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WORLD MILK DAY : जानिए पैकेट बंद और खुले दूध में कौन है बेहतर

आज की भागदौड़ भरी जिंदगी में इंसान पौष्टिकता छोड़कर आसानी से उपलब्ध चीजों पर ज्यादा विश्वास रखता है. इसी वजह से पैकेट बंद दूध लोगों के बीच अपनी पैठ बना चुका है. यही वजह है कि वाराणसी की 25% से ज्यादा आबादी अब पैकेट बंद दूध पर निर्भर है.

जानिए पैकेट बंद और खुले दूध में कौन सा है उत्तम.
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Published : Jun 1, 2019, 6:57 PM IST

वाराणसी: आज की भागदौड़ भरी जिंदगी में इंसान पौष्टिकता छोड़कर आसानी से उपलब्ध चीजों पर ज्यादा विश्वास करने लगा है. शायद यही वजह है कि तेजी से बदल रहे वक्त में अब घरों तक पहुंचने वाले गाय और भैंस के दूध की जगह पैकेट बंद दूध ने ले ली है. वहीं जिले में भी अब तेजी से पैकेट बंद दूध की सप्लाई होने लगी है. पहले जिले में सिर्फ एक पैकेट बंद दूध की फैक्ट्री थी. वहीं वर्तमान में कई फैक्ट्रियां यहां संचालित हो रही हैं.

जानिए पैकेट बंद और खुले दूध में कौन सा है उत्तम.
  • इस समय बाजार में दो तरह के दूध मौजूद हैं. एक सीधे गोशाला या डेरी से आने वाला दूध और दूसरा पैकेट बंद दूध.
  • वर्तमान समय में पैकेट बंद दूध तेजी से लोगों के बीच अपनी पैठ बना चुका है.
  • बनारस की 25% से ज्यादा आबादी अब पैकेट बंद दूध पर निर्भर हो चुकी है.
  • चाय की दुकानों पर भी अब खुले दूध की जगह पैकेट बंद दूध का इस्तेमाल होता दिख रहा है.

जानिए क्या है डॉक्टरों की राय
वाराणसी के एक फेमस हॉस्पिटल के सीनियर डॉक्टर एम पाठक का कहना है कि पैकेट बंद दूध को हमेशा से कमजोर माना जाएगा. इसको किन परिस्थितियों में तैयार किया जाता है, पैकेट बनाने की डेट क्या होती है और इसमें कितना पोषण मौजूद होता है इसकी नियमित जांच होना बहुत महत्वपूर्ण है. जो बड़ी कंपनियां हैं वह तो मानक का ध्यान रखती हैं, लेकिन छोटी कंपनियां इस पर ध्यान नहीं देती हैं. कैल्शियम, विटामिन, फास्फोरस और फैट की मात्रा को कम कर देने की वजह से पैकेट बंद दूध स्वास्थ्य के लिए बेहतर नहीं होता.

वहीं इंडियन मेडिकल एसोसिएशन के सीनियर डॉक्टर पीसी शर्मा का कहना है कि बाजार में खुले दूध और पैकेट बंद दूध दोनों मौजूद हैं. पैकेट बंद दूध की तुलना में आज भी गाय और भैंसों से मिलने वाला दूध पौष्टिक और काफी बेहतर माना जाता है.
खुले दूध और पैकेट बंद में अंतर-

  • डॉक्टर्स की मानें तो खुले दूध और पैकेट बंद दूध में काफी अंतर होता है.
  • खुला दूध यदि बेहतर डेयरी और सरकारी निगरानी में सप्लाई हो रहा है तो इसमें कैल्शियम, मिनरल, फास्फोरस की भरपूर मात्रा पाई जाती है.
  • पैकेट बंद दूध की स्थिति तब बेहतर है जब उस पर सरकारी निगरानी सही तरीके से हो.
  • पैकेट बंद दूध किस तिथि में बन रहा है और कब तक वह सही रहेगा इसकी जानकारी बेहद जरूरी है.
  • निर्धारित तिथि तक वह दूध बिक जाए यह ज्यादा जरूरी माना जाता है. पैकेट में बंद होने की वजह से दूध खराब है या ठीक है इसकी जानकारी कर पाना मुश्किल है.
  • इसकी वजह से कई बार खराब दूध भी इस्तेमाल में आ जाता है, जो नुकसानदायक है.

वाराणसी: आज की भागदौड़ भरी जिंदगी में इंसान पौष्टिकता छोड़कर आसानी से उपलब्ध चीजों पर ज्यादा विश्वास करने लगा है. शायद यही वजह है कि तेजी से बदल रहे वक्त में अब घरों तक पहुंचने वाले गाय और भैंस के दूध की जगह पैकेट बंद दूध ने ले ली है. वहीं जिले में भी अब तेजी से पैकेट बंद दूध की सप्लाई होने लगी है. पहले जिले में सिर्फ एक पैकेट बंद दूध की फैक्ट्री थी. वहीं वर्तमान में कई फैक्ट्रियां यहां संचालित हो रही हैं.

जानिए पैकेट बंद और खुले दूध में कौन सा है उत्तम.
  • इस समय बाजार में दो तरह के दूध मौजूद हैं. एक सीधे गोशाला या डेरी से आने वाला दूध और दूसरा पैकेट बंद दूध.
  • वर्तमान समय में पैकेट बंद दूध तेजी से लोगों के बीच अपनी पैठ बना चुका है.
  • बनारस की 25% से ज्यादा आबादी अब पैकेट बंद दूध पर निर्भर हो चुकी है.
  • चाय की दुकानों पर भी अब खुले दूध की जगह पैकेट बंद दूध का इस्तेमाल होता दिख रहा है.

जानिए क्या है डॉक्टरों की राय
वाराणसी के एक फेमस हॉस्पिटल के सीनियर डॉक्टर एम पाठक का कहना है कि पैकेट बंद दूध को हमेशा से कमजोर माना जाएगा. इसको किन परिस्थितियों में तैयार किया जाता है, पैकेट बनाने की डेट क्या होती है और इसमें कितना पोषण मौजूद होता है इसकी नियमित जांच होना बहुत महत्वपूर्ण है. जो बड़ी कंपनियां हैं वह तो मानक का ध्यान रखती हैं, लेकिन छोटी कंपनियां इस पर ध्यान नहीं देती हैं. कैल्शियम, विटामिन, फास्फोरस और फैट की मात्रा को कम कर देने की वजह से पैकेट बंद दूध स्वास्थ्य के लिए बेहतर नहीं होता.

वहीं इंडियन मेडिकल एसोसिएशन के सीनियर डॉक्टर पीसी शर्मा का कहना है कि बाजार में खुले दूध और पैकेट बंद दूध दोनों मौजूद हैं. पैकेट बंद दूध की तुलना में आज भी गाय और भैंसों से मिलने वाला दूध पौष्टिक और काफी बेहतर माना जाता है.
खुले दूध और पैकेट बंद में अंतर-

  • डॉक्टर्स की मानें तो खुले दूध और पैकेट बंद दूध में काफी अंतर होता है.
  • खुला दूध यदि बेहतर डेयरी और सरकारी निगरानी में सप्लाई हो रहा है तो इसमें कैल्शियम, मिनरल, फास्फोरस की भरपूर मात्रा पाई जाती है.
  • पैकेट बंद दूध की स्थिति तब बेहतर है जब उस पर सरकारी निगरानी सही तरीके से हो.
  • पैकेट बंद दूध किस तिथि में बन रहा है और कब तक वह सही रहेगा इसकी जानकारी बेहद जरूरी है.
  • निर्धारित तिथि तक वह दूध बिक जाए यह ज्यादा जरूरी माना जाता है. पैकेट में बंद होने की वजह से दूध खराब है या ठीक है इसकी जानकारी कर पाना मुश्किल है.
  • इसकी वजह से कई बार खराब दूध भी इस्तेमाल में आ जाता है, जो नुकसानदायक है.
Intro:स्पेशल स्टोरी:

वर्ल्ड मिल्क डे पर श्री शैलेंद्र सर के निर्देश पर प्रेषित--

वाराणसी: आज के दौर में स्वास्थ्य को लेकर लोग बहुत ज्यादा अलर्ट हो गए खाने पीने की चीजों से लेकर मेकअप हर चीज पर विशेष ध्यान दे रहे हैं इन सब के बीच सबसे महत्वपूर्ण है नियमित दूध का सेवन खासतौर पर उन नन्हे मुन्ने बच्चों के लिए जो दूध पर निर्भर होते हैं मां बाप भी बच्चों को दूध के बल पर मजबूत करने की पूरी कोशिश करते हैं लेकिन आज भागदौड़ भरी जिंदगी में इंसान पौष्टिकता छोड़कर आसानी से उपलब्ध चीजों पर ज्यादा विश्वास करने लगा शायद यही वजह है कि तेजी से बदल रहे वक्त में अब घरों तक पहुंचने वाले गाय और भैंस के दूध की जगह पैकेट बंद दूध ने ले ली है शहर बनारस में भी अब तेजी से पैकेट बंद दूध की सप्लाई होने लगी है जाते वक्त में बनारस में सिर्फ एक पैकेट बंद दूध की फैक्ट्री काम कर रही थी वही वर्तमान में आधा दर्जन से ज्यादा फैक्ट्रियां यहां संचालित हो रही है घरों में अब खुले बाजार के दूध की जगह यह पैकेट बंद दूध पहुंच रहा है इन सब के बीच अब सवाल यह उसने लगा है कि आखिर कौन सा दूध उत्तम है किस दूध के बल पर अपने बच्चों और परिवार के अन्य लोगों को गुणवत्ता के साथ स्वास्थ्य लाभ पहुंचाया जा सकता है कुछ इन्हीं सवालों का जवाब तलाशने की कोशिश हमने की


Body:वीओ-01आज बाजार में दो तरह के दूध मौजूद है एक खुले बाजार में सीधे गौशाला या डेरी से आने वाला दूध जिसे लोग या तो फिर घरों पर या फिर दूध मंडी से सीधे हासिल करते हैं लेकिन इन सबके बीच अब पैकेट बंद दूध भी तेजी से लोगों के बीच अपनी पैठ बना चुका है बनारस में अगर बात की जाए तो शहर की लगभग 19 लाख से ज्यादा आबादी में 25% से ज्यादा हिस्सा अब पैकेट बंद दूध पर निर्भर हो गया है. चाय की दुकानों पर भी अब खुले दूध की जगह पैकेट बंद दूध का इस्तेमाल होने लगा है इन सबके बीच डॉक्टरों की राय भी अलग-अलग है वाराणसी के एक फेमस हॉस्पिटल के सीनियर डॉक्टर एम पाठक का कहना है कि पैकेट बंद दूध खुले दूध की तुलना में हमेशा से कमजोर माना जाएगा क्योंकि इसको किन परिस्थितियों में तैयार किया जाता है किन परिस्थितियों में बाजार में भेजा जाता है पैकेट बनाने की डेट क्या होती है और इसमें कितना पोषण मौजूद होता है इसकी नियमित जांच होना बहुत महत्वपूर्ण है जो बड़ी कंपनियां हैं वह तो मानक का ध्यान रखती हैं लेकिन छोटी कंपनियां इस पर ध्यान नहीं देते जिसकी वजह से इन में मौजूद कैल्शियम विटामिन फास्फोरस और फैट की मात्रा को कम कर देने की वजह से पैकेट बंद दूध स्वास्थ्य के लिए बेहतर नहीं होता वही खुले बाजार में मिलने वाले दूध सीधे गाय या भैंस के जरिए हम तक पहुंचते हैं यदि इन में मिलावट ना हो तो निश्चित तौर पर यह सेहत के लिए काफी फायदेमंद माने जाते हैं पैकेट दूध की तुलना में.

बाईट- डॉ एम पाठक, सीनियर डॉक्टर


Conclusion:वीओ-02 वहीं इंडियन मेडिकल एसोसिएशन के पूर्व प्रेजिडेंट और सीनियर डॉक्टर पीसी शर्मा का कहना है कि आज इस बात को लेकर काफी कन्फ्यूजन की स्थिति है कि आखिर हम कौन सा दूध इस्तेमाल करें बाजार में खुला दूध पैकेट बंद दूध दोनों मौजूद है खुले दूध के साथ दिक्कत यह है कि खतरनाक 20 पिटुटीरिन इंजेक्शन लगाकर गाय और भैंसों से यह दूध निकाला जाता है जो सरकारी डेरी हैं जहां पर बड़े पैमाने पर यह काम जांच पड़ताल से होता है वह तो बेहतर दूध देती हैं लेकिन जो गांव देहात या अन्य जगहों से दूध वाले दूध लेकर शहरों में आते हैं उनकी जांच पड़ताल भी प्रॉपर वे में नहीं होती है ऐसी स्थिति में पैकेट बंद दूध लेना आज के समय में ज्यादा बेहतर है कि बड़ी कंपनियों के दूध मानक के अनुसार तैयार होते हो जिनकी जांच भी की जाती है कुल मिलाकर कहा जाए तो आज के समय में बाजार में मौजूद दूध को लेकर एक्सपर्ट में भी कंफ्यूजन की स्थिति है लेकिन इसमें कोई दो राय नहीं है कि पैकेट बंद दूध की तुलना में आज भी गाय और भैंसों से मिलने वाला सीधा दूध पौष्टिक और काफी बेहतर माना जाता है.

खुला दूध पैकेट बंद में अंतर

- डॉक्टर्स की मानें तो खुले दूध का पैकेट बंद दूध में काफी अंतर होता है

- खुला दूध यदि बेहतर डेयरी और सरकारी निगरानी में सप्लाई हो रहा है तो इसमें कैल्शियम, मिनरल, फास्फोरस की भरपूर मात्रा पाई जाती है

- क्योंकि खुला दूध खराब होने की स्थिति में पकड़ा जा सकता है और इसका इस्तेमाल भी जल्द या सेम डे कर लिया जाता है

- पैकेट बंद दूध की स्थिति तब बेहतर है जब उस पर सरकारी निगरानी प्रॉपर वे में हो

- कंपनियां पूरे नियम से इसका उत्पादन करें पैकेट बंद दूध किस तिथि में बन रहा है और कब तक वह सही रहेगा इसकी जानकारी बेहद जरूरी है

- दुकानों पर निर्धारित तिथि तक वह दूध बिक जाए या ज्यादा जरूरी माना जाता है पैकेट में होने की वजह से दूध खराब है या ठीक इसे पकड़ पाना मुश्किल है

- जिसकी वजह से कई बार खराब दूध भी इस्तेमाल में आ जाता है जो नुकसानदायक है.

बाईट- डॉ पीसी शर्मा, सीनियर डॉक्टर, पूर्व प्रेसिडेंट आईएमए
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