वाराणसी: अंग्रेजों के खिलाफ क्रांति का बिगुल फूंकने वाले काजी नजरूल इस्लाम की रचनाओं का हिंदी में अनुवाद (Kazi Nazrul Songs will be translated into Hindi) होगा. उनकी बांग्ला कविताओं का हिंदी अनुवाद जारी किया जाएगा. यह कदम उठाया है काशी हिन्दू विश्वविद्याय सहित अन्य विश्वविद्यालयों के विद्वानों ने. बांग्लादेश ने उन्हें अपना राष्ट्रीय कवि घोषित किया है. वाराणसी में BHU के प्रोफेसरों के साथ मिलकर प्रेमचंद साहित्य संस्थान की त्रैमासिक साखी पत्रिका का नजरूल विशेषांक प्रकाशित किया जाएगा. नजरूल इस्लाम ने बांग्ला भाषा में भगवान कृष्ण समेत सभी देवी-देवताओं पर 500 से ज्यादा कविताओं की रचना की है.
काशी हिन्दू विश्वविद्यालय के विद्वानों और अन्य ने मिलकर नजरूल इस्लाम की रचनाओं को लोगों तक सरल भाषा में पहुंचाने का जिम्मा उठाया है. इसके तहत नजरूल इस्लाम की अच्छी कविताओं का, जोकि बांग्ला में हैं, उनका हिंदी अनुवाद किया जाएगा. इसके साथ ही कविताओं का हिन्दी अनुवाद बाजार में भी उपलब्ध कराया जाएगा. इसके लिए नजरूल इस्लाम पर साखी पत्रिका का नजरूल विशेषांक भी प्रकाशित किया जाएगा. इसके लिए बाकायदा समझौता भी किया जा चुका है, जिसके बाद अनुवाद का काम तेजी से शुरू किया जाएगा.
वाराणसी से अनुवाद के लिए ये विद्वान शामिल: विश्वविद्यालय प्रशासन से मिली जानकारी के मुताबिक, काशी हिंदू विश्वविद्यालय (BHU) और आसनसोल विश्वविद्यालय समेत देश भर के कई विद्वानों द्वारा मिलकर यह ट्रांसलेशन किया जाएगा. वाराणसी के प्रेमचंद साहित्य संस्थान के निदेशक प्रो. सदानंद शाही और काजी नजरूल इस्लाम विश्वविद्यालय आसनसोल के कुलपति प्रोफेसर देवाशीष बंद्योपाध्याय के बीच इसके लिए समझौता हुआ है. वहीं अनुवाद के लिए डॉ. महेंद्र कुशवाहा, BHU के हिंदी विद्वान प्रो. अवधेश प्रधान, हिंदी विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. विजय भारती, काजी नजरूल विश्वविद्यालय के डॉ. विजय कुमार साव निशांत और डॉ शांतनु बैनर्जी का चयन किया गया है.
साखी पत्रिका का नजरूल विशेषांक होगा प्रकाशित: प्रेमचंद साहित्य संस्थान के निदेशक प्रो. सदानंद शाही ने इस बारे में जानकारी दी है. उनका कहना है कि BHU के प्रोफेसरों के साथ मिलकर प्रेमचंद साहित्य संस्थान की त्रैमासिक साखी पत्रिका का नजरूल विशेषांक प्रकाशित करेंगे. रवींद्रनाथ ठाकुर के बाद बांग्ला के सबसे प्रसिद्ध कवि लेखक काजी नजरूल इस्लाम के प्रामाणिक अनुवाद से हिंदी अनुवाद साहित्य समृद्ध होगा. उन्होंने कहा काजी नजरूल ने हिंदू और मुस्लिम को अपनी दो आंखें कहा था. बांग्लादेश ने उन्हें अपना राष्ट्र कवि घोषित किया है. नजरुल की कविताएं आजादी की लड़ाई में बंगाल के युवा क्रांतिकारियों के गले का हार थीं.
कई बार जेल गए थे काजी नजरूल इस्लाम: प्रो. सदानंद शाही ने बताया कि काजी नजरूल इस्लाम ने बांग्ला भाषा में भगवान कृष्ण समेत सभी देवी-देवताओं पर 500 से ज्यादा कविताओं की रचना की हैं. रवींद्र नाथ ठाकुर ने क्रांतिकारी कवि के सम्मान में अपना नाटक वसंत उन्हें समर्पित किया. प्रो. सदानंद शाही ने बताया कि युवाओं में उनकी अपार लोकप्रियता से घबराकर अंग्रेज सरकार ने उनके कविता संग्रह अग्नि वीणा को प्रतिबंधित कर दिया था. अपनी कविताओं को लेकर वे कई बार जेल भी गए थे. उन्होंने अपनी बात को दोहराते हुए कहा कि नजरुल की कविताएं आजादी की लड़ाई में बंगाल के युवा क्रांतिकारियों के गले का हार थीं.
काजी नजरूल ने बांग्ला में लिखे थे सैंकड़ों भक्ति गीत, BHU समेत कई विद्वान करेंगे हिंदी अनुवाद
काजी नजरूल इस्लाम ने सैंकड़ों भक्ति गीत (Kazi Nazrul devotional Bengali songs) बांग्ला भाषा में लिखे थे. BHU समेत कई विद्वान इनका हिंदी अनुवाद करेंगे.
By ETV Bharat Uttar Pradesh Team
Published : Sep 9, 2023, 10:14 AM IST
वाराणसी: अंग्रेजों के खिलाफ क्रांति का बिगुल फूंकने वाले काजी नजरूल इस्लाम की रचनाओं का हिंदी में अनुवाद (Kazi Nazrul Songs will be translated into Hindi) होगा. उनकी बांग्ला कविताओं का हिंदी अनुवाद जारी किया जाएगा. यह कदम उठाया है काशी हिन्दू विश्वविद्याय सहित अन्य विश्वविद्यालयों के विद्वानों ने. बांग्लादेश ने उन्हें अपना राष्ट्रीय कवि घोषित किया है. वाराणसी में BHU के प्रोफेसरों के साथ मिलकर प्रेमचंद साहित्य संस्थान की त्रैमासिक साखी पत्रिका का नजरूल विशेषांक प्रकाशित किया जाएगा. नजरूल इस्लाम ने बांग्ला भाषा में भगवान कृष्ण समेत सभी देवी-देवताओं पर 500 से ज्यादा कविताओं की रचना की है.
काशी हिन्दू विश्वविद्यालय के विद्वानों और अन्य ने मिलकर नजरूल इस्लाम की रचनाओं को लोगों तक सरल भाषा में पहुंचाने का जिम्मा उठाया है. इसके तहत नजरूल इस्लाम की अच्छी कविताओं का, जोकि बांग्ला में हैं, उनका हिंदी अनुवाद किया जाएगा. इसके साथ ही कविताओं का हिन्दी अनुवाद बाजार में भी उपलब्ध कराया जाएगा. इसके लिए नजरूल इस्लाम पर साखी पत्रिका का नजरूल विशेषांक भी प्रकाशित किया जाएगा. इसके लिए बाकायदा समझौता भी किया जा चुका है, जिसके बाद अनुवाद का काम तेजी से शुरू किया जाएगा.
वाराणसी से अनुवाद के लिए ये विद्वान शामिल: विश्वविद्यालय प्रशासन से मिली जानकारी के मुताबिक, काशी हिंदू विश्वविद्यालय (BHU) और आसनसोल विश्वविद्यालय समेत देश भर के कई विद्वानों द्वारा मिलकर यह ट्रांसलेशन किया जाएगा. वाराणसी के प्रेमचंद साहित्य संस्थान के निदेशक प्रो. सदानंद शाही और काजी नजरूल इस्लाम विश्वविद्यालय आसनसोल के कुलपति प्रोफेसर देवाशीष बंद्योपाध्याय के बीच इसके लिए समझौता हुआ है. वहीं अनुवाद के लिए डॉ. महेंद्र कुशवाहा, BHU के हिंदी विद्वान प्रो. अवधेश प्रधान, हिंदी विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. विजय भारती, काजी नजरूल विश्वविद्यालय के डॉ. विजय कुमार साव निशांत और डॉ शांतनु बैनर्जी का चयन किया गया है.
साखी पत्रिका का नजरूल विशेषांक होगा प्रकाशित: प्रेमचंद साहित्य संस्थान के निदेशक प्रो. सदानंद शाही ने इस बारे में जानकारी दी है. उनका कहना है कि BHU के प्रोफेसरों के साथ मिलकर प्रेमचंद साहित्य संस्थान की त्रैमासिक साखी पत्रिका का नजरूल विशेषांक प्रकाशित करेंगे. रवींद्रनाथ ठाकुर के बाद बांग्ला के सबसे प्रसिद्ध कवि लेखक काजी नजरूल इस्लाम के प्रामाणिक अनुवाद से हिंदी अनुवाद साहित्य समृद्ध होगा. उन्होंने कहा काजी नजरूल ने हिंदू और मुस्लिम को अपनी दो आंखें कहा था. बांग्लादेश ने उन्हें अपना राष्ट्र कवि घोषित किया है. नजरुल की कविताएं आजादी की लड़ाई में बंगाल के युवा क्रांतिकारियों के गले का हार थीं.
कई बार जेल गए थे काजी नजरूल इस्लाम: प्रो. सदानंद शाही ने बताया कि काजी नजरूल इस्लाम ने बांग्ला भाषा में भगवान कृष्ण समेत सभी देवी-देवताओं पर 500 से ज्यादा कविताओं की रचना की हैं. रवींद्र नाथ ठाकुर ने क्रांतिकारी कवि के सम्मान में अपना नाटक वसंत उन्हें समर्पित किया. प्रो. सदानंद शाही ने बताया कि युवाओं में उनकी अपार लोकप्रियता से घबराकर अंग्रेज सरकार ने उनके कविता संग्रह अग्नि वीणा को प्रतिबंधित कर दिया था. अपनी कविताओं को लेकर वे कई बार जेल भी गए थे. उन्होंने अपनी बात को दोहराते हुए कहा कि नजरुल की कविताएं आजादी की लड़ाई में बंगाल के युवा क्रांतिकारियों के गले का हार थीं.