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BHU Research : दूषित जल से उगाई गईं सब्जियां और फसल हानिकारक, जानिए क्या होंगे नुकसान

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Published : Apr 10, 2023, 11:02 AM IST

Updated : Apr 10, 2023, 11:47 AM IST

काशी हिन्दू विश्वविद्यालय सहायक प्रोफेसर डॉ. राजेश कुमार शर्मा के नेतृत्व में शोधकर्ताओं ने भदोही के औद्योगिक और आवासीय क्षेत्रोंं से निकलने वाले अपशिष्ट जल पर शोध किया है. शोध में अपशिष्ट जल से सींची जा रही सब्जियों और अनाजों में हानिकारक धातुओं की अधिकता की बात सामने आई है. शोधक्रताओं के अनुसार यह धातुएं स्वास्थ्य पर काफी हानिकारक प्रभाव डाल रही हैं.

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वाराणसी : काशी हिन्दू विश्वविद्यालय के शोधकर्ताओं ने अपशिष्ट जल पर शोध किया है. इसके लिए भदोही के औद्योगिक और आवासीय क्षेत्रोंं से निकलने वाले अपशिष्ट जल का प्रयोग किया गया है. इसमें पता चला है कि अपशिष्ट जल से सींची जा रही सब्जियों और अनाजों में भारी धातुओं की मात्रा काफी अधिक है. यह धातु लोगों के स्वास्थ्य के लिए बेहद हानिकारक हैं. शोध में पता चला है कि स्थानीय निवासियों द्वारा भारी धातुओं का अधिकतम सेवन निकिल का बच्चों द्वारा गेहूं के माध्यम से किया जा रहा है. साथ ही न्यूनतम क्रोमियम का वयस्कों द्वारा मूली व लहसुन के माध्यम से किया जा रहा है. गेहूं और धान के अनाज का उपभोग करने वाले बच्चों और वयस्कों दोनों के लिए निकिल और क्रोमियम का स्वास्थ्य सूचकांक एक से ज्यादा मिला है. यह खतरे का संकेत है.


दरअसल, काशी हिन्दू विश्वविद्यालय के सहायक प्रोफेसर डॉ. राजेश कुमार शर्मा के नेतृत्व में यह शोध कार्य किया गया है. उनकी टीम में प्रिंस कुमार सिंह, जय शंकर यादव, इंद्रजीत कुमार और उमेश कुमार शामिल रहे. शोध के तहत भदोही के उपनगरीय इलाकों में मार्च 2019 से फरवरी 2020 तक अध्ययन किया. शोध में पता चला कि अपशिष्ट जल में कैडमियम, निकिल, क्रोमियम, तांबा, जस्ता की मात्रा भूगर्भीय जल से कहीं ज्यादा है.

शोध के दौरान गर्मी, मानसून और सर्दी के मौसम में पैदा होने वाली सब्जियों पालक, मूली, लहसुन, गोभी और बैंगन और अनाज (जिसमें धान, गेहूं शामिल था) के कुल 84 नमूने एकत्र किए गए थे. सभी नमूनों को नलकूप के पानी से धोने के बाद उन्हें छोटे-छोटे टुकड़ों में काटकर ओवन में सुखाया गया. सुखाए गए नमूनों को पीसकर पाउडर बनाया गया और डाई-एसिड (नाइट्रिक एसिड और परक्लोरिक एसिड) में 6 से 8 घंटे तक गर्म किया गया. शोधकर्ताओं का कहना है कि लगातार दूषित सब्जियों व अनाजों के सेवन से मानसिक और व्यवहार संबंधी बीमारियां हो सकती हैं. साथ ही अस्थमा, कैंसर, तंत्रिका तंत्र संबंधी रोग भी हो सकते हैं. इन सब्जियों के सेवन से हृदय, गुर्दे संबंधी रोग, गर्भवती महिलाओं में अनियमितता, मोटापा, स्तन कैंसर जैसी बीमारियां हो सकती हैं.

गेहूं में निकिल और क्रोमियम की मात्रा सबसे ज्यादा : शोधकर्ताओं के अनुसार सब्जियों और अनाज के फिल्ट्रेट में भारी धातुओं के संदूषण स्तर को एटॉमिक अब्जॉर्प्शन स्पेक्ट्रोफोटोमीटर (पर्किन-एल्मर एएनलिस्ट 800, यूएसए) के द्वारा मापा गया. तांबे की सबसे अधिक मात्रा गेहूं में और सबसे कम मात्रा लहसुन में पाई गई. गेहूं में निकिल और क्रोमियम की मात्रा सबसे ज्यादा पाई गई. सबसे कम तांबे की मात्रा बैंगन और लहसुन में मिली.

टॉक्सिकोलॉजी रिपोर्ट्स में प्रकाशित हुए शोध : पालक में जिंक की मात्रा सेफ्टी लिमिट से अधिक पाई गई है. भूजल सिंचित सभी सब्जियों व अनाजों में भी निकिल की मात्रा भारतीय मानक से ज्यादा पाई गई है. जिंक और कैडमियम की मात्रा पालक में सबसे ज्यादा है और लहसुन में सबसे कम. कॉपर और क्रोमियम की मात्रा सभी सब्जियों और अनाज की फसलों में भारतीय मानक से नीचे पाए गए. इसके परिणाम प्रतिष्ठित जर्नल टॉक्सिकोलॉजी रिपोर्ट्स में प्रकाशित हुए हैं.

वाराणसी : काशी हिन्दू विश्वविद्यालय के शोधकर्ताओं ने अपशिष्ट जल पर शोध किया है. इसके लिए भदोही के औद्योगिक और आवासीय क्षेत्रोंं से निकलने वाले अपशिष्ट जल का प्रयोग किया गया है. इसमें पता चला है कि अपशिष्ट जल से सींची जा रही सब्जियों और अनाजों में भारी धातुओं की मात्रा काफी अधिक है. यह धातु लोगों के स्वास्थ्य के लिए बेहद हानिकारक हैं. शोध में पता चला है कि स्थानीय निवासियों द्वारा भारी धातुओं का अधिकतम सेवन निकिल का बच्चों द्वारा गेहूं के माध्यम से किया जा रहा है. साथ ही न्यूनतम क्रोमियम का वयस्कों द्वारा मूली व लहसुन के माध्यम से किया जा रहा है. गेहूं और धान के अनाज का उपभोग करने वाले बच्चों और वयस्कों दोनों के लिए निकिल और क्रोमियम का स्वास्थ्य सूचकांक एक से ज्यादा मिला है. यह खतरे का संकेत है.


दरअसल, काशी हिन्दू विश्वविद्यालय के सहायक प्रोफेसर डॉ. राजेश कुमार शर्मा के नेतृत्व में यह शोध कार्य किया गया है. उनकी टीम में प्रिंस कुमार सिंह, जय शंकर यादव, इंद्रजीत कुमार और उमेश कुमार शामिल रहे. शोध के तहत भदोही के उपनगरीय इलाकों में मार्च 2019 से फरवरी 2020 तक अध्ययन किया. शोध में पता चला कि अपशिष्ट जल में कैडमियम, निकिल, क्रोमियम, तांबा, जस्ता की मात्रा भूगर्भीय जल से कहीं ज्यादा है.

शोध के दौरान गर्मी, मानसून और सर्दी के मौसम में पैदा होने वाली सब्जियों पालक, मूली, लहसुन, गोभी और बैंगन और अनाज (जिसमें धान, गेहूं शामिल था) के कुल 84 नमूने एकत्र किए गए थे. सभी नमूनों को नलकूप के पानी से धोने के बाद उन्हें छोटे-छोटे टुकड़ों में काटकर ओवन में सुखाया गया. सुखाए गए नमूनों को पीसकर पाउडर बनाया गया और डाई-एसिड (नाइट्रिक एसिड और परक्लोरिक एसिड) में 6 से 8 घंटे तक गर्म किया गया. शोधकर्ताओं का कहना है कि लगातार दूषित सब्जियों व अनाजों के सेवन से मानसिक और व्यवहार संबंधी बीमारियां हो सकती हैं. साथ ही अस्थमा, कैंसर, तंत्रिका तंत्र संबंधी रोग भी हो सकते हैं. इन सब्जियों के सेवन से हृदय, गुर्दे संबंधी रोग, गर्भवती महिलाओं में अनियमितता, मोटापा, स्तन कैंसर जैसी बीमारियां हो सकती हैं.

गेहूं में निकिल और क्रोमियम की मात्रा सबसे ज्यादा : शोधकर्ताओं के अनुसार सब्जियों और अनाज के फिल्ट्रेट में भारी धातुओं के संदूषण स्तर को एटॉमिक अब्जॉर्प्शन स्पेक्ट्रोफोटोमीटर (पर्किन-एल्मर एएनलिस्ट 800, यूएसए) के द्वारा मापा गया. तांबे की सबसे अधिक मात्रा गेहूं में और सबसे कम मात्रा लहसुन में पाई गई. गेहूं में निकिल और क्रोमियम की मात्रा सबसे ज्यादा पाई गई. सबसे कम तांबे की मात्रा बैंगन और लहसुन में मिली.

टॉक्सिकोलॉजी रिपोर्ट्स में प्रकाशित हुए शोध : पालक में जिंक की मात्रा सेफ्टी लिमिट से अधिक पाई गई है. भूजल सिंचित सभी सब्जियों व अनाजों में भी निकिल की मात्रा भारतीय मानक से ज्यादा पाई गई है. जिंक और कैडमियम की मात्रा पालक में सबसे ज्यादा है और लहसुन में सबसे कम. कॉपर और क्रोमियम की मात्रा सभी सब्जियों और अनाज की फसलों में भारतीय मानक से नीचे पाए गए. इसके परिणाम प्रतिष्ठित जर्नल टॉक्सिकोलॉजी रिपोर्ट्स में प्रकाशित हुए हैं.

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Last Updated : Apr 10, 2023, 11:47 AM IST
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