वाराणसी: जिले के प्रसिद्ध अस्सी घाट पर रविवार को अलग ही नजारा देखने मिला. गंगा आरती समाप्त होने के बाद मां गंगा के तट पर कवियों का जमघट लगा. रोटरी क्लब उदय के तत्वाधान में फागुन महोत्सव का आयोजन किया गया है. इसके तहत दूसरे दिन कवि महोत्सव का आयोजन हुआ. जिसमें देश के विभिन्न इलाकों से आए कवियों ने शिरकत कर अपनी हास्य व्यंग्य और गीतों से सभी को मंत्रमुग्ध कर दिया.
हास्य व्यंग की कविता
अस्सी घाट पर सैकड़ों की संख्या में श्रोताओं के सामने एक एकर उत्तर प्रदेश, दिल्ली सहित आगरा मिर्जापुर, बिहार के विभिन्न कवियों ने हास्य व्यंग की कविता प्रस्तुत किया. जिसे श्वेता गण खुद को रोक नहीं पाए. सभी ने तालियां बजाकर और हर-हर महादेव के उद्घोष से कवियों का उत्साह बढ़ाया.
कोरोना और भ्रष्टाचार जैसे विषयों पर पढ़ी गई कविता
इस कवि महोत्सव में देश और प्रदेश के कोने-कोने से आए कवियों ने विभिन्न प्रकार की व्यंग्यात्मक-हास्यप्रद और वीर रस की कविताएं पढ़ीं.इनमें से ज्यादातर कविताएं कोविड-19 के बदलते स्वरूप, भ्रष्टाचार, पाकिस्तान-चीन और देश के शहीद जवानों को समर्पित रहीं.
पूरी दुनिया से अलग है बनारस का मिजाज
कवि नागेश शांडिल्य ने बताया कि बनारस का मिजाज पूरी दुनिया से अलग है. यह शहर सात वार और नैव त्योहारों का यह शहर है. उत्सव काशी के रग-रग में विद्यमान हैं. गंगा के समान ही संस्कृत की धारा यहां बहती है. यहां फागुन महोत्सव के तहत कवि सम्मेलन का आयोजन किया गया था. होली का जो मिजाज काशी में दिखाई देता है. विश्व में और कहीं भी ऐसा मिजाज और उत्सव देखने को नहीं मिलता है.
कवियों की कविताओं के रंग से प्रफुल्लित हुए लोग
कवि महोत्सव के आयोजक सचिन मिश्रा ने बताया रोटरी क्लब उदय द्वारा इस कार्यक्रम का आयोजन किया गया. यह बनारस की संस्कृति और सभ्यता को प्रदर्शित करता है. फागुन महोत्सव के अंतर्गत सुर काव्य कार्यक्रम का आयोजन किया गया जिसमें विभिन्न प्रकार के कवि शामिल हुए.इसमें कवियों द्वारा विभिन्न प्रकार की प्रस्तुतियां दी गईं.