वाराणसी : जिले में लगातार बढ़ रहे कोरोना मरीजों ने स्वास्थ्य महकमे की मुश्किलें बढ़ा दी हैं. कोरोना संक्रमण की दूसरी लहर ने अस्पतालों में हो रही ऑक्सीजन की खपत को भी बढ़ा दिया है. हर दिन अस्पतालों में सैकड़ों की संख्या में मरीज भर्ती हो रहे हैं, जिनमें ज्यादातर मरीजों को ऑक्सीजन की जरूरत है. इसकी वजह से ऑक्सीजन की खपत भी बढ़ रही है. इसको देखते हुए जिला प्रशासन ने निजी अस्पतालों को भी कोरोना अस्पताल में तब्दील करने का निर्णय लिया है. साथ ही बाहर से ऑक्सीजन की खेप भी मंगाई जा रही है.
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प्रतिदिन 7-8 हजार सिलेंडर की है मांग
गौरतलब है कि कोरोना काल से पहले ऑक्सीजन की कुल मांग का 50 से 60 फीसदी उत्पादन होता था, जिससे वाराणसी और पड़ोसी जिलों का काम चलता था. सितंबर 2020 में इसे बढ़ाया गया और 60 से 70 फीसदी उत्पादन होने लगा. बीते 7 दिन में ऑक्सीजन की खपत तेजी से बढ़ी है. ऑक्सीजन उत्पादन करने वाले उद्यमियों की मानें तो इस समय ऑक्सीजन की खपत प्रतिदिन 7 से 8 हजार सिलेंडर हो रही है. वहीं करीब 1 हजार क्यूबिक मीटर ऑक्सीजन का उत्पादन भी हो रहा है. आसपास के जिलों में भी ऑक्सीजन सिलेंडर भेजे जा रहे हैं. इस कारण अस्पताल में सही समय पर डिलीवरी नहीं हो पा रही है.
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हमारी लगातार कोशिश है कि ऑक्सीजन की समस्या न हो. अभी किल्लत तो नहीं है. हालांकि, भविष्य में कमी हो सकती है, इसको देखते हुए इन दिनों ऑक्सीजन की आवक बढ़ा दी गई है. बीएचयू के सर सुंदरलाल अस्पताल से लेकर अन्य कोविड अस्पतालों में ऑक्सीजन की कमी न हो इसके लिए हम सब पूरी तरह से तैयार हैं. लगातार ऑक्सीजन की खेप बाहर से मंगाई जा रही है. अस्पताल में आने वाले मरीजों में 50 फीसदी को ऑक्सीजन की जरूरत पड़ रही है, इसलिए ऑक्सीजन की क्षमता 3 गुना बढ़ाकर 3000 लीटर कर दी गई है.
-डॉक्टर एनपी सिंह, प्रभारी सीएमओ
ऑक्सीजन की कमी को देखते हुए औद्योगिक इकाइयों में ऑक्सीजन सप्लाई को रोक दिया गया है, साथ ही आवक भी बढ़ा दी गई है. सोमवार को जिले में 12 टन ऑक्सीजन मंगाई गई थी. मंगलवार को नोएडा से 10 टन ऑक्सीजन की आवक हुई है. इसके साथ ही बुधवार को बोकारो से 15 टन ऑक्सीजन मंगाई गई है. अब ऑक्सीजन की कोई कमी नहीं होगी.
-केजी गुप्ता, सहायक औषधि आयुक्त, ड्रग लाइसेंस अथॉरिटी