वाराणसी: बुधवार को बीएचयू के मालवीय सभागार व्याख्यान का आयोजन किया गया. इसमें वक्ताओं ने अपनी अपनी बातों को रखा. देश की संसद किस तरह कार्य करती है. किस तरह कि उन्हें चुनौतियां होती हैं इन सबके बारे में छात्रों को रूबरू कराया गया.
लोकतांत्रिक क्रियाकलापों की चर्चा करते हुए हरिवंश नारायण ने बताया कि पिछले कुछ दशकों में भारतीय संसद में राज्यसभा व लोकसभा चर्चा से ज्यादा विरोध प्रदर्शन करने का अखाड़ा बन गया. ऐसे कानून जिन्हें 20 से 30 साल पहले पास होना चाहिए था वह लंबे समय तक संसद में लटके रहे.
हरिवंश नारायण सिंह ने बताया कि मैं काशी मंथन भूमिका का समर्थन करता हूं. जिस तरह का वह काम कर रहे हैं मुझे लगता है पाठ्यक्रमों से भी ज्यादा जरूरत इन चीजों की है. छात्रों को हम बताएं कि वह किन तरह की व्यवस्था में है और इन व्यवस्थाओं में कैसे बेहतर तरीके से काम किया जा सकता है.