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गजब! कोच्चि जैसी यूपी में वॉटर मेट्रो, लखनऊ-अयोध्या समेत इन शहरों से चलेगी, जानिए - UP WATER METRO

कोच्चि जल बोर्ड की टीम उत्तर प्रदेश में नदियों के जलस्तर का सर्वे करने पहुंच रही है.

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यूपी में चलेगी वॉटर मेट्रो. (photo credit: etv bharat)
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By ETV Bharat Uttar Pradesh Team

Published : Feb 3, 2025, 8:52 AM IST

लखनऊ: आने वाले दिनों में लखनऊ समेत उत्तर प्रदेश के विभिन्न शहरों के लोग जल में मेट्रो से सफर कर सकेंगे. कोच्चि जल मेट्रो बोर्ड लखनऊ की गोमती नदी समेत प्रदेश के विभिन्न शहरों की नदियों में शहरी मेट्रो संचालित कराएगा. कोच्चि जल बोर्ड की टीम इसी माह लखनऊ समेत उत्तर प्रदेश में नदियों के जलस्तर का सर्वे करने पहुंच रही है. अभी तक अन्य विभागों की तरफ से जो सर्वे किया गया है उसमें लखनऊ की गोमती नदी को मेट्रो चलाने के लिए मुफीद पाया है तो सबसे पहले लखनऊ की गोमती नदी में शहरी मेट्रो संचालित की जाएगी. परिवहन विभाग के अधिकारी बताते हैं कि अब उत्तर प्रदेश जल परिवहन प्राधिकरण प्रदेश की नदियों में लोगों को जल पर्यटन के सुविधा देने के साथ ही नदियों से व्यापार बढ़ाने पर भी फोकस करेगा.


जल परिवहन प्राधिकरण गठित हो चुकाः उत्तर प्रदेश में जल परिवहन प्राधिकरण का गठन हो चुका है. अब इसके अधिकारी जल्द ही कामकाज संभालेंगे. दफ्तर की खोज शुरू हो चुकी है. जल परिवहन प्राधिकरण में किस-किस स्तर के अधिकारी किन-किन भूमिकाओं में रहेंगे यह भी लगभग तय हो चुका है. इसी माह उत्तर प्रदेश सरकार की कैबिनेट बैठक में जल परिवहन प्राधिकरण से संबंधित प्रस्ताव रखे जाएंगे जिन पर मुहर लगना भी तय माना जा रहा है. सड़क परिवहन की तरह ही जल परिवहन की सुविधा भी उत्तर प्रदेश के लोगों को जल्द से जल्द मिलनी शुरू हो, इसे लेकर जल परिवहन प्राधिकरण अपने काम में तेजी लाएगा.



कोच्चि से टीम आने वाली हैः परिवहन विभाग के अधिकारी बताते हैं कि उत्तर प्रदेश की नदियों में जल स्तर का सर्वे करने के लिए इसी माह कोच्चि से एक टीम आने वाली है. कोच्चि जल परिवहन बोर्ड उत्तर प्रदेश की नदियों में शहरी मेट्रो संचालित करने की योजना को बना रहा है. कोचीन में जल मेट्रो संचालित हो रही है उसी तर्ज पर यूपी में भी जल मेट्रो को शहरी मेट्रो के रूप में संचालित करने की योजना है.

इन नदियों में जल मेट्रो चलाने का प्लान: लखनऊ की गोमती नदी के अलावा आगरा की यमुना नदी, बनारस की गंगा नदी, और मथुरा में यमुना नदी, अयोध्या की सरयू नदी और प्रयागराज के संगम समेत अन्य जिन जिन नदियों में मेट्रो संचालित करने लायक जल होगा, उन शहरों में कोच्चि जल बोर्ड की तरफ से शहरी मेट्रो का संचालन किए जाने की योजना है.

खुलेंगे रजिस्ट्री कार्यालयः परिवहन विभाग के अधिकारी बताते हैं कि जल परिवहन प्राधिकरण में कई विभाग शामिल हैं और बड़े स्तर का काम होगा, कई शाखाएं भी होंगी. इनका सबका अपना अलग अलग काम होगा, जिनमें तकनीकी, ड्रेनेज, रजिस्ट्रेशन का काम होगा. इनमें डायरेक्टर्स की भी तैनाती होगी. जल परिवहन में जलयानों का पंजीकरण होगा. ऐसे में रजिस्ट्री कार्यालय खोले जाएंगे. लखनऊ के अलावा कई अन्य शहरों में भी रीजनल कार्यालय खोले जाएंगे जिसमें बनारस और प्रयागराज मुख्य होंगे.


नदियों में पानी की समस्याः उत्तर प्रदेश में नदियां तो काफी संख्या में हैं, लेकिन कई नदियों में जल की मात्रा कम है. यहां पर नेविगेबल लेंथ काफी कम है. ऐसे में जल परिवहन को बढ़ावा देने के उद्देश्य से पहले नदियों में जल की मात्रा बढ़ाना जलमार्ग प्राधिकरण के सामने बड़ी चुनौती होगी. छोटे-छोटे राज्यों में जल परिवहन को पंख लग रहे हैं, क्योंकि वहां पर नदियों में पानी ज्यादा मात्रा में है, जबकि उत्तर प्रदेश में नदियों में जल की समस्या है. यहां पर नदियों में सिल्ट ज्यादा है. ऐसे में जल की गहराई कम होने से कार्गो का चल पाना सबसे मुश्किल काम है. कार्गो को चलने के लिए दो मीटर से ज्यादा पानी की गहराई आवश्यक होगी. इस पर जल परिवहन प्राधिकरण काम कराएगा.




प्रदेशों में ये है नदियों की स्थिति

  • आंध्र प्रदेश में नदियों की कुल लंबाई 3761.73 किलोमीटर है, जिसमें नेविगेबल लेंथ (मेट्रो चलने योग्य जल) तकरीबन 1160 किलोमीटर और कुल लेंथ का लगभग 31 फीसद है.
  • असम में नदियों की लंबाई 7,988 किलोमीटर है जबकि इसमें से 2,024 किलोमीटर नेविगेबल लेंथ है. कुल लेंथ का 25 फीसद से ज्यादा नेविगेबल लेंथ है.
  • पश्चिम बंगाल में नदियों के कुल लंबाई 4,741 किलोमीटर है जबकि यहां पर नेविगेशन लेंथ 4,593 किलोमीटर है यानी नदियों की कुल लंबाई का लगभग 97 प्रतिशत.
  • नागालैंड में कुल नदियों की लंबाई 276 किलोमीटर है और 276 किलोमीटर में भी नेविगेबल लेंथ है. यानी यहां पर नदियों में सौ फीसद जल परिवहन हो रहा है.
  • झारखंड में भी नदियों की लंबाई कुल 95 किलोमीटर है और नेविगेबल लेंथ भी 95 किलोमीटर ही है. यहां पर भी नदियों की लंबाई का 100 फीसद नेविगेबल लेंथ है.
  • बिहार में भी नदियों की लंबाई 1011 किलोमीटर है और नेविगेबल लेंथ भी 1011 किलोमीटर है. यानी यहां पर भी नदियों की नेविगेबल लेंथ 100 फीसद है.


    ये भी पढ़ेः महाकुंभ में बसंत पंचमी पर दिखाई शाही स्नान की भव्यता; महानिर्वाणी अटल अखाड़े ने सबसे पहले लगाई डुबकी

ये भी पढ़ेंः यूपी बन गया अवैध निर्माण का गढ़, सामने आई बिल्डर्स और इंजीनियरों की मिलीभगत

लखनऊ: आने वाले दिनों में लखनऊ समेत उत्तर प्रदेश के विभिन्न शहरों के लोग जल में मेट्रो से सफर कर सकेंगे. कोच्चि जल मेट्रो बोर्ड लखनऊ की गोमती नदी समेत प्रदेश के विभिन्न शहरों की नदियों में शहरी मेट्रो संचालित कराएगा. कोच्चि जल बोर्ड की टीम इसी माह लखनऊ समेत उत्तर प्रदेश में नदियों के जलस्तर का सर्वे करने पहुंच रही है. अभी तक अन्य विभागों की तरफ से जो सर्वे किया गया है उसमें लखनऊ की गोमती नदी को मेट्रो चलाने के लिए मुफीद पाया है तो सबसे पहले लखनऊ की गोमती नदी में शहरी मेट्रो संचालित की जाएगी. परिवहन विभाग के अधिकारी बताते हैं कि अब उत्तर प्रदेश जल परिवहन प्राधिकरण प्रदेश की नदियों में लोगों को जल पर्यटन के सुविधा देने के साथ ही नदियों से व्यापार बढ़ाने पर भी फोकस करेगा.


जल परिवहन प्राधिकरण गठित हो चुकाः उत्तर प्रदेश में जल परिवहन प्राधिकरण का गठन हो चुका है. अब इसके अधिकारी जल्द ही कामकाज संभालेंगे. दफ्तर की खोज शुरू हो चुकी है. जल परिवहन प्राधिकरण में किस-किस स्तर के अधिकारी किन-किन भूमिकाओं में रहेंगे यह भी लगभग तय हो चुका है. इसी माह उत्तर प्रदेश सरकार की कैबिनेट बैठक में जल परिवहन प्राधिकरण से संबंधित प्रस्ताव रखे जाएंगे जिन पर मुहर लगना भी तय माना जा रहा है. सड़क परिवहन की तरह ही जल परिवहन की सुविधा भी उत्तर प्रदेश के लोगों को जल्द से जल्द मिलनी शुरू हो, इसे लेकर जल परिवहन प्राधिकरण अपने काम में तेजी लाएगा.



कोच्चि से टीम आने वाली हैः परिवहन विभाग के अधिकारी बताते हैं कि उत्तर प्रदेश की नदियों में जल स्तर का सर्वे करने के लिए इसी माह कोच्चि से एक टीम आने वाली है. कोच्चि जल परिवहन बोर्ड उत्तर प्रदेश की नदियों में शहरी मेट्रो संचालित करने की योजना को बना रहा है. कोचीन में जल मेट्रो संचालित हो रही है उसी तर्ज पर यूपी में भी जल मेट्रो को शहरी मेट्रो के रूप में संचालित करने की योजना है.

इन नदियों में जल मेट्रो चलाने का प्लान: लखनऊ की गोमती नदी के अलावा आगरा की यमुना नदी, बनारस की गंगा नदी, और मथुरा में यमुना नदी, अयोध्या की सरयू नदी और प्रयागराज के संगम समेत अन्य जिन जिन नदियों में मेट्रो संचालित करने लायक जल होगा, उन शहरों में कोच्चि जल बोर्ड की तरफ से शहरी मेट्रो का संचालन किए जाने की योजना है.

खुलेंगे रजिस्ट्री कार्यालयः परिवहन विभाग के अधिकारी बताते हैं कि जल परिवहन प्राधिकरण में कई विभाग शामिल हैं और बड़े स्तर का काम होगा, कई शाखाएं भी होंगी. इनका सबका अपना अलग अलग काम होगा, जिनमें तकनीकी, ड्रेनेज, रजिस्ट्रेशन का काम होगा. इनमें डायरेक्टर्स की भी तैनाती होगी. जल परिवहन में जलयानों का पंजीकरण होगा. ऐसे में रजिस्ट्री कार्यालय खोले जाएंगे. लखनऊ के अलावा कई अन्य शहरों में भी रीजनल कार्यालय खोले जाएंगे जिसमें बनारस और प्रयागराज मुख्य होंगे.


नदियों में पानी की समस्याः उत्तर प्रदेश में नदियां तो काफी संख्या में हैं, लेकिन कई नदियों में जल की मात्रा कम है. यहां पर नेविगेबल लेंथ काफी कम है. ऐसे में जल परिवहन को बढ़ावा देने के उद्देश्य से पहले नदियों में जल की मात्रा बढ़ाना जलमार्ग प्राधिकरण के सामने बड़ी चुनौती होगी. छोटे-छोटे राज्यों में जल परिवहन को पंख लग रहे हैं, क्योंकि वहां पर नदियों में पानी ज्यादा मात्रा में है, जबकि उत्तर प्रदेश में नदियों में जल की समस्या है. यहां पर नदियों में सिल्ट ज्यादा है. ऐसे में जल की गहराई कम होने से कार्गो का चल पाना सबसे मुश्किल काम है. कार्गो को चलने के लिए दो मीटर से ज्यादा पानी की गहराई आवश्यक होगी. इस पर जल परिवहन प्राधिकरण काम कराएगा.




प्रदेशों में ये है नदियों की स्थिति

  • आंध्र प्रदेश में नदियों की कुल लंबाई 3761.73 किलोमीटर है, जिसमें नेविगेबल लेंथ (मेट्रो चलने योग्य जल) तकरीबन 1160 किलोमीटर और कुल लेंथ का लगभग 31 फीसद है.
  • असम में नदियों की लंबाई 7,988 किलोमीटर है जबकि इसमें से 2,024 किलोमीटर नेविगेबल लेंथ है. कुल लेंथ का 25 फीसद से ज्यादा नेविगेबल लेंथ है.
  • पश्चिम बंगाल में नदियों के कुल लंबाई 4,741 किलोमीटर है जबकि यहां पर नेविगेशन लेंथ 4,593 किलोमीटर है यानी नदियों की कुल लंबाई का लगभग 97 प्रतिशत.
  • नागालैंड में कुल नदियों की लंबाई 276 किलोमीटर है और 276 किलोमीटर में भी नेविगेबल लेंथ है. यानी यहां पर नदियों में सौ फीसद जल परिवहन हो रहा है.
  • झारखंड में भी नदियों की लंबाई कुल 95 किलोमीटर है और नेविगेबल लेंथ भी 95 किलोमीटर ही है. यहां पर भी नदियों की लंबाई का 100 फीसद नेविगेबल लेंथ है.
  • बिहार में भी नदियों की लंबाई 1011 किलोमीटर है और नेविगेबल लेंथ भी 1011 किलोमीटर है. यानी यहां पर भी नदियों की नेविगेबल लेंथ 100 फीसद है.


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