान पुण्य भी किया.






Body:वीओ-01- 16 जुलाई की मध्यरात्रि चंद्र ग्रहण की वजह से कल देर शाम 4:30 बजे सूतक काल शुरू होने के साथ ही काशी में इसका असर भी देखने को मिल रहा था. शाम 7:00 बजे होने वाली नियमित गंगा आरती जहां दोपहर में 3:00 से 4:00 के बीच ही खत्म करा दी गई वहीं मंदिर के कपाट भी रात 10:30 बजे शयन आरती के बाद बंद कर दिए गए, श्री काशी विश्वनाथ मंदिर में भोर में 3:00 बजे होने वाली मंगला आरती का समय भी परिवर्तित किया गया और 4:45 से 5:45 तक मंगला आरती होने के बाद बाबा विश्वनाथ के मंदिर के कपाट आम भक्तों के लिए खोले गए और लोगों ने दर्शन पूजन कर ग्रहण के बाद पुण्य फल की प्राप्ति की चाह में ईश्वर से कामना की.

बाईट- वासुदेव तिवारी तीर्थ, पुरोहित
बाईट- सुधा, स्नानार्थी


Conclusion:वीओ-02 ग्रहण के मोक्ष के बाद गंगा में डुबकी लगाने के लिए दूर-दूर से बड़ी संख्या में लोगों का हुजूम घाट पर पहुंचा था. इस दौरान बड़ी संख्या में लोगों ने गंगा घाट पर दान पुण्य कर पुण्य फल कमाया, लोगों ने चावल, तिल और दक्षिणा देकर ग्रहण के दुष्प्रभावों से मुक्ति की कामना के साथ ईश्वर को नमन किया. सबसे जबरदस्त भीड़ दशाश्वमेध घाट पर देखने को मिली जहां तिल रखने की भी जगह नहीं थी गंगा में पानी बढ़ा होने की वजह से भी लोगों को काफी परेशानी का सामना करना पड़ रहा था.

गोपाल मिश्र

9839809074
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