वाराणसी : केरल के राज्यपाल आरिफ मोहम्मद खान गुरुवार को एक दिवसीय दौरे पर वाराणसी पहुंचे. सर्किट हाउस में राज्यपाल को गार्ड ऑफ ऑनर दिया गया. इसके बाद मीडिया से बातचीत में केरल के राज्यपाल आरिफ मोहम्मद खान ने रामचरितमानस को लेकर हो रही राजनीति पर कहा कि अगर मीडिया का योगदान हो तो विषय विवाद बनेगा ही नहीं. जब हम उन्हीं चीजों को ज्यादातर तवज्जो देते हैं जिससे मतभेद हो, अगर आप जरा सा अपने एटीट्यूड में परिवर्तन कर लें तो शायद विवाद न बने. उन्होंने कहा कि मैं तो ये मानता हूं कि जाकी रही भावना जैसी, प्रभु मूरत देखी तिन तैसी.
उन्होंने कहा कि मतभेद तो लोकतंत्र का लाजमी हिस्सा है. अपनी बात कहने का सबको हक है. फाइनली देश की जनता जो चाहती है वही होता है. एक ही चीज को लेकर व्यक्तियों कि सोच में अंतर हो सकता है. क्योकि हर किसी का अपना अलग नजरिया होता है. वहीं इस्लामिक धार्मिक फतवे पर उन्होंने कहा कि यह सभी आज नहीं आए थे. जब आए थे तब आए थे और आज किसी को यह भी नहीं पता होगा कि किसने पत्र जारी किए. इन सब चीजों को व्यक्ति को नॉर्मल तरीके से लेना चाहिए. इसे अहमियत नहीं देना चाहिए.
इसके बाद केरल के राज्यपाल आरिफ मोहम्मद खान भेलूपुर स्थित मुड़ीकट्टा मंदिर स्थित स्वर्गीय प्रदीप बजाज के घर पहुंचे. जहां परिजनों के साथ बैठकर उन्होंने वार्ता की. वहीं मीडिया से बात करते हुए उन्होंने कहा की प्रदीप बजाज जी हमारे साथ वर्ष 1977 में एसेंबली में एक साथ थे, लेकिन पारिवारिक रिश्तों में हम दोनों एक ही थे.
आरिफ मोहम्मद खान ने कहा कि हम जब भी बनारस आते या वह दिल्ली आते तो हमारी मुलाकात होती थी. जब उनके निधन की खबर मिली तो हम अगले 24 घंटे तक प्रदीप के भाई प्रकाश से बात करने की हिम्मत नहीं जुटा पाए. एक भाई के खोने पर जो भावनाएं होती हैं, वही मेरी भावनाएं हैं. मालिक उनकी आत्मा को शांति प्रदान करें और परिवार को दुख सहने की क्षमता दे.